भाजपा में निकलने लगा हार का गुबार, हारे हुए विधायक बोले- भितरघात हुआ
Jharkhand. पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने हार के कारणों की समीक्षा की। हारे व जीते हुए विधायकों के साथ अलग-अलग की बैठक।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा चुनाव की समाप्ति के करीब डेढ़ माह बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से हार की समीक्षा शुरू की गई है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने रविवार को प्रदेश मुख्यालय में भाजपा के हारे और जीते हुए विधायकों के साथ अलग-अलग बैठक की। बैठक में गत विधानसभा चुनाव में खड़े पार्टी के 52 उम्मीदवार शामिल हुए।
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत कुछ विधायकों के साथ वन-टू-वन बैठक भी की। समीक्षा के क्रम में पार्टी उम्मीदवारों से स्पष्ट कहा कि हार का मुख्य कारण भितरघात रहा है। बैठक में राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह भी उपस्थित थे। संगठन के स्तर पर हुई इस अहम बैठक को लेकर विधायकों ने स्पष्ट कुछ भी बोलने से इन्कार किया। हां, भितरघात की बात अवश्य स्वीकारी। जानकी यादव ने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी में भितरघात हुआ है। सिर्फ मेरे ही नहीं अन्य क्षेत्रों में ऐसी बातें सामने आई हैं।
पार्टी ने इसे संजीदगी से लिया है और इसपर अलग-अलग स्तरों पर मंथन किया जा रहा है। वहीं, जेपी वर्मा ने कहा, सरकार ने बेहतर कार्य किया लेकिन कहीं न कहीं हम इन बातों को निचले स्तर तक नहीं ले जा सके। योगेश्वर महतो ने भी भितरघात जैसे कारणों का उल्लेख किया लेकिन यह भी कहा कि अब हमें आगे देखना होगा।
बैठक में अन्य पार्टी के हारे हुए विधायकों ने अपने क्षेत्र की स्थिति का हवाला देते हुए तमाम अन्य कारणों का भी उल्लेख किया। हालांकि प्रत्यक्ष में मीडिया से मुखातिब राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने भितरघात जैसी बात की चर्चा नहीं की। इतना अवश्य कहा कि बैठक में विधानसभा चुनाव की असफलता पर चर्चा की गई। आगे संगठन की मजबूती पर क्या किया जा सकता है, इस पर हमें काम करना है।
रघुवर सरकार ने किए एतिहासिक कार्य, भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ा : अरुण सिंह
भाजपा के महामंत्री अरुण सिंह ने भितरघात पर कहा कि हमारे यहां कार्यकर्ताओं में कुछ हद तक मदभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होते हैं। यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव को लेकर हमारी ग्राउंड रिपोर्ट अच्छी थी। रघुवर दास सरकार ने जो काम किए वैसे काम झारखंड के इतिहास में कभी नहीं हुए। विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत दो फीसद बढ़ा। भाजपा के डर के कारण सभी पार्टियां एकजुट हो गईं थी। उन्होंने कहा कि चुनाव में हार-जीत के कुछ कारण होते हैं, उन कारणों से सीख लेकर कमियों को दूर करेंगे।