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रांची पहुंचे सीपीएम नेता प्रकाश करात, कार्ल मार्क्‍स की 200वीं जयंती समारोह में हुए शामिल

Prakash Karat. सीपीएम के पोलित ब्‍यूरो सदस्‍य प्रकाश करात ने रांची के बूंडू में बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण किया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:34 AM (IST)
रांची पहुंचे सीपीएम नेता प्रकाश करात, कार्ल मार्क्‍स की 200वीं जयंती समारोह में हुए शामिल
रांची पहुंचे सीपीएम नेता प्रकाश करात, कार्ल मार्क्‍स की 200वीं जयंती समारोह में हुए शामिल

रांची, जासं। जमशेदपुर मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के पोलित ब्‍यूरो के सदस्‍य प्रकाश करात सोमवार को रांची पहुंचे हैं। वे यहां पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ आने वाले चुनाव को लेकर रणनीति पर चर्चा करेंगे। रांची एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी में कई कार्यकर्ता मौजूद रहे। सबने प्रकाश करात का स्‍वागत किया। जमशेदपुर में आयोजित हो रहे कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती समारोह में शामिल होने के लिये सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य यहां पहुंचे हैं। उन्‍होंने करीब 11 बजे यहां से जमशेदपुर के लिए प्रस्‍थान किया। जमशेदपुर जाने के क्रम में बुण्डू में उन्होंने शहीद बिरसा मुंडा और पार्टी के शहीद साथी लक्ष्मी कांत स्वांसी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

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मार्क्सवाद सामाजिक परिवर्तन की क्रान्तिकारी विचारधारा : प्रकाश करात ने कहा कि मार्क्स के पहले के दार्शनिकों ने समाज की व्याख्या की लेकिन मार्क्स ने कहा कि जरूरत है इसे बदलने की और उन्होंने एतिहासिक भौतिकवाद के आधार पर सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसी सिद्धांत और व्यवहार से शोषण मुक्त  समाज की स्थापना की जा सकती है। इसलिए पूंजीवाद को समाप्त कर समाज वाद की स्थापना से ही मानव समाज की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती समारोह में  मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश कारात ने कहा कि आज इस बात का प्रचार किया जा रहा है कि  मार्क्सवाद की प्रासंगिकता खत्म हो गई है। लेकिन पूंजीवाद का बढ़ता संकट जिसमें भुखमरी, बेरोजगारी, असमानता बढती जा रही है और प्राकृतिक साधनों की अंधाधुंध लूट के चलते दुनिया के सामने एक बड़ा संकट पैदा हो गया है।

करात ने कहा कि असमानता ने लोगों के बीच एक बड़ी खाई पैदा कर दी है। आज दुनिया के एक प्रतिशत लोगों का 53 प्रतिशत संपत्ति पर अधिकार है। हमारे देश में केवल 9 अरबपति देश की 50 प्रतिशत संपत्ति पर पर अधिकार जमाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय पूंजी उत्पादन के लिए नहीं सट्टा बाजार के लिए आती है। यह पूंजी किसी प्रकार के नियंत्रण को नहीं मानती है इसलिए यह विभिन्न देशों की सरकारों को भी नियंत्रित करती है। हमारे देश में भी इस पूंजी का राजनीतिक दखल वढा है। मार्क्स की शिक्षाओं से आज की बदली हुई परिस्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिये पूंजीवादी व्यवस्था में परिवर्तन की लड़ाई को संगठित रूप से मजबूत कर इसे आगे बढाना हमारा मुख्य काम है।


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