झारखंड में कम हुआ मलेरिया का बोझ, मामले में 35 फीसद की आई कमी
रांची नीरज अम्बष्ठ मलेरिया प्रभावित राज्यों में शामिल झारखंड के लिए अच्छी खबर है। यहां मलेरिया के मामले में काफी कमी आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसी सोमवार को जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2020 में इसकी पुष्टि हुई है।
रांची, नीरज अम्बष्ठ : मलेरिया प्रभावित राज्यों में शामिल झारखंड के लिए अच्छी खबर है। यहां मलेरिया के मामले में काफी कमी आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसी सोमवार को जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2020 में इसकी पुष्टि हुई है। यहां वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में मलेरिया के मामले में 34.96 फीसद की कमी आई है। वहीं, मौत की संख्या भी आधी हो गई है। यह केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम तथा पिछली सरकार में इसे लेकर हुए बेहतर प्रयास का नतीजा है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस बीमारी से प्रभावित वह अकेला देश है, जहां 2018 के मुकाबले 2019 में इस बीमारी के मामलों में 17.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। वहीं, झारखंड में भी मलेरिया में 34.96 फीसद की कमी आई है। यह कमी मेघालय (59.10 फीसद), ओडिशा (40.35 फीसद) तथा मध्य प्रदेश (36.50 फीसद) के बाद सबसे अधिक है। झारखंड की बात करें, तो वर्ष 2018 में यहां सामान्य मलेरिया (पीवी अर्थात प्जाजमोडियम वीवेक्स) के 57,095 मामले मिले थे, जबकि वर्ष 2019 में ऐसे मलेरिया के केस की संख्या घटकर 37,133 हो गई। इस दौरान झारखंड में प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम (पीएफ) केस में भी कमी आई है। वर्ष 2018 में ऐसे 20,711 मामले सामने आए थे, जबकि अगले वर्ष 2019 में 19,555 ही मिले। बता दें कि पीएफ मलेरिया अधिक खतरनाक होता है। इधर, वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में झारखंड में मलेरिया से मौत भी कम हुई है। वर्ष 2018 में चार मरीजों की मौत हुई थी, जबकि वर्ष 2019 में दो ही मरीजों की मौत हुई। आंकड़ों पर गौर करें तो झारखंड में वर्ष 2016 से लगातार मलेरिया के केस में कमी आ रही है। वर्ष 2016 में मलेरिया के 1,41,414 मामले ही सामने आए थे।
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मास सर्वे, डीडीटी का छिड़काव का बेहतर परिणाम :
देश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (एनएफएमई) की शुरुआत के बाद मलेरिया उन्मूलन के प्रयास में तेजी आई। इसके तहत वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक के लिए रणनीति तैयार की गई। इसके तहत जांच के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र उपलब्ध कराए गए तथा काफी लंबे समय तक टिकी रहने वाली दवा युक्त मच्छरदानियां वितरित की गईं। पूर्व राज्य मलेरिया पदाधिकारी डा. बी मरांडी की मानें तो झारखंड में विगत वर्षों में कई मास सर्वे कराकर लोगों की जांच की गई। डीडीटी छिड़काव का भी बेहतर परिणाम सामने आया। सरकारी स्तर पर मलेरिया की दी जा रही दवा भी काफी कारगर साबित हुई। -----------------
इस साल अबतक 9,164 मामले, लेकिन चार की मौत :
वर्ष 2020 में कोरोना के कारण अक्टूबर माह तक महज 15,23,211 सैंपल की ही जांच हुई। इसमें सामान्य मलेरिया के 9,164 तथा पीएफ मलेरिया के 6,043 मामले सामने आए। हालांकि इस अवधि में चार मरीजों की मौत हो गई। इस तरह, पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने मरीजों की मौत हुई।
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झारखंड में मलेरिया के कब कितने मामले :
वर्ष - सैंपल जांच - मलेरिया केस - पीएफ केस - मौत
2016 - 29,59,427 - 1,41,414 - 83,332 - 15
2017 - 34,05,735 - 94,114 - 42,982 - 00
2018 - 33,78,025 - 57,095 - 20,711 - 04
2019 - 40,82,640 - 37,133 - 19,555 - 02
2020 (अक्टूबर तक) - 15,23,211 - 9,164 - 6,043 - 04
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