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तनाव को रखें दूर ताकि ठीक से धड़कता रहे दिल

हृदय से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 07:00 AM (IST)
तनाव को रखें दूर ताकि ठीक से धड़कता रहे दिल
तनाव को रखें दूर ताकि ठीक से धड़कता रहे दिल

हृदय से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रहीं हैं। चिता करने वाली बात यह है कि अब युवा भी इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। हाल ही में एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से महज 40 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। इसी तरह प्रोड्यूसर राज कौशल 49 साल की उम्र को कार्डियेक अरेस्ट हुआ था और उनकी मौत हो गई थी। ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि जब कम उम्र में ही लोग हृदय से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। यह एक तरह से अनहोनी है। कुछेक दशक पहले तक 40-45 की उम्र में हार्ट अटैक को रेयर माना जाता था। लेकिन अब यह सामान्य हो चला है। कम उम्र में ही युवा हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आज विश्व हृदय दिवस है जिसका थीम है यूज हार्ट टू कनेक्ट विथ योर हार्ट। रिस्क फैक्टर क्या हैं और कैसे हृदय की गंभीर बीमारियों से बचे, पेश है यह विशेष रिपोर्ट। संजय कुमार सिन्हा, रांची : उम्र 34 साल। हिून के रहनेवाले हैं पवन मिश्रा। हृदय की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। उनकी तीन आर्टरी में ब्लॉकेज था। पहली आर्टरी में 100 प्रतिशत, दूसरी में 90 और तीसरी में 95 प्रतिशत ब्लॉकेज था। दो आर्टरी के ब्लॉकेज को पहले हटा दिया गया, जबकि तीन दिन पहले तीसरे आर्टरी के ब्लॉकेज को भी हटाया गया। रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डा. प्रकाश कुमार कहते हैं 34 साल के इस मरीज की धूमपान करने की कोई हिस्ट्री नहीं है। हालांकि डायबिटीज और उसकी फैमिली हिस्ट्री है इस कारण वह हृदय की बीमारियों से पीड़ित है। हालांकि कम उम्र में हार्ट अटैक होना या हृदय की दूसरी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के कई कारण हैं, जिसमें दो प्रमुख कारण हैं लाइफस्टाइल में बदलाव और तनाव। अगर हम अपने खाने-पीने, रहने, सोने-उठने आदि के बारे में सजग रहें तो दिल की बीमारियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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रिम्स के ही कार्डियोलॉजिस्ट डा. प्रशांत का मानना है कई रिस्क फैक्टर हैं लेकिन कम से कम पांच ऐसे हैं जिन पर ध्यान दिया जाए तो हृदय की बीमारियों को कम किया जा सकता है या इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ये रिस्क फैक्टर हैं डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्राल, धूमपान और तनाव। रिम्स पहुंचने वाले मरीजों में ये रिस्क फैक्टर प्रमुख कारण होते हैं। लाइफस्टाइल बेहतर तो हृदय भी रहेगा स्वस्थ : डा. प्रकाश कहते हैं आज की भागमभाग भरी जिदगी में लाइफस्टाइल खराब हो गई है। यदि लाइफस्टाइल को बेहतर कर लिया जाए तो हम हृदय ही नहीं कई दूसरी बीमारियों से भी बच सकेंगे। सात ही तनावरहित जीवन से ही आप स्वस्थ रह सकते हैं। डा. प्रकाश कहते हैं आजकल तो छोटे बच्चे भी तनाव महसूस कर रहे हैं। तनाव के कारण किशोर आत्महत्या तक कदम उठा लेते हैं। ऐसा करने से उन्हें बचाया जा सकता है यदि उन्हें तनाव से दूर रखा जाए। क्रिएटिव चीजों से उन्हें जोड़ा जाए। पोस्ट कोविड में दिख रहें कई लक्षण : डा. प्रशांत बताते हैं कि पोस्ट कोविड दौर में कई मरीज हृदय की बीमारियों को लेकर आ रहे हैं। धड़कन बढ़ा होना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, सीने में दर्द, कुछ दूर चलने में ही थक जाना आदि की शिकायत मरीज करते हैं। वो बताते हैं कि मई-जून में जब कोविड अपने चरम पर था, तब कोरोना के साथ-साथ लोग हृदय की बीमारियों से भी पीड़ित होते थे। वर्तमान में प्रतिदिन ओपीडी में 100-125 मरीज हृदय से जुड़ी बीमारियों के आते हैं। जबकि इमरजेंसी कार्डियोलॉजी में 20-25 मरीज हर दिन आ रहे। ये है रिस्क फैक्टर

डायबिटीज : युवाओं में टाइप 2 डायबिटीज देखने को मिल रहा है। इसके पीछे भी लाइफस्टाइल है। अनाप-शनाप खाना, असमय भोजन करना भी इसके प्रमुख कारण हैं।

हाइपरटेंशन : यह भी युवाओं में हार्ट अटैक होने का एक कारण हो सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि हाइपटेंशन की भी फैमिली हिस्ट्री हो सकती है।

कॉलेस्ट्राल : बढ़ा हुआ कॉलेस्ट्राल भी रिस्क फैक्टर है। हृदय की धमनियों को सुरक्षित रखने के लिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

धूमपान : हृदय से जुड़ी बीमारियों में धूमपान महत्वपूर्ण कारण है। चिकित्सकों का मानना है कि तंबाकू के अंदर जो केमिकल होते हैं उनसे हृदय से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है।

तनाव : तनाव के कारण हृदय पर दबाव बढ़ा है। हालिया शोधों में स्पष्ट हुआ है कि काम से जुड़ा तनाव और हृदय से जुड़ी बीमारियों के बीच संबंध है।


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