स्वर्णरेखा के तट पर घोड़े के रथ पर विराजमान हैं भगवान भास्कर, यहां धूमधाम से होती है छठी मईया की पूजा
Chhath Puja 2020 रांची से 14 किमी दूर टाटीसिलवे में सूर्य मंदिर है। छठ पूजा को लेकर स्वर्णरेखा सूर्य मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर का निर्माण कराया है। सैकड़ों से ज्यादा छठ व्रती इस स्थल पर आकर पूजा करते हैं।
रांची, जासं। राजधानी रांची के टाटीसिलवे स्थित स्वर्णरेखा नदी के तट पर 2016 में भगवान भास्कर के मंदिर की स्थापना की गई थी। तब से लगातार यहां भगवान सूर्य की उपासना के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु टाटीसिलवे के सूर्य मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर के अंदर भगवान सूर्य विराजमान हैं। इनके दर्शन से मानो लगता है कि भगवान सूर्य घोड़ों के रथ पर विराजमान हैं। मंदिर के बाहर सात घोड़ों का निर्माण किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि हर समय वे दौड़ लगाने को तैयार हैं।
ठीक इसके बगल से पवित्र स्वर्णरेखा नदी प्रवाहित होती है। इसके तट पर कई सालों पहले से छठ महापर्व वृहद रूप से मनाया जाता है। सैकड़ों से ज्यादा छठ व्रती इस स्थल पर आकर पूजा करते हैं और उनके परिवार के सदस्य कई दिनों पहले से ही छठ घाट को बनाने में लग जाते हैं। छठ महापर्व को लेकर ही इस स्थल पर सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है।
स्वर्णरेखा सूर्य मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित है सूर्य मंदिर
यह सूर्य मंदिर स्वर्णरेखा सूर्य मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित है। यहां लोग दूर-दराज से पूजा करने पहुंचते हैं। ऐसे तो इस मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है लेकिन छठ पूजा में यहां पूजा करने के लिए लाइन लगाकर घंटों इंतजार करना पड़ता है। स्वर्णरेखा सूर्य मंदिर ट्रस्ट द्वारा छठ व्रतियों से स्वेच्छा से चंदा इकट्ठा कर घाटों में टेंट, साउंड, लाइट की व्यवस्था करा कर पूरे घाट को फूलों से सजाते हैं। इसके अलावा अर्घ्य से पूर्व छठ व्रतियों के बीच पूजन सामग्री, फल-फूल, दूध और अन्य चीजों का वितरण किया जाता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंदिर में करते हैं पूजा
ट्रस्ट के सदस्य केडी शर्मा ने बताया कि छठ घाट में साल भर पूर्व भव्य और विशाल सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। छठ पर्व में छठ व्रतियां सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यह काफी शुभ माना जाता है। मंदिर निर्माण के समय मंदिर के बाहर आकर्षक कलाकृति की गई है जो मंदिर की शोभा में चार चांद लगाता है।