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अफीम के लिए बदनाम गिद्धौर प्रखंड में होगी गेंदा फूल की खेती Chatra News

Jharkhand News Chatra News विज्ञानी डा. धर्मा उरांव ने बताया कि साल में तीन बार गेंदा फूल उगाएं। इससे मिट्‌टी की क्षमता बढ़ेगी। किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। गेंदा फूल की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुणा लाभ दे रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 12:10 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 12:18 PM (IST)
अफीम के लिए बदनाम गिद्धौर प्रखंड में होगी गेंदा फूल की खेती Chatra News
Jharkhand News, Chatra News विज्ञानी डा. धर्मा उरांव ने बताया कि साल में तीन बार गेंदा फूल उगाएं।

रांची, जासं। किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए बिरसा कृषि विवि (बीएयू) अपने अधीन केवीके के माध्यम से कई प्रोग्राम चला रहा है। इसमें किसानों को उत्तम और वैज्ञानिक तरीके से पारंपरिक खेती के साथ व्यावसायिक खेती की तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीएयू के अग्र पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा के द्वारा गिद्धौर प्रखंड में गेंदा फूल का प्रत्यक्षण किया गया। प्रखंड के प्रमोद कुमार, शिव कुमार, मालती देवी, मिथिलेश कुमार, शिशुपाल कुमार, अवध दांगी, रामसेवक दांगी सहित कुछ अन्य किसानों के खेत में फूल की खेती की शुरुआत इसी वर्ष की गई है।

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इसके लिए समय-समय पर गिद्धौर प्रखंड में किसान के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाता है। कार्यक्रम से जुड़े विज्ञानी धर्मा उरांव ने बताया कि गेंदा फूल की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में किसानों को कई गुणा लाभ दे रही है। गेंदा फूल न सिर्फ कम खर्च में अच्छा लाभ देता है, बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। इससे किसानों को गेंदा फूल का दोहरा फायदा मिलता है।

धर्मा उरांव ने बताया कि गेंदा फूल की खेती सर्दी, गर्मी और बरसात के सीजन में की जाती है। गेंदा फूल की खेती कोई भी किसान कर सकता है। अगर किसान हाइब्रिड किस्म के बीजों को लगाता है, तो उसे करीब 30 से 35 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है। यदि किसान अपने खेत में गेंदा फूल लगाता है, तो वह साल में तीन बार फूलों की पैदावार ले सकता है। इसके अलावा गेंदा फूल की मांग लोकल मार्केट में होने से किसानों को ज्यादा दौड़ धूप करने की भी जरूरत नहीं होती।

गर्मी, सर्दी और बरसात के सीजन में की जा सकती है खेती

वरीय प्रधान विज्ञानी डा. रंजय कुमार सिंह ने बताया कि गेंदा फूल की खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। गर्मी के सीजन में फूल लेने के लिए जनवरी के महीने में पौधे लगाए जाते हैं। इनका नवरात्र के दिनों में पूजा पाठ में खूब इस्तेमाल होता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। इसके बाद अप्रैल-मई और फिर सर्दी शुरू होने से पहले अगस्त-सितंबर में फूलों की बिजाई की जाती है।

गेंदे की जड़ों से एक कैमिकल निकलता है, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है। जहां खेतों में उत्पादन कम दिखाई दे, उन किसानों के लिए गेंदा फूल एक अच्छा विकल्प है। सीजन में गेंदा फूल की कीमत 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। अगर किसान आधा एकड़ में भी गेंदे की खेती करता है, तो एक सप्ताह में एक क्विंटल से लेकर डेढ़ क्विंटल तक फूल प्राप्त कर सकते हैं।

फसल उगाने से पूर्व विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें किसान

किसान गेंदा फूल की खेती ओपन और पॉली हाउस दोनों ही जगह कर सकते हैं। गेंदा फूल कई वैरायटियों में लगाया जा सकता है। इसका अच्छा भाव किसानों को मार्केट में मिल जाता है। खेती फूलों की हो या फिर सब्जियों की, किसान ओपन फील्ड में खेती कर रहा हो या फिर पॉली हाउस में, किसी भी फसल को लगाने से पूर्व विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें। डा. रंजय कुमार सिंह ने बताया कि मार्केट में औसतन छोटे आकार के फूलों की मांग होती है, जो आम बीज से प्राप्त किए जा सकते हैं। फूलों का प्रयोग पूजा पाठ व माला बनाने में किया जाता है। अगर आम किस्म का प्रयोग करता है, तो इससे भी कम खर्च आता है। प्लांटेशन के 45 दिन बाद पौधा फूल देने लगता है।


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