क्या चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव के लिए जेल मैनुअल के कोई मायने नहीं?
अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इतने बवंडर के बाद आगे पेईंग वार्ड में उपचाराधीन रहने वाले लालू पर कितनी पैनी नजर रहती है क्योंकि लालू के शुभचिंतकों को उम्मीद थी कि उन्हें नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जमानत मिल जाएगी।
रांची, प्रदीप शुक्ला। चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव के बिहार भाजपा के विधायक को फोन करने के कथित ऑडियो मामले के तूल पकड़ने के साथ एक बार फिर रांची प्रशासन पर सवाल उठने खड़े हो गए हैं कि आखिर एक कैदी पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है? क्या लालू यादव के लिए जेल मैनुअल के कोई मायने नहीं हैं? क्या कोई अन्य सामान्य कैदी भी उपचार के दौरान इसी तरह की सुविधाएं ले सकता है? जेल प्रशासन के तमाम निर्देशों की अवहेलना किसके इशारे पर हो रही है? क्या अब ऑडियो वायरल होने के बाद फिर कुछ सख्ती बढ़ेगी अथवा सबकुछ पूर्व की भांति ही चलता रहेगा?
बिहार की राजनीति में पिछले दो दिनों से भूचाल की वजह बना ऑडियो बेशक नया है, लेकिन लालू पर सरकार की मेहरबानी नई नहीं है। जेल से लेकर स्थानीय प्रशासन में हर खुलासे के बाद कुछ हलचल दिखती है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात होता है, क्योंकि राज्य सरकार इस पर मौन साधे है। हां, हंगामा बढ़ने के बाद इतना जरूर हुआ है कि लालू को केली बंगले से रिम्स के पेईंग वार्ड में दोबारा शिफ्ट कर दिया गया है।
झारखंड में झामुमोनीत (झारखंड मुक्ति मोर्चा) गठबंधन सरकार में राजद भी एक सहयोगी दल है। राजद को एक मंत्रीपद भी मिला हुआ है। बिहार चुनाव में सीटों को लेकर झामुमो से खटपट के बाद ऐसा लगा था कि झामुमो और राजद के संबंधों में खटास आ सकती है और इसका असर लालू को मिल रही सुख-सुविधाओं पर पड़ सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा इसे लगातार मुद्दा बनाती रही है। बिहार विधानसभा चुनाव के समय टिकटों को लेकर यहां दिनभर मजमा लगा रहता था।
मीडिया में काफी हो-हल्ला होने के बाद स्थानीय जिला प्रशासन ने केली बंगला पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी, लेकिन लालू से मिलने वाले किसी न किसी जुगाड़ से मिल ही रहे थे। टिकटों का बंटवारा और बाद में बिहार में राजग की सरकार बनने के बाद वहां पसरा सन्नाटा अब एक बड़ी साजिश के रूप में टूटा है। बिहार के एक भाजपा विधायक से बातचीत का जो ऑडियो वायरल हुआ है, उसमें लालू सीधे प्रलोभन देने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। आवाज लालू की ही है अथवा नहीं, यह जांच का विषय हो सकता है, लेकिन इससे बिहार से लेकर झारखंड तक की राजनीति में बवाल मचा हुआ है।
किडनी व शुगर सहित कई बीमारियों से ग्रसित लालू प्रसाद को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार, होटवार रांची से 18 अगस्त 2018 को रांची के राजेंद्र प्रसाद आयुíवज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती कराया गया था। लंबे समय तक पेईंग वार्ड में भर्ती लालू को तीन अगस्त 2020 को रिम्स निदेशक के केली बंगला में स्थानांतरित किया गया था। उस समय हवाला दिया गया था कि कोरोना के चलते पेईंग वार्ड में लालू को संक्रमण का खतरा है। केली बंगला को अस्थायी कैंप जेल में परिवíतत कर दिया गया था।
बिरसा मुंडा जेल प्रशासन की ओर से लालू को तीन सेवादार दिए गए हैं। इनमें से एक इरफान अंसारी हैं, जो लालू की जरूरत का सामान बाहर से अंदर लाते हैं। इरफान अंसारी राजद के झारखंड के प्रदेश महासचिव भी हैं। दूसरा, लक्ष्मण है जो उनके भोजन की व्यवस्था देखता है और तीसरा सेवादार लालू की शारीरिक देखभाल करता है। भाजपा नेता व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू पर जेल से राजग सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जो नंबर (जिस पर लालू बात करते हैं) जारी किया था, वह इरफान अंसारी का है। वैसे लालू यादव तीनों सेवादारों के नंबर से बात करते रहे हैं।
विपक्षी दल भाजपा बीच-बीच में लालू को लेकर हेमंत सरकार पर हमला बोलती रहती है। भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने फिर दोहराया है कि राज्य में विधि-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। लालू द्वारा विधायक को प्रलोभन देना हॉर्स ट्रेडिंग का मामला है और इस पर तत्काल आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने तंज कसा कि हेमंत सरकार लालू को राजकीय अतिथि की तरह रख रही है। बिहार भाजपा और उसके सहयोगी दल भी हेमंत सरकार की लानत-मलानत कर रहे हैं।
यह भी सवाल उठ रहे थे कि अब जब झारखंड में कोरोना काफी हद तक नियंत्रण में है तो ऐसे में लालू को केली बंगला में क्यों रखा जा रहा है? इसके चलते रिम्स के नए निदेशक पद्मश्री डॉ. कामेश्वर प्रसाद को गेस्ट हाउस में रहना पड़ रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि रिम्स के नए निदेशक को बाकायदा विलंब से कार्यभार ग्रहण करने का आग्रह किया गया था। ऐसे में लालू को दोबारा पेईंग वार्ड में शिफ्ट करने की जहमत नहीं उठानी पड़ती और निदेशक जब आते तो उन्हें बंगला भी खाली मिलता।
[स्थानीय संपादक, झारखंड]