आबादी और विकास के बीच रांची शहर को तालमेल बिठाना जरूरी
शहर में जगह-जगह दोनों रंग के डब्बे लगवाए गए हैं। इन वजहों से रांची स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में देश में 21वें स्थान पर रही।
आशा लकड़ा ने रांची नगर निगम के मेयर पद का लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर जता दिया है कि शहर की जनता का उनपर पूरा भरोसा है। वह मानती हैं कि जिंदगी में परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हों, हमें उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। हार नहीं माननी चाहिए। जब उग्रवादियों ने उनके पति की हत्या कर दी थी, तब वह बहुत कम उम्र की थीं। अपने हौसले के बूते इस मुकाम तक पहुंचीं।
झारखंड गठन के बाद राजधानी रांची विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रही है, मगर अभी लंबा सफर बाकी है। मौसम व मिजाज की वजह से बसने के लिए यह शहर उपयुक्त है। यही वजह है कि शहर का लगातार विस्तार हो रहा है और आबादी भी बढ़ रही है। बढ़ रही आबादी और विकास के बीच तालमेल बिठाना जरूरी पहलू बन गया है। मैं इसी को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ रही हूं।
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रांची से बचपन से ही परिचित रही हूं। मेयर चुने जाने के बाद सबसे पहले यहां की समस्याओं को जाना। बारी-बारी सभी वार्डों का निरीक्षण कर उसके समाधान की दिशा में काम किया। सफाई का बुरा हाल था। धीरे-धीरे काफी सुधार हुआ है। स्वच्छता अभियान को शहर में बखूबी चलाया गया। शहर के लोग भी स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं। अब लोगों को गीला कचरा हरे और सूखा कचरा नीले रंग के डब्बे में फेंकने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
शहर में जगह-जगह दोनों रंग के डब्बे लगवाए गए हैं। इन वजहों से रांची स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में देश में 21वें स्थान पर रही। पहली नजर में यह उपलब्धि है, लेकिन संतुष्ट होनेवाली नहीं। लक्ष्य पहले स्थान पर लाना है। मेरा मकसद रांची की पहचान सुनियोजित शहर के तौर पर कायम करना है।
इसके लिए नागरिक सुविधाओं को मजबूत करने के साथ ही बसावट को समृद्ध करना है। शहर में अव्यवस्थित फुटपाथ दुकानदारों के लिए वेंडर मार्केट का निर्माण किया जा रहा है ताकि उन्हें एक बेहतर स्थान उपलब्ध करवाया जा सके और बाहर से आने वाले लोगों को रांची में एक प्लैंड सिटी की झलक मिल सके।
शहर में 1760 पीसीसी सड़क का निर्माण कराया गया है। 32,000 एलईडी लाइट और चौक- चौराहों पर हाइमास्ट लाइट लगाए गए हैं। हर वार्ड में वार्ड कार्यालय सह सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। चापाकल, एचवाइडीटी लगवाए।
हर वार्ड में पानी पहुंचाने के लिए टैंकरों की खरीदारी और व्यवस्था करवाई, इंदिरा आवास योजना के तहत पांच स्लमों में 1565 आवासों का निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 13497 आवासों का निर्माण चल रहा है। 31705 घरों में शौचालय, चौक चौराहों पर 85 मॉड्यूलर टॉयलेट और 67 शौचालय बनवाये 15 करोड़ की लागत से बिरसा मुंडा बस पड़ाव का निर्माण कराया।
शहर को सुंदर बनाने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण करने और बच्चों के खेलने के लिए पार्क की व्यवस्था करवाई। शहर के लुप्त होते तालाबों का सौंदर्यीकरण कराया गया, 10 प्रमुख पार्कों का निर्माण कराया गया। इन कार्यों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हालांकि, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।