Covid Phobia Reduced: चलो काम पर, महानगरों की ओर लौटने लगे कामगार, ट्रेनों में चल रही सीट वेटिंग
Covid Phobia Reduced कोरोना की दूसरी लहर में काम धंधा छोड़कर अपने गांव लौटने वाले श्रमिक फिर अपने काम पर जाने के लिए महानगर का रुख कर रहे हैं। श्रमिक ट्रेनों के जरिए दिल्ली मुंबई पुणे बेंगलुरु आदि के लिए रवाना हो रहे हैं।
रांची [संजय सुमन] । कोरोना की दूसरी लहर में काम धंधा छोड़कर अपने गांव लौटने वाले श्रमिक फिर अपने काम पर जाने के लिए महानगर का रुख कर रहे हैं। श्रमिक ट्रेनों के जरिए दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु आदि के लिए रवाना हो रहे हैं। इसकी वजह से वह ट्रेनें जो अभी तक रांची से इन महानगरों की ओर खाली जा रही थीं, अब फुल जाने लगी हैं। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु आदि शहरों के लिए जा रही ट्रेनों में सीट नहीं मिल रही है।
इन ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट है। जबकि मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु आदि शहरों से रांची और हटिया आने वाली ट्रेनों में मुसाफिरों की संख्या कम हो गई है। झारखंड से अन्य राज्य काम की तलाश में जाने वाले मजदूरों की वापसी तेज हो गई है। यह राहत का संकेत है। मधुपुर से सूरत तक चलने वाली स्पेशल ट्रेन में पूरी सीटें फुल हो चुकी हैं। इस ट्रेन में 1700 सीटे हैं। इसके अलावा रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में थर्ड एसी में 159, फस्र्ट एसी में आठ और सेकेंड एसी में 105 बर्थ उपलब्ध हैं।
जिन ट्रेनों में प्रवासी मजदूर ज्यादा सफर करते हैं, वैसी ट्रेनों में गरीब रथ स्पेशल में 31 मई को 189, एक जून को 182 और चार जून को 67 वेटिंग चल रही है। इसके अलावा हटिया-पुणे स्पेशल ट्रेन में 31 मई को थर्ड एसी में 16 आरएसी, चार जून को 15 बर्थ और सेकेंड एसी में सात बर्थ उपलब्ध हैं। परंतु स्लीपर क्लास में 31 मई को 91 वेटिंग चल रही हैं। इसके अलावा लोक मान्य तिलक टर्मिनल-मुंबई जाने वाली स्पेशल ट्रेन में थर्ड एसी में चार जून को 141 बर्थ, 11 जून 243 बर्थ उपलब्ध हैं। परंतु स्लीपर श्रेणी में 85 वेटिंग और 11 जून को 22 वेटिंग हैं। इसके अलावा पंजाब होकर चलने वाली संबलपुर-जम्मूतवी स्पेशल ट्रेन में टू एस में 21, स्लीपर में 52, थर्ड एसी में 18, सेकेंड एसी में तीन वेटिंग चल रही हैं।
सोमवार को हटिया से पुणे जा रही हटिया पुणे स्पेशल ट्रेन में श्रमिकों की भरमार है। हर बोगी में श्रमिक बैठे दिखे। इस ट्रेन में कंस्ट्रक्शन साइट पर सिविल का वर्क करने वाले श्रमिकों में मिस्त्रियों के अलावा होटल में काम करने वाले युवक, ड्राइवर, पेंटर आदि भी पुणे जा रहे हैं। बताते हैं कि रांची और हटिया से मुंबई, दिल्ली, पुणे और बेंगलुरु जाने वाली ट्रेनों में इन दिनों श्रमिकों की ज्यादा संख्या है। रांची से दिल्ली जाने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस में भी सीट की मारामारी है। श्रम विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाहर जा रहे श्रमिक आनलाइन पंजीकरण नहीं करा हैैं। वे अपनी सुविधानुसार जा रहे हैैं।
अपने शहर से ज्यादा महानगरों में मिलता है मेहनताना
कोडरमा के सीताराम यादव ने बताया कि वह प्लास्टर मिस्त्री है। कोडरमा में काम करने के लिए उसे 600 रुपये प्रतिदिन मिलते हैैं। जबकि मुंबई में उसे 1000 रुपये प्रतिदिन मिलते हैैं। यही नहीं मुंबई में लगातार काम मिलता है। जबकि कोडरमा में काम की तलाश करनी पड़ती है और महीने में मुश्किल से 10 से 12 दिन ही काम मिल पाता है। उसके साथ मौजूद रामनरेश ने बताया कि वे लोग कंस्ट्रक्शन साइट पर ही रहते हैं। इस तरह उनका मकान का किराया भी बच जाता है। सब लोग मिलकर खाना भी बना लेते हैं। इस तरह खर्चा निकाल कर प्रतिदिन 700 रुपये बच जाते हैं। इस तरह, महीने में वे लोग 20 हजार रुपये से लेकर 22 हजार रुपये बचा लेते हैं। जबकि, अपने शहर में उनके सामने खाने तक के लाले पड़े होते हैं।
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कोडरमा में काम नियमित नहीं मिलता। साथ ही मजदूरी भी कम मिलती है। पुणे में मजदूरी ज्यादा मिलती है। इसीलिए हम लोग काम पर लौट रहे हैं।
- सुरेश यादव, कोडरमा
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महाराष्ट्र में कोरोना का प्रभाव अब कम हो गया है। जिस ठेकेदार के पास काम करते थे,उसका फोन आया है कि काम शुरू हो गया है। इसलिए हम वापस जा रहे हैं।
-आसिफ, बगोदर
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महाराष्ट्र में अब कोरोना का प्रकोप खत्म हो रहा है। मालिक का फोन आया है कि काम शुरू हो रहा है। आ जाओ। इसलिए, हम लोग वहां जा रहे हैं। अपने शहर में काम नहीं मिलता।
- तौसीफ अंसारी, बोकारो