झारखंड चुनाव में छाया है महाराष्ट्र का मुद्दा
झारखंड विधानसभा चुनाव अब पूरे शबाब पर है। शहर के चौक-चौराहे से लेकर कार्यालय में चर्चा हो रही है। बस में बैठे लोगों ने भी कहा महाराष्ट्र का मुद्दा छाया रहेगा।
जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव अब पूरे शबाब पर है। शहर के चौक-चौराहे से लेकर गांव की गलियों तक चुनाव के ही चर्चे हो रहे हैं। चुनाव का मूड - माहौल भांपने बुधवार को दैनिक जागरण की टीम सामान्य यात्रियों की तरह बस पर सवार हो पहुंच गई आम लोगों के बीच। रातू रोड चौराहे (किशोरी यादव चौक) से बेड़ो जा रही सिटी रायडर बस में सफर कर शहर में चल रही चुनावी हलचल का जायजा लेने की हमने कोशिश की।
बस में बैठे अधिकतर युवा अपने फोन पर मशगूल दिखे। ठस भरी बस पर हमने पास बैठे बुजुर्ग गोपाल राय से चुनावी हाल पूछ लिया। पहले तो वह चुनाव का नाम सुनते ही बिदके और सभी पार्टियों को कोसने लगे। फिर सामान्य होते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में इस बार किसी को बहुमत नहीं मिलने वाला है। यहां भी महाराष्ट्र वाला हाल होगा। इससे सहमति जताते हए बगल में बैठे रोहित कुमार कहते हैं कि अब हर चुनाव में ऐसा ही होने लगा है। जनता किसी गठबंधन को बहुमत देती है। मगर चुनाव बाद कोई और गठबंधन बन जाता है। यह जनता के साथ सरासर धोखा है। हरियाणा में यही हुआ। महाराष्ट्र में यही हो रहा है। झारखंड में भी हो सकता है। रोहित रांची यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। कहते हैं-सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को राइट टू रिकॉल प्रणाली लाने का आदेश देना चाहिए ताकि पार्टियों की मनमानी नीतियों पर अंकुश लग सके।
बिजेंद्र कुमार कहते हैं कि राज्य की स्थापना के लगभग दो दशक बाद भी अब तक हालात में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलता है। युवाओं के लिए रोजगार अभी भी बड़ी समस्या बनी हुई है। पलायन बढ़ता जा रहा है। सड़कों की स्थिति कुछ बेहतर दिख रही है मगर बाकी चीजें अब तक सही नहीं हो पाई हैं।
हमारी बातें सुन अब तक फोन में मशगूल दिख रहे युवा भी थोड़े मुखर हुए। बीच में कूदते हुए रंजीत कुमार ने कहा कि सरकार को सभी वर्गो के लिए काम करना चाहिए। भ्रष्टाचार दूर करना चाहिए, रोजगार देना चाहिए। लेकिन अब तक सभी पार्टियां इन मुद्दों से दूर ही रही हैं। लखन गोप कहते हैं कि पिछले पांच सालों से जेपीएससी की परीक्षा अटकी हुई है। धांधली के कारण प्रतियोगिता परीक्षाओं में कट ऑफ बढ़ता जा रहा है। रोजगार का मसला हर चुनाव में मुद्दा बनता है फिर भी इसकी स्थिति जस की तस है। अपराध में कमी जरूर आई है, नक्सलवाद की समस्या कम हुई है। लेकिन ट्रैफिक जाम की समस्या बढ़ी है। रातू रोड में जाम एक बड़ी समस्या है।