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रांचीः प्राथमिक शिक्षा को करना होगा मजबूत, खत्म हो पैरा शिक्षक की परंपरा

अक्सर ऐसा होता है कि साल भर पैसा खाते में पड़ा रहता है, जब मार्च नजदीक आता है कि अचानक खर्च करने के कवायद शुरू हो जाती है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 06:00 AM (IST)
रांचीः प्राथमिक शिक्षा को करना होगा मजबूत, खत्म हो पैरा शिक्षक की परंपरा

किसी भी राष्ट्र के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का अहम रोल है, जिस देश की जितनी मजबूत और बेहतर शिक्षा प्रणाली होगी, वह राष्ट्र उतना ही मजबूत होगा। हम अपने राज्य की बात करें तो शिक्षा के प्रति हम बहुत उदासीन है। सरकारी शिक्षा की हालत तो सबसे खराब है। उसमें भी प्राइमरी शिक्षा। हमें शिक्षा को लेकर सकारात्मक कदम उठाने होंगे।

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सबसे पहले तो हमें प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना होगा। यही नींव है। हमारी नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत उतनी ही मजबूत। सबसे पहले तो हमें प्राथमिक विद्यालयों में आधारभूत संरचना का विकास करना होगा। योग्य अध्यापकों की नियुक्ति करनी चाहिए। पारा शिक्षक की परंपरा को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए। पारा शिक्षक से शिक्षा की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होगी।

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प्राथमिक शिक्षकों को अन्य सरकारी योजनाओं में नहीं लगाना चाहिए। उन्हें कभी मतदान में, कभी अन्य काम में लगा दिया जाता है। उनका काम बच्चों को शिक्षित करना है। इसके साथ सभी स्कूलों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक पंचायत के अधीन कर देना चाहिए। पंचायत निगरानी करे। सरकार इन पर नियंत्रण रखे।

पंचायत निगरानी करेगी तो शिक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी। जहां अध्यापक नहीं हैं, वहां बहाल हों। रिक्त पदों पर नियुक्ति सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। शिक्षा का बजट हर साल सरकार को बढ़ाना चाहिए और इसकी निगरानी भी होनी चाहिए। मार्च क्लोजिंग बंद होनी चाहिए।

अक्सर ऐसा होता है कि साल भर पैसा खाते में पड़ा रहता है, जब मार्च नजदीक आता है कि अचानक खर्च करने के कवायद शुरू हो जाती है। जो बजट एलाट होता है, उसके खर्च को लेकर हर तीन महीने पर समीक्षा होनी चाहिए। प्राइमरी स्कूलों में संभव हो तो आस-पास के गांव के योग्य अध्यापकों की ही नियुक्ति करनी चाहिए।

समय से मिले किताबें
प्राइमरी के बच्चों को समय से किताबें मिलनी चाहिए। सबसे ज्यादा परेशानी इन्हें होती हैं। मिड डे मिल बंद कर वहां ड्राईफ्रूट या फूड की व्यवस्था हो ताकि बच्चे पढ़ाई कर सके। सेलेब्स के मुताबिक किताबें हों। यदि इसमें कोई लापरवाही होती है कि संबंधित व्यक्ति को दंडित किया जाना चाहिए। शिक्षा में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। मध्याह्न भोजन में अध्यापक और बच्चे दोनों परेशान होते हैं। इसका आकलन करना चाहिए कि इससे लाभ हो रहा है या नुकसान हो रहा। इन योजनाओं ने शिक्षा का स्तर सुधरा है? यह देखना पड़ेगा। इस तरह की योजनाओं की समीक्षा जरूरी है।

शिक्षण प्रणाली में सुधार
शिक्षण प्रणाली में सुधार हो। समय के साथ शिक्षा चले। मास्टर क्लास हो और इसमें शिक्षक भी पारंगत हो। कंप्यूटर का ज्ञान सबके लिए अनिवार्य हो। प्राइमरी स्कूल से ही स्किल इंडिया की शुरुआत हो सकती है। बच्चों को हर तरह से मजबूत किया जाए। शिक्षा के साथ खेलकूद, ग्रुप डिस्कशन और अन्य गतिविधियां संचालित होनी चाहिए। मिशनरी स्कूलों में यह व्यवस्था है। हमें सरकारी स्कूलों को भी इस तर्ज पर विकसित करना चाहिए, ताकि बच्चे अपने अंदर किसी तरह हीन भावना को जगह न दे सकें।

प्राथमिक और उच्च शिक्षा
प्राथमिक स्तर पर जब हम मजबूत हो जाएंगे तो मध्य और उच्च शिक्षा का स्तर अपने आप ठीक हो जाएगा। उच्च शिक्षा के क्लास भी बेहतर होने चाहिए। यहां भी निगरानी की जरूरत है। शिक्षक को भी क्षमतावान और समय-समय पर इनकी ट्रेनिंग होनी चाहिए ताकि देश-दुनिया में जो चल रहा है, उसकी जानकारी हो सके और वे अपने विद्यार्थियों को बता सकें। केवल बिल्डिंग बनाने पर जोर नहीं होना चाहिए। बिल्डिंग के साथ पढ़ाई का स्तर ऊंचा करने के लिए भी बेहतर कदम उठाने चाहिए।

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