फिर बुरे फंसे छोटे अंसारी, मधुपुर में छोटे अंतर की जीत का ठीकरा उनके माथे फूटा...
Jharkhand News Samachar मधुपुर चुनाव में जीत का जश्न शुरू होनेवाला था कि छोटे अंसारी ने अपनी टांग अड़ा दी। अड़ाएं भी क्यों नहीं। उन्हें किसी ने पक्की खबर दी है कि जीत दर्ज करते ही भाइयों ने आंकड़े कम होने का ठीकरा छोटे अंसारी के ऊपर दे फोड़ा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News Samachar झारखंड में बीते दो विधानसभा उपचुनावों में लगातार जीत के बाद मधुपुर उपचुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जीत का परचम फहराया है। सियासी गलियारे में इस जीत के कई मायने तलाशे जा रहे हैं। एक बार फिर पूरी जोर-आजमाइश के बाद भी मधुपुर उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले भी पूर्व के उपचुनाव में बीजेपी परास्त हुई थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में परास्त होने के बाद भाजपा ने यह तीसरा मौका गंवाया और जीत का स्वाद नहीं चख पाई। यहां पढ़ें राज्य ब्यूरो के सहयोगी आशीष झा के साथ कही-अनकही...
जीत का जश्न
मधुपुर में जीत दर्ज कर चुके सत्ताधारी गठबंधन के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि इसके साथ ही सरकार के कामकाज के ऊपर उठ रहे सवाल खुद ब खुद खत्म हो गए। जीत का जश्न शुरू ही होनेवाला था कि छोटे अंसारी ने अपनी टांग अड़ा दी। अड़ाएं भी क्यों नहीं। उन्हें किसी ने पक्की खबर दे दी है कि जीत दर्ज करते ही भाइयों ने आंकड़े कम होने का ठीकरा छोटे अंसारी के ऊपर दे फोड़ा है। बाबा दरबार पहुंचकर जो बखेड़ा खड़ा कर गए उसके कारण ही वोट कम आने की बात अब छोटे अंसारी को पच नही रही। डॉक्टरी की बातें भूलकर सीधे गणित बतिया रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि बाबा के प्रताप से आंकड़े बढ़े हैं। उनकी बातों को कोई काट भी नहीं रहा। बखेड़ा बढ़ने वाला है। उम्मीद है कि अगले चुनाव तक यह बखेड़ चलते ही रहेगा। बस देखते रहिए।
वोट बड़ा या विचार
अपने भाई वोट के आधार पर जीतकर पहुंचे हैं और डॉक्टरों की संगत का लाभ भी उठा रहे हैं। महामारी नहीं आई होती ता ना जाने क्या-क्या काम करा गए होते। इस विपदा में भी काम कम नहीं कर रहे लेकिन अपने ही रोज रूठते दिखते हैं। इस दुनिया में हराने की कोशिश में नाकाम हो चुके कुछ अपने उस दुनिया में जाने का इंतजार भी नहीं कर रहे और तीसरी दुनिया में मोर्चा खोलकर बैठ गए हैं। ओपीनियन ले रहे हैं। पोल में नहीं हरा पाए तो ओपीनियन पोल में कई पटखनी लगा चुके हैं। यह भी कोई बात हुई। यहां-वहां शिकायत से भी मन नहीं भरा तो अपने दस लोगों को जुटाया और विचार पूछ लिए। ऐसे ओपीनियन से हमारे भाई घबराने वाले नहीं हैं। माना कि उनमें चाणक्य जैसी चतुराई नहीं है लेकिन पुराना बनिया होने में कोई शक भी तो नहीं।
लालबाबू ने कई पार्टियां बदलीं और कई ठिकाने भी लेकिन किस्मत की नाराजगी दूर नहीं हो रही। कभी अपनों से खतरा तो कभी दूसरों का सताना। तमाम तरीकों से लालबाबू ने पिछले डेढ़ दशक में दुख ही झेले हैं। अब पुराने ठिकाने पर लौटकर कुछ कर दिखाने का मौका मिला है तो किस्मत साथ नहीं दे रही। पंडितों ने हाथ देखा, ज्याेतिष भी लकीर देख गए लेकिन भाग्य का लिखा बदलने में देरी बढ़ती ही जा रही है। अब देखिए ना, आंकड़ों पर विश्वास कर अपने आदमी को छोड़कर दूसरे खेमे के पहलवान पर दाव लगाया लेकिन किस्मत ने फिर धोखा दे दिया। अपनों का वोट मिला और दूसरों का साथ भी लेकिन आंकड़े जीत की दहलीज से दूर ही रहे। अब कौन बताए कि किसने धोखा दिया। हम तो कहेंगे कि एक बार किस्मत की लकीरें किसी बड़े पंडित से दिखवा लें तो बेहतर।
आपराधिक चरित्रों से निकलकर राजनीति में पारी खेल रहे डा. डैंग ने जैसे ही अपनी कार की साइड मिरर को तोड़ने की बात की, लोगों ने हेडलाइट से लेकर टंकी तक तोड़ लिए हैं। इस तरह के भक्तों को समझाना तो हमारे वश में नहीं है। किसको-किसको बताएं कि डा. डैंग ने साइड मिरर इसलिए तोड़ा कि पीछे छूट गए रास्ते अब नहीं दिखेंगे लेकिन भक्तों ने वो कर लिया कि आगे का रास्ता भी नहीं दिखेगा। यहां तक तो ठीक था, कुछ ने अपनी टंकी तोड़ देने की बात की तो कुछ कार में आग लगाने का तैयार हैं। भइया डैंग भी सोच रहे होंगे कि किन बुद्धुओं के बीच अपने ज्ञान का काउंटर खोल डाला। बात जब बढ़ ही गई है तो बता दें कि अगली बार ज्ञान की कोई बात झारखंड में मत कीजिएगा वरना हड़िया पीकर बयान देने का आरोप लग जाएगा।