चारा घोटालाः कोर्ट में पेश हुए लालू, गवाह ने कहा-भय से नहीं की शिकायत
अदालत में सीबीआइ की ओर से पलामू जिला स्थित गारू प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने गवाही दी।
जागरण संवाददाता, रांची। डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आज सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में पेश हुए।अदालत में सीबीआइ की ओर से पलामू जिला स्थित गारू प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने गवाही दी। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने न्यायालय में उनकी गवाही दर्ज कराई। बीएमपी सिंह ने गवाही दर्ज होने से संबंधित जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि डॉ अरविंद कुमार सीबीआइ की ओर से 459वें गवाह थे। गवाही के दौरान उन्होंने कोर्ट में बताया कि तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू डॉ कामेश्वर सहाय और तत्कालीन चलंत पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा. प्रभात कुमार सिन्हा के दबाव में आकर उन्होंने पशु खाघान्न की आपूर्ती से संबंधित दो प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर किए। एक रसीद में 20 हजार क्विंटल पीली मक्का और दस हजार क्विंटल चिनिया बादाम खल्ली की आपूर्ति से संबंधित थी।
वहीं, दूसरे प्राप्ति रसीद में 30 हजार क्विंटल पीली मक्का की प्राप्ति रसीद थी। उन्होंने पूर्व में दिए बयान की पहचान भी न्यायालय के समक्ष की। बयान के कॉपी का सत्यापन भी किया। अभियुक्तों की ओर से गवाह डॉ. अरविंद कुमार से जिरह किया गया। जिरह में अधिवक्ताओं ने कई प्रश्न उनसे पूछा। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर तो किए, लेकिन उच्च पदस्थ अधिकारियों के भय से इसकी शिकायत कहीं नहीं की।
अभियुक्त के अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि वे सीबीआइ के कहने पर झूठी गवाही दे रहे हैं, लेकिन डॉ. अरविंद ने झूठी गवाही देने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वे सही गवाही दे रहे हैं। पूर्व में भी धारा 164 के तहत दिए बयान में उन्होंने यह बातें कह चुके हैं। यह मामला 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है। मामले में 115 से अधिक आरोपी ट्रायल फेस कर रहे हैं।
डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद गुरुवार को कोर्ट में हाजिर हुए। लालू प्रसाद, डॉ. आरके राणा, जगदीश शर्मा, बेक जूलियस, मो. सईद सहित न्यायिक हिरासत में रहे अन्य आरोपियों की भी पेशी हुई। मामले में पशुपालन विभाग के दो अधिकारियों की गवाही अदालत में दर्ज की गई। अदालत की पहली पाली में गढ़वा जिले के मेराल के प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. छवि नाथ मिश्रा और दूसरी पाली में महुआडाड़ के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी व जमुई के वर्तमान चलंत चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार सिंह ने गवाही दी। पहली पाली में गवाही के दौरान लालू प्रसाद कोर्ट में मौजूद थे।
गवाहों ने बताया कि खाद्यान्न की आपूर्ति किए बगैर पशुपालन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने आपूर्ति की प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराया। गवाही सीबीआइ के वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि डॉ. छविनाथ मिश्रा ने गवाही में अदालत को बताया है कि वर्ष 1993-94 के बीच उनसे पलामू के तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. कामेश्र्वर सहाय व चलंत चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रभात कुमार ने दबाव डालकर प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराया। अधिकारियों ने 30 हजार क्विंटल पीली मक्का, 20 हजार क्विंटल मूंगफली की खल्ली की रसीद पर हस्ताक्षर कराया। जबकि उस अवधि में मुफ्त पशु खाद्यान्न वितरण की कोई सरकारी योजना नहीं थी।
वहीं, दूसरे गवाह डॉ. कृष्ण कुमार सिंह ने गवाही में अदालत को बताया है कि वे वर्ष 1993 में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी महुआडाड़, पलामू में थे। उस दौरान डॉ. कामेश्र्वर सहाय व डॉ. प्रभात कुमार ने उन्हें डालटनगंज मुख्यालय बुलाया। वहां 36 हजार क्विंटल पीली मक्का की प्राप्ति रसीद पर भय व दबाव देकर हस्ताक्षर कराया, लेकिन सामाग्री नहीं मिली। इधर, दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले की सुनवाई छह फरवरी को होगी। ऐसे में लालू प्रसाद सहित अन्य आरोपियों की पेशी गुरुवार को नहीं हुई।