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Jharkhand: शहरों में हो रही रंगदारी की वसूली पर मौज कर रहे माओवादी

नई रणनीति के तहत भाकपा माओवादी से जुड़ एरिया कमांडर व जोनल कमांडर स्तर के लोगों ने शहरों से सटे ग्रामीण इलाकों में नए नाम से अपना संगठन खड़ा करना शुरू कर दिया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 06:18 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 06:18 PM (IST)
Jharkhand: शहरों में हो रही रंगदारी की वसूली पर मौज कर रहे माओवादी
Jharkhand: शहरों में हो रही रंगदारी की वसूली पर मौज कर रहे माओवादी

रांची (फहीम अख्तर) । कोरोना संक्रमण के दौर में ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों व छोटे उद्योगों का संचालन बाधित होने के बाद भाकपा माओवादी, पीएलएफआई तथा टीएसपीसी जैसे संगठन शहर से उठने वाले रंगदारी के पैसे पर मौज कर रहे हैं। नई रणनीति के तहत भाकपा माओवादी से जुड़ एरिया कमांडर व जोनल कमांडर स्तर के लोगों ने शहरों से सटे ग्रामीण इलाकों में नए नाम से अपना संगठन खड़ा करना शुरू कर दिया है। रांची में पकड़ा गया तीसरी अदालत नाम के संगठन के कागजात इसकी गवाही दे रहे हैं।

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नए संगठनों की आड़ में माओवादी एक तरफ जहां अपने कथित आंदोलन को बदनाम होने से बचाने की कोशिश में लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ पहले से लेवी देने वाले लोगों ने नए नाम का सहारा लेकर वसूली का तरीका अख्तियार किया है। शहर के सक्रिय अधिकांश अपराधियों ने माओवादी, पीएलएफआई, टीएसपीसी जैसे संगठनों ने संपर्क स्थापित कर लिया है। नामकुम से गिरफ्तार माओवादी समर्थक सुरेंद्र उर्फ आर्यन से की गई प्रारंभिक पूछताछ में यह खुलासा हुआ है।

फिल्मी नाम का सहारा
नए संगठनों का भय कायम करने के लिए माओवादी फिल्मी नाम का सहारा ले रहे हैं। हिन्दी की मसाला फिल्मों में इस्तेमाल होने वाले शब्द तीसरी अदालत, जनता की अदालत, जनताना की अदालत, गरीबों के खून का बदला, दमनकारी पूंजीपति, जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। नए संगठन से जुड़े हुए लोगों को मूल संगठन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही। कुछ लोग ही इनके संपर्क में होते हैं। प्रारंभिक तौर पर इनकी ईमानदारी, हिम्मत का अंदाजा लगाने के लिए छोटे हथियार, संगठन की रसीद व लेटर हेड के इस्तेमाल की अनुमति दी जा रही है। नए संगठनों के लेटर हेड व पोस्टर वहीं प्रिंट हो रहे हैं, जहां पहले माओवादी अपने बैनर व पोस्टर तैयार कराते रहे हैं।

रांची शहर से पांच करोड़ से अधिक की मासिक वसूली का लक्ष्य

पुलिस सूत्रों की माने तो बदले हुए हालात में केवल भाकपा माओवादियों ने रांची शहर से हर माह करीब पांच करोड़ से अधिक की वसूली का लक्ष्य रखा है। यह राशि व्यवसायियों व नेताओं से वसूल की जानी है। रंगदारी के लिए एक समय में कुल पांच लोगों को कॉल करने की रणनीति बनाई गई है। इसमें एक बड़े चेहरे के साथ चार अपेक्षाकृत कम मशहूर लोगों को चुना जा रहा है। इसके जरिए पुलिस को उलझाए रखने की रणनीति काम कर रही है। पुलिस बड़े चेहरों को कॉल करने वाले अपराधियों पर ज्यादा फोकस कर रही। इस बीच दूसरे चार लोगों से लक्ष्य के मुताबिक वसूली का टारगेट पूरा किया जा रहा है।
 
नए अपराधियों के पकड़े जाने पर खुद को कर लेते अलग
नए अपराधियों के पकड़े जाने पर भाकपा माओवादी सहित दूसरे संगठन खुद को बड़ी सरलता से इससे अलग कर ले रहे है। बकायदा बयान जारी कर अलग-अलग माध्यमों से सफाई दी जा रही कि इनका संबंधित व्यक्ति अथवा संगठन से कोई लेनादेना नहीं है।
 
नामकुम से पकड़े गए युवक के पास बहुत सारी आपत्तिजनक सामग्री मिली है। पुलिस पूरे मामले की तहकीकात कर रही है। फिलहाल इससे अधिक जानकारी नहीं दी जा सकती। - सुरेंद्र झा, एसएसपी, रांची

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