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बिहार और ओडिशा की तरह झारखंड में भी लागू हो रोड टैक्स की व्यवस्था

Ranchi News चैंबर अध्यक्ष ने आग्रह करते हुए कहा कि बिहार-ओडिशा की तर्ज पर झारखंड में भी त्रैमासिक रोड टैक्स की पुरानी व्यवस्था लागू की जाय ताकि कोविड की चुनौतियों से जूझ रहे व्यापार जगत को कुछ राहत मिल सके।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:18 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:18 AM (IST)
बिहार और ओडिशा की तरह झारखंड में भी लागू हो रोड टैक्स की व्यवस्था
बिहार और ओडिशा की तरह झारखंड में भी लागू हो रोड टैक्स की व्यवस्था

रांची, जागरण संवाददाता। परिवहन विभाग की समस्याओं के समाधान को लेकर विभागीय सचिव केके सोन के साथ हुई बैठक में झारखंड चैंबर आफ कामर्स के प्रतिनिधिमंडल द्वारा कहा गया कि विभाग के निर्णय के अनुसार 15 नवंबर, 2020 से प्रभावी झारखंड मोटरवाहन करारोपण अध्यादेश 2019 की अव्यवहारिक नीतियों के कारण जेसीबी, पे-लोडर एवं क्रेन मशीन मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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झारखंड में लागू हो त्रैमासिक रोड टैक्स की पुरानी व्यवस्था

प्रतिनिधिमंडल में शामिल चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि इस वजह से माइनिंग मशीनों की बिक्री 70 से 80 प्रतिशत घट गई है और बिहार-ओडिशा की बिक्री बढ़ गई है। चैंबर अध्यक्ष ने आग्रह करते हुए कहा कि बिहार-ओडिशा की तर्ज पर झारखंड में भी त्रैमासिक रोड टैक्स की पुरानी व्यवस्था लागू की जाय, ताकि कोविड की चुनौतियों से जूझ रहे व्यापार जगत को कुछ राहत मिल सके। प्रतिनिधिमंडल में चैंबर महासचिव राहुल मारू, बस ट्रांसपोर्ट उप समिति के चेयरमेन अनिश बुधिया व हेवी माइनिंग मशीनरी उप समिति के चेयरमेन अभिषेक नेमानी भी शामिल थे।

मई-जून 2021 तक के करों को माफ करने की मांग

बैठक में विभाग द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र पर एमवीआइ से प्रतिहस्ताक्षर कराने की बाध्यता के निर्णय से हो रही समस्या पर चर्चा करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग भी की गई। वहीं, चैंबर अध्यक्ष ने यह भी कहा कि प्रथम लाकडाउन की तरह अपरिचालित बसों के कर माफी की प्रक्रिया के तहत मई व जून 2021 तक के करों को भी माफ किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी सुझाया कि स्कूली बसों को तब तक रोड टैक्स से छूट दी जानी चाहिए जब तक कि स्कूल फिर से खुल नहीं जाते हैं।

परिवहन विभाग की समस्याओं को लेकर विभागीय सचिव से मिला चैंबर प्रतिनिधिमंडल

चैंबर महासचिव राहुल मारू एवं बस ट्रांसपोर्ट उप समिति के चेयरमेन अनिश बुधिया ने विभागीय सचिव को अवगत कराया कि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार और राज्य परिवहन प्राधिकार की बैठक पिछले दो वर्षों से नहीं होने के कारण गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति के साथ ही परमिट मिलने में कठिनाई हो रही है। इसी प्रकार वाहन के फिटनेस के समय स्पीड गवर्नर के वार्षिक मरम्मत या रिन्यूअल की मांग की जाती है, जो उचित नहीं है, क्योंकि वाहन मालिक वाहन के अन्य उपकरणों की तरह इसे भी ठीक रखते हैं। इसलिए इसकी मांग न की जाय। प्रतिनिधिमंडल ने विभागीय सचिव को ज्ञापन भी सौंपा। विभागीय सचिव केके सोन ने चैंबर द्वारा सुझाए गए सभी बिंदुओं पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।


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