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रात-रातभर रोते-बिलखते हैं हैवानियत की शिकार बेटी के मां-बाप... आप भी जानें इनका दर्द

झारखंड में बच्चियों-महिलाओं से हैवानियत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन घटनाओं ने हर मां-बाप को दहला दिया है अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर वे अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे। लेकिन उन मां-बाप की तो दुनिया ही उजड़ गई है जिनकी बेटियों के साथ दरिंदगी हुई।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 12:17 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 03:49 AM (IST)
रात-रातभर रोते-बिलखते हैं हैवानियत की शिकार बेटी के मां-बाप... आप भी जानें इनका दर्द
Women Crime in Jharkhand झारखंड में बच्चियों-महिलाओं से हैवानियत की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।

रांची, जेएनएन। झारखंड में बच्चियों-महिलाओं से हैवानियत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन घटनाओं ने हर मां-बाप को दहला दिया है, अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर वे अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे। लेकिन उन मां-बाप की तो दुनिया ही उजड़ गई है, जिनकी बेटियों के साथ दरिंदगी हुई। पूरा परिवार हर दिन उस जख्म की पीड़ा सह रहा है। अबुआ राज का सपना दिखाने वालों से उनके खौफजदा चेहरे पूछ रहे हैं, क्या ऐसे ही सपना साकार होगा।

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दुमका के रामगढ़ में तीन महीने पहले ट्यूशन के लिए निकली 12 साल की मासूम बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की दिल-दहला देने वाली घटना के बाद उसके माता-पिता का हाल बेहाल है। अपनी उस बेटी की तस्वीर का ही सहारा है, जिसे वे अपने सीने से लगाकर बिलखते रहते हैं। यह भले एक परिवार की कहानी है, लेकिन ऐसा ही दर्द उन 500 आदिवासी परिवारों का है जिनकी बेटी ने ऐसी दरिंदगी झेली है। दैनिक जागरण की पूरी संवेदना पीडि़त परिवारों के साथ है। उनका दर्द हम आपके साथ बांट रहे हैं ताकि बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ आप मुखर हों और हालात में बदलाव लाने को सरकार सख्त कदम उठाए।

बेटी को याद कर तड़प उठते हैं 12 साल की मासूम के माता-पिता

दुमका के रामगढ़ की रहने वाली यह 12 साल की बच्ची पांचवीं कक्षा की छात्रा थी। यह आदिवासी किशोरी लॉकडाउन में विद्यालय बंद होने के बाद से गांव के करीब एक किमी दूर निजी शिक्षक के यहां टयूशन पढऩे जाती थी। वह 16 अक्टूबर का दिन था। सुबह आठ बजे घर से साइकिल लेकर निकली थी। 10 बजे वह वापस घर लौट रही थी। तभी तीन हैवानों ने पकड़कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। मां-बाप अपनी बेटी की तस्वीर सीने से लगाए आज तक बिलख रहे हैं। बेटी को याद कर वे तड़प उठते हैं। उन्होंने बताया कि हर समय बच्ची का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। 16 अक्टूबर का दिन हमारी जिंंदगी का काला दिन बन गया है।

इस घटना के बाद से इस गांव के लोग अपनी बेटियों को अकेले भेजने में डरते हैं। आज भी माता पिता के अलावा मृतक की चार छोटी बहनेंं उसे याद कर रो उठती हैं। स्वजनों ने बताया कि घटना के दिन देर शाम तक जब बच्ची वापस नहीं लौटी तो खोजबीन शुरू की, झाडिय़ों के पास उसका शव मिला। पुलिस का कहना है कि शव से कुछ दूरी पर तीन कंडोम पड़े थे। इससे इस बात का अंदेशा हुआ कि किशोरी के साथ तीन लोगों ने दुष्कर्म किया। इस घटना में काफी प्रयास के बाद पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया। तीसरे की तलाश हो रही है। स्वजनों के मुताबिक सभी आरोपितों को पुलिस कठोर दंड दिलाए। तभी हमारी बच्ची की आत्मा को शांति मिलेेगी और हमारे कलेजे को ठंडक। दोषियों को फांसी की सजा मिले।

