आत्महत्या करने की सोच रहे 52 लोगों को बचाया, किसी कारण से हैं परेशान तो इस नंबर पर करें फोन...
Jharkhand Suicide Case News रांची जिला प्रशासन और सीआइपी के आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन नंबर पर लोगों ने संपर्क किया। 14 से 35 वर्ष आयु वर्ग के बीच के सर्वाधिक मामले सामने आए। इसमें पुरुषों की संख्या कहीं अधिक है।
रांची, [विश्वजीत भट्ट]। कोरोना वायरस महामारी के कारण बदले हालात लॉकडाउन में मानसिक तनाव सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा। इस दौरान आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि हुई। यह अब तक जारी है। हजारों जिंदगियां समय से पहले खत्म हो गई। अकाल मृत्यु को गले लगाने वालों में युवाओं की संख्या सर्वाधिक रही। यह स्थिति हैरान करने वाली है। इसकी रोकथाम के लिए अलग-अलग स्तर पर प्रयत्न किए जा रहे हैं। समस्या की व्यापकता को समझते हुए सामाजिक संगठनों के साथ-साथ रांची जिला प्रशासन की ओर से इस दिशा में कदम उठाए गए। पिछले 20 दिनों में इस पहल के सकारात्मक नतीजे सामने आए।
मानसिक तनाव, रोजगार के संकट, पारिवारिक विवाद व प्रताड़ना के कारण आत्महत्या करने जा रहे 52 मामलों में आगे बढ़कर समाधान पेश किया गया। जरूरत के अनुसार लोगों को रोजगार मुहैया कराने में मदद करने से लेकर मनोचिकित्सक के परामर्श तक का इंतजाम किया गया। आत्महत्या के मामलों की रोकथाम के लिए रांची जिला प्रशासन ने पहल करते हुए हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की है। केंद्रीय मन:चिकित्सा संस्थान, रांची (सीआइपी) के सहयोग से शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे कार्य कर रही है। इस पर कॉल कर लोग परामर्श ले सकते हैं।
हेल्पलाइन नंबर पर नि:शुल्क मिल रही सलाह
जिला प्रशासन और सीआइपी की संयुक्त पहल से शुरू की गई आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन पर विशेषज्ञों द्वारा सहायता उपलब्ध कराई जा रही। उदास, अवसादग्रस्त लोग हेल्पलाइन नंबर 9334915053 और 9334915046 पर कॉल कर पर निश्शुल्क सलाह ले रहे हैं। इन हेल्पलाइन नंबर पर विशेषज्ञ जरूरतमंदों की मदद के लिए मौजूद हैं। अब तक सामने आए मामलों में रात बारह बजे से सुबह चार बजे के बीच सर्वाधिक लोगों ने संपर्क किया। इसमें ज्यादातर लोगों की उम्र 14 से 35 वर्ष के बीच थी। संपर्क करने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या 50 फीसद अधिक रही।
कुछ ऐसी है स्थिति
झारखंड में कोरोना महामारी के प्रसार से अब तक आत्महत्या के मामलों में वृद्ध दर्ज की गई। स्टेट क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार मार्च से जुलाई के बीच करीब 1000 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। लाॅकडाउन के अवसाद के कारण पारिवारिक कलह, डिप्रेशन, आर्थिक तंगी इसकी बड़ी वजह रही। आत्महत्या निवारण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सृजन की रिपोर्ट को मानें तो रांची, खूंटी व रामगढ़ के कुछ इलाकों से लिए गए आंकड़े के अनुसार 10 माह में 388 लोगों ने आत्महत्याएं की। इसमें बड़ी संख्या युवाओं की रही।
माह आत्महत्या
मार्च 12
अप्रैल 26
मई 32
जून 38
जुलाई 44
अगस्त 41
सितंबर 47
अक्टूबर 53
नवंबर 49
दिसंबर 46
नोट: आंकड़े रांची, खूंटी व रामगढ़ में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सृजन की ओर से उपलब्ध कराए गए दावे पर आधारित है।
'कोरोना संक्रमण के समय लोगों के सामने आर्थिक और रोजगार की समस्या आई। इसके कारण कई लोग अवसाद में आए। आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है। प्रारंभिक चरण में ही इस पहल के फायदे दिखने लगे हैं। कठिन समय में हम अपने नागरिकों में यह विश्वास पैदा कर पाए कि जिदंगी बेहद अनमोल है, यह दोबारा नहीं मिलने वाली। हमारे प्रयास से अगर एक भी जिंदगी बचती है तो यह हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी।' -छवि रंजन, उपायुक्त, रांची।
'यह सही है कि कोरोना काल के बाद से आत्महत्या के मामले में वृद्धि हुई है। भारत सहित पूरी दुनिया के लिए यह बड़ी चिंता की वजह है। रांची सहित पूरे झारखंड में भी आत्महत्याएं बढ़ी हैं। इसके अलग-अलग कारण हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति यह है कि इसमें युवाओं की संख्या काफी है। इसकी रोकथाम के लिए सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।' -डाॅ. एके नाग, मनोचिकित्सक, रांची।