हाईकोर्ट ने जेपीएससी की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से किया इनकार, कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
JPSC Main Exam जेपीएससी मेंस परीक्षा पर रोक लगाने वाली याचिका को झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की है कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो कोई भी परीक्षा कभी भी पूरी नहीं हो पाएगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सातवीं जेपीएससी की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया बन जाएगी। कोई भी परीक्षा पूरी नहीं हो पाएगी। हर कोई गलत उत्तर का हवाला देकर कोर्ट में याचिका दाखिल करता रहेगा। कोर्ट इसका एक्सपर्ट नहीं है, इसलिए इस मामले में अदालत कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया।
मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज
सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। इससे पहले प्रार्थी शेखर सुमन की ओर से मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने को लेकर खंडपीठ में अपील भी दाखिल की गई थी। 13 जनवरी को सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य परीक्षा की तिथि 28 जनवरी से पहले एकलपीठ को इस मामले में आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद एकलपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली थी।
गलत माडल आंसर के आधार पर परिणाम घोषित किया गया-जेपीएससी
प्रार्थी के अधिवक्ता राजेश कुमार ने अदालत को बताया था, कि जेपीएससी की ओर से गलत माडल आंसर के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया है। जेपीएससी ने इस पर आपत्ति मांगी थी। पेपर वन के छह और पेपर दो का दो मॉडल आंसर गलत है, इसलिए स्वतंत्र एक्सपर्ट कमेटी का गठन करते हुए इन मॉडल उत्तर पर परामर्श लिया जाए। तब तक मुख्य परीक्षा पर रोक लगाई जाए। जेपीएससी का कहना था कि अभ्यर्थियों की आपत्ति एक्सपर्ट कमेटी के पास भेजा गया था। कमेटी की अनुमति के बाद परिमाण जारी किया गया है। इसके बाद भी अगर किसी प्रकार की गलती की कोई संभावना होती भी है तो नियमानुसार इसका लाभ परीक्षा लेने वाले (जेपीएससी) को मिलता है, न कि अभ्यर्थी को मिलेगा।