हाई कोर्ट ने पूछा- सातवीं जेपीएससी परीक्षा की ओएमआर शीट वेबसाइट पर अपलोड हुई या नहीं
JPSC Examination सातवीं जेपीएससी परीक्षा मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने पूछा है कि ओएमआर शीट झारखंड लोक सेवