Mushroom Farming: प्रकृति ने नहीं दिया साथ, तो काम आया अपना हाथ; जानें गरीबी को कैसे मात दे रहे ये युवा
Modern Technology in Mushroom Farming लोहरदगा के कैरो गजनी गुड़ी नरौली सढ़ाबे आदि गांवो में युवा मशरूम लगा कर अपने परिवार की माली हालत को समृद्ध बना रहे हैं।
लोहरदगा, [जागरण स्पेशल]। लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों मशरूम की खेती कर बेरोजगार युवक आत्मनिर्भर बन रहे हैं। कैरो, गजनी, गुड़ी, नरौली, सढ़ाबे आदि गांवो में लोग मशरूम लगा कर अपनी जीविकोपार्जन कर रहे हैं। वर्तमान समय में मशरूम का मूल्य बाजार में 150-200 रुपए प्रति किलोग्राम है। प्रखंड क्षेत्र के बेरोजगार युवक प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर के एक कमरे में उपजा रहे हैं मशरूम।
कैरो में जितबाहन महतो व साधो उरांव, सढ़ाबे में आशीष साहू, गुड़ी में पुष्पा कुमारी गजनी में सत्यनारायण साहू मशरूम की खेती कर रहे हैं। जिनसे प्रेरित होकर अन्य किसान भी मशरूम की खेती लगाने की बात कह रहे हैं। किसानों ने बताया कि महीने में 7-8 हजार का आय मशरूम से हो जाता है, जिससे परिवार का पालन-पोषण करने में काफी सहयोग मिलता है।
मशरूम की खेती कर रहे किसान जितबाहन महतो का कहना है कि बेरोजगार युवकों के लिए जीविकोपार्जन का बेहतर साधन है। काम पूंजी व मेहनत से किसान अपनी आय को बेहतर कर सकते हैं। सढ़ाबे गांव निवासी आशीष साहू का कहना है कि मशरूम की खेती से किसान अपनी आय में सुधार कर सकते हैं। कम लागत से बेरोजगारों के लिए आर्थिक स्थिति मजबूत करने का बेहतर विकल्प है।
मशरूम की खेती बेरोजगारों के लिए बेहतर विकल्प
प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों मशरूम की खेती को ले किसान जोर दे रहे हैं। बेरोजगार युवक अगर मशरूम की खेती को मेहनत से करें तो आय का बेहतर विकल्प हो सकता है। वर्तमान में प्रखंड के 5 से 6 किसानों द्वारा मशरूम की खेती की शुरुआत की गई है। कैरो, गजनी, सढ़ाबे, गुड़ी व नरौली गांव में एक-एक किसानों द्वारा मशरूम लगाया गया है। जिसे वे क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में बेचते हैं।
कम मेहनत में होती है मशरूम की खेती
प्रखंड क्षेत्र में मशरूम की खेती करने वाले आशीष साहू, जितबाहन महतो, सत्यनारायण साहू आदि का कहना है कि कम मेहनत में भी इसकी खेती की जा सकती है। प्रखंड क्षेत्र के युवा रांची में प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम की खेती कर रहे हैं। इसके लिए एक कमरे में मशरूम के बीज को थैले में डाल दिया जाता है। जिसमें समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। थैले में छोटे-छोटे छेद होते हैं जहां से मशरूम निकलता है, जिसे बारीकी से काटा जाता है।
क्या कहते हैं क्षेत्र के किसान
प्रखंड क्षेत्र के पांच गांवो में मशरूम की खेती किसान कर रहे हैं। शुरुआती दौर में उन्होंने छोटे फॉर्म से मशरूम की खेती करना प्रारंभ किया है। मशरूम की खेती करने वाले किसान जितबाहन महतो, सत्यनारायण साहू, आशीष साहू, पुष्पा कुमारी, साधो उरांव आदि किसानो का कहना है कि मशरूम की खेती जीविकोपार्जन के लिए बेहतर विकल्प है। कम लागत व मेहनत से मशरूम की खेती को किया जा सकता है। जिससे एक परिवार का जीवकोपार्जन आराम से हो सकता है। बाजार-हाट में इसे 150-200 रुपए तक के भाव से बेचा जा रहा है।