जानिए क्या है ज्ञानोदय योजना, रांची के 44 विद्यालयों का भी हुआ चयन, स्कूलों की सुधरेगी हालत
Gyanodaya Yojana इस योजना के तहत दो प्रकार की गतिविधि की जाएगी। जिसमें 1000 स्कूलों में किताब रखने के लिए आलमारी 5 करोड़ की लागत से लगाए जाएंगे। साथ ही 1000 स्कूलों में 10-10 लकड़ी की आलमारी के लिए 5 करोड़ 35 लाख रूपए आवंटित किए गए हैं।
रांची, जागरण संवाददाता। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड सरकार ने ज्ञानोदय योजना के तहत राजकीय प्रारंभिक विद्यालयों में पुस्कालय निर्माण मद में कुल 10 करोड़ 35 लाख रूपए की स्वीकृति दी है। विभाग के सचिव राजेश कुमा शर्मा ने पत्र जारी करते हुए कहा कि विभाग द्वारा किए गए आंतरिक सर्वे और प्रथम जैसी संस्था द्वारा असर सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि राज्य के विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत विकसित की जाए। शिक्षा मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा भी अगले पांच वर्षों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए रीडिंग कैंपेन चलाने के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है।
स्कूलों की सुधरेगी हालत
इस योजना के तहत दो प्रकार की गतिविधि की जाएगी। जिसमें 1000 स्कूलों में किताब रखने के लिए आलमारी 5 करोड़ की लागत से लगाए जाएंगे। साथ ही 1000 स्कूलों में 10-10 लकड़ी की आलमारी के लिए 5 करोड़ 35 लाख रूपए आवंटित किए गए हैं। इसके अलावे सभी स्कूलों में पुस्कालय की जर्जर अवस्था को दुरूस्त करने के लिए 5 करोड़ 89 लाख 95 हजार रूपए स्वीकृत किए गए हैं। यही नहीं जनजातीय क्षेत्रीय उपयोजना क्षेत्र के लिए 02 करोड़ 89 लाख 80 हजार रूपए स्वीकृत किए गए हैं। अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना क्षेत्र के लिए 01 करोड़ 55 लाख 25 हजार रूपए आवंटित किए गए हैं। इस योजना को झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की नोडल एजेंसी के द्वारा संचालित किया जाएगा। सामग्रियों की गुणवत्ता के लिए संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रधान शिक्षक को सीधे तौर पर जोड़ा जाएगा। प्रधानाध्यापक व प्रधान शिक्षकों को किताबों की खरीदारी व निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी।
रांची जिला के 44 विद्यालयों का हुआ चयन
ज्ञानोदय योजना के तहत रांची के 44 विद्यालयों का चयन किया गया है। इसमें कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यालय शामिल हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी अरविंद विजय बिलुंग ने बताया कि प्रति विद्यालय 10, 350 रुपए आवंटित किए गए हैं। जिसमें किताब को सजा कर रखने के लिए 5000-5000 रुपए के दो सेल्फ और जूट से बने पॉकेट शामिल हैं। इन सामग्रियों की खरीदारी सभी विद्यालयों में 15 मार्च तक करनी है। जिसके बाद जिला शिक्षा अधीक्षक को उपयोगिता प्रमाण पत्र भी विभाग को भेजना है।