झारखंड के MBBS विद्यार्थियों के लिए जरूरी खबर, सरकारी अस्पतालों में देनी होगी 3 साल सेवा
MBBS Students of Jharkhand News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिया है। अभी तक पीजी की पढ़ाई में ही तीन साल सेवा अनिवार्य थी। इसके लिए विद्यार्थियों को बांड भरना होगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करनेवाले सभी विद्यार्थियों को कोर्स पूरा करने के बाद राज्य के सरकारी अस्पतालों में कम से कम तीन साल सेवा देना अनिवार्य होगा। इसी शर्त पर अब मेडिकल काॅलेजों में विद्यार्थियों का नामांकन होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग को 31 जनवरी तक इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में चिकित्सकों की कमी न हो, इसे केंद्र में रखकर सरकार ने यह कदम उठाया है।
जानकारी के अनुसार सरकार के इस निर्णय के तहत एमबीबीएस में दाखिले से पहले अभ्यर्थियों को यह बांड भरना होगा कि एमबीबीएस करने के बाद वे तीन सालों तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा नहीं देंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें क्षतिपूर्ति मद में सरकार को एक निर्धारित राशि देनी होगी। यह राशि 20 से 30 लाख रुपये तक हो सकती है।
10 वर्षों की सेवा देने पर हुए राजी तो पीजी कोर्स में 15 फीसद सीटें होंगी आरक्षित
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों में से वैसे विद्यार्थी, जो दस साल (अनिवार्य तीन साल के अतिरिक्त सात साल) तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में सेवा देने का अनुबंध करते हैं तो उनके लिए पीजी कोर्स में 15 फीसद सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। बता दें कि राज्य में पहली बार एमबीबीएस कोर्स करनेवाले चिकित्सकों के लिए तीन साल की सेवा अनिवार्य किया जा रहा है। पीजी मेडिकल कोर्स में यह प्रविधान पहले से ही राज्य में लागू है। इसके तहत पीजी में नामांकन से पहले विद्यार्थियों को 30 लाख रुपये का बांड भरना पड़ता है कि यहां से पीजी करने के बाद वे तीन वर्षों तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में सेवा देंगे।
तीन वर्षों की सेवा देने पर पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में मिल रहा 50 फीसद आरक्षण
वर्तमान में राज्य चिकित्सा सेवा में तीन वर्ष से अधिक समय से कार्यरत चिकित्सकों को पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में नामांकन में 50 फीसद का आरक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा पीजी डिग्री एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए मेधा सूची तैयार करते समय राज्य चिकित्सा सेवा अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों (नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत के बाहर) में कार्यरत चिकित्सकों को न्यूनतम 10 फीसद से अधिकतम 30 फीसद तक का आरक्षण दिया जाता है।
बीच में नहीं छोड़ सकते पढ़ाई
राज्य में यह भी व्यवस्था है कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करनेवाले एमबीबीएस या पीजी के विद्यार्थी बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ सकते हैं। इसके लिए नामांकन के समय दोनों पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को क्रमश: 30 तथा 20 लाख रुपये का बांड भरना पड़ता है।