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जान‍िए, इस कारण से मकर संक्रांति मनाने को लेकर लोगों में ऊहापोह की स्‍थ‍ित, क्‍या कहते हैं पंचांग

Makar Sankranti 2022 मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की तारीख को लेकर सभी लोगों में अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। ज्योतिषी के अनुसार यह कहा गया है कि पंचांग को देखते हुए (According To Calendar) लोग अपने निवास स्थान पर ही मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) मनाएं।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 07:38 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 12:12 PM (IST)
जान‍िए, इस कारण से मकर संक्रांति मनाने को लेकर लोगों में ऊहापोह की स्‍थ‍ित, क्‍या कहते हैं पंचांग
मकर संक्रांति मनाने को लेकर लोगों में अभी भी सस्पेंस बरकरार

रांची, डिजिटल डेस्क। Makar Sankranti 2022 : मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की तारीख को लेकर सभी लोगों में अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। ज्योतिषी (Astrologer) के अनुसार इस साल 14 जनवरी (14 January) और 15 जनवरी (15 January) दोनों ही दिन मकर संक्रांति मनाने के लिए दिन शुभ बन रहा है। हालांकि, ज्यादा उत्तम तिथि 14 जनवरी ही होगी। ज्योतिषी के अनुसार यह कहा गया है कि पंचांग को देखते हुए (According To Calendar) लोग अपने निवास स्थान पर ही मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) मनाएं।

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सूर्य का गोचर 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर

मकर संक्रांति के लिए उत्तम तिथि 14 जनवरी 2022 ही है। क्योकि, मार्त्तण्ड पंचांग के अनुसार सूर्य का गोचर 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर हो रहा है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सूर्यास्त से पहले हो रहा है इसलिए तिथि 14 जनवरी 2022 यानि आज का ही  दिन ज्यादा उत्तम है।

भगवान सूर्य नारायण कैसे होंगे प्रसन्न ?

पंडितों का मानना है कि मकर संक्रांति व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है। मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। संक्रांति के दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दिया जाता है। गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करने और गरीबों में दान बांटने से पुन्य की प्राप्ती होती है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा ही शुभ माना जाता है। आप सभी लोग भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

क्या है उत्तरायण और दक्षिणायन?

मकर संक्रांति व्रत उत्तरायण देवताओं का दिन होता है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि होती है। तुलनात्मक तरीके से दक्षिणायन में किए गए कार्य और उत्तरायण में किए गए कार्य में उत्तरायण अधिक मांगलिक होते हैं। ऐसा कार्य करने पर बड़ा शुभ फल देने वाले बताए गए हैं।

ऐसा भगवान श्रीकृष्ण ने ही खुद गीता में कहा

उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है ऐसा भगवान श्रीकृष्ण ने ही खुद गीता में कहा है। उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे थे। सूर्य जब मकर में प्रवेश करता है तो उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है जबकि, सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है।

15 जनवरी को लेकर, ऐसा भी है मानना

वाराणसी के पंचांगों और देश के अन्य भागों के अधिकतर पंचांगों में सूर्य का राशि परिवर्तन 14 जनवरी की रात्रि 08 बजे के बाद दिखा रहा है। अतः वाराणसी के पंचांग के अनुसार संक्रांति पर्व निर्विवाद रूप से 15 जनवरी को भी मनाया जाएगा।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सभी तरह के मांगलिक कार्य

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सभी तरह के मांगलिक कार्य जैसे यज्ञोपवीत, मुंडन, शादी-विवाह, गृहप्रवेश आदि आरम्भ हो जाएंगे। जो देवप्राण सूर्य की दक्षिणायन यात्रा के समय शक्तिहीन हो गये थे, वे अपने भक्तों-साधकों को यथोचित फल देने में सामर्थ्यवान हो जाएंगे और उनके अंदर पुनः नई ऊर्जा के साथ शक्ति का संचार हो जाएगा।

राशियों को देख, इनके अनुसार सामग्रीयों का करें दान

  • मकर : काले तिल और काले कंबल का दान करें।
  • कुंभ : गायों को हरा चारा खिलाएं। तिल दान करें।
  • मीन : मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी दान करें।
  • मेष : काले कंबल का दान करना लाभप्रद रहेगा।
  • सिंह : अशुभ प्रभाव कम करने के लिए लाल रंग का कंबल दान करें।
  • कन्या : हरे, गुलाबी रंग के वस्त्र या हरे फल दान करें।
  • तुला : श्वेत अनाज का दान करें।
  • वृश्चिक : खिचड़ी और फलों का दान करें।
  • वृषभ : श्वेत वस्त्रों का दान संकटों से रक्षा करेगा।
  • मिथुन : हरे रंग का कंबल दान करें।
  • कर्क : रंग-बिरंगे नए वस्त्र दान करें।
  • धनु : फलों और तिल का दान करना लाभप्रद रहेगा।

मकर संक्रांति पर्व पर झारखंड गवर्नर ने लोगों को दी शुभकामनाएं।  


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