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भक्तों के लिए खुला मां भद्रकाली मंदिर का कपाट, थर्मल स्कैनर से जांच के बाद ही प्रवेश Chatra News

साढे छह माह बाद चतरा स्थित ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर का कपाट गुरुवार को भक्तों के लिए खोल दिया गया। मालूम हो कि कोरोना के कारण बीते 22 मार्च को मां भद्रकाली मंदिर के कपाट श्रद्धालु भक्तों के लिए बंद किए गए थे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 09:01 AM (IST)
भक्तों के लिए खुला मां भद्रकाली मंदिर का कपाट, थर्मल स्कैनर से जांच के बाद ही प्रवेश Chatra News
मंदिर प्रांगण में कोराेना गाइडलाइन का पालन करते श्रद्धालु।

इटखोरी (चतरा), जासं। झारखंड के चतरा स्थित ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर का कपाट गुरुवार को श्रद्धालु भक्तों के लिए खोल दिया गया। इसी के साथ माता रानी का दरबार मां भद्रकाली के जयकारे से गुंजायमान होने लगा। हालांकि कोरोला के संकट काल को देखते हुए कई तरह की पाबंदियों के बीच श्रद्धालु भक्तों को माता का दर्शन करना पड़ रहा है। सरकार के गाइडलाइन का अनुपालन कराने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी तत्पर नजर आ रहे हैं।

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मालूम हो कि कोरोना के कारण बीते 22 मार्च को मां भद्रकाली मंदिर के कपाट श्रद्धालु भक्तों के लिए बंद किए गए थे। तब से सिर्फ मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा का अनुष्ठान करते आ रहे थे। इसी बीच सरकार ने 8 मार्च से मंदिर के कपाट खोलने का निर्देश जारी किया। सरकार के इस निर्देश के आलोक में उपायुक्त दिव्यांशु कुमार झा के निर्देश पर अनुमंडल पदाधिकारी मुमताज अंसारी की देखरेख में पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में नई व्यवस्था बनाई गई। गुरुवार की सुबह 6:00 बजे से ही नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन के लिए मंदिर में प्रवेश मिलने लगा।

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनर से जांच करने के पश्चात ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। श्रद्धालु भक्तों के बीच दो गज की दूरी रखने के लिए मंदिर परिसर में गोले बनाए गए हैं। मंदिर के गर्भ गृह में एक वक्त में सिर्फ पांच श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जा रहा है। दर्शन पूजन के पश्चात महोत्सव स्थल के रास्ते से श्रद्धालुओं की निकासी हो रही है। गाइडलाइन का अनुपालन कराने के लिए मंदिर परिसर में चार दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किए गए हैं। सुरक्षा बल के जवान भी जगह-जगह तैनात हैं। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों के द्वारा भी अपनी सेवाएं दी जा रही है।


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