बिटिया की दुष्कर्म-हत्या से टूटे परिवार के नहीं सूखे आंसू

साहिबगंज का रांगा थाना। यहींं रहती थी वह आदिवासी किशोरी। करीब तीन माह पूर्व उसके साथ हैवानियत की इंतेहा हुई। सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई। आज भी स्वजनों की आंखों के आंंसू सूखे नहीं हैं। हर घड़ी वे बेटी की याद कर रो पड़ते हैं। रांगा थाना क्षेत्र की इस किशोरी का शव 11 अक्टूबर 2020 को उसके घर से कुछ दूरी पर स्थित निर्माणाधीन छज्जे से मिला था। वह सात अक्टूबर से ही घर से गायब थी। 12 अक्टूबर को किशोरी की एक सहेली सामने आई। उसने बताया कि गांव के ही कुछ लड़कों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा।

इस मामले में पकड़े गए पांच किशोरों ने दुष्कर्म की बात स्वीकारी थी। इसके बाद उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद टूट चुके परिवार ने की खुशियां ही लुट गई है। बुधवार को जहां पूरा गांव सोहराय की तैयारियों में व्यस्त था, दरिंदों के हाथों मारी गई बच्ची के घर में सन्नाटा पसरा था। बेटी की चर्चा होते ही माता-पिता बिलखने लगे। सोते, खाते हर वक्त उसी की याद आती है। कहते हैं अगर बेटी जीवित होती तो उनके घर में भी सोहराय पर चहल-पहल होती। वह घर पर खाना बनाती थी। हम लोग काम करने बाहर जाते थे तो अपने भाई बहन को संभाला करती थी। अचानक बातें करते हुए मां फफकने लगी, बोली ऐसा घटना किसी के साथ न हो। उन्होंने बताया कि बिटिया बहुत मिलनसार थी। गांव में सभी के घर उसका आना जाना था। सबके साथ स्नेह करती थी, कभी किसी से उसका कोई झगड़ा नहीं हुआ। घर में ही नहीं अड़ोस पड़ोस के लोग भी उसकी साथ हुई ज्यादती से दुखी हैं।

हंसना भूल गई, अब घर से अकेले निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हूं

गुमला जिले के भरनो थाना क्षेत्र में रहने वाली 14 वर्षीय नाबालिग के साथ पांच माह पूर्व लोहरदगा जिले के भंडरा थाना क्षेत्र में 20 सितंबर की रात नौ युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। उस दर्दनाक घटना को पीडि़ता अब भी याद कर सिहर उठती है। यह घटना को चाहकर भी वह भूल नहीं पा रही है। हर वक्त दहशत में रहती है। हंसना भूल गई है। पांच माह के बाद भी वह घर से अकेले निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। आज भी उसकी आंखों के सामने दङ्क्षरदगी का ²श्य घूम रहा है, जब हैवान उसे नोच रहे थे। पीडि़ता कहती है कि वह घर में कुछ देर के लिए भी अकेले रहती है तो घबरा उठती है। ऐसा लगता है कोई फिर उसे जबरन उठाकर ले जा रहा है। घर के दरवाजे हमेशा बंद रखती है। कहती है कि जबतक मां और पिताजी आवाज नहीं देते, वह घर का दरवाजा नहीं खोलती है।

माता-पिता अपनी बेटी की स्थिति देखकर उस दिन को कोसते हैं, जब बेटी घर से निकली थी। दोनों इस बात को लेकर चिंता में डूबे हैं कि बेटी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो स्कूल कैसे जाएगी। वह आठवीं की छात्रा है। माता-पिता कहते हैं कि घटना को भुलाने की बहुत कोशिश करते हैं, लेकिन भूल नहीं पाते हैं। बेटी की हालत देखकर सिहर उठते हैं। अब भी मन में डर समाया हुआ है। पल भर के लिए भी बेटी को अकेले छोडऩे की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।

पहले वह पूरे गांव में अकेले घूमती थी, चहकती थी, सहेलियों से बातें किया करती थी। लेकिन घटना के बाद से हंसना ही भूल गई है। माता-पिता कहते हैं कि एक दिन न्याय जरूर मिलेगा। अब भी मन में उम्मीद है। कहते हैं, हंसती खेलती बेटी का ऐसा हाल करने वाले दरिंदों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। उनकी आंखों के सामने जब खुले चौराहे पर दरिंदों को फांसी दी जाएगी तभी उन्हें सुकून मिलेगा। इस घटना में शामिल सभी आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लेकिन उन्हें सजा नहीं हो पाई है।


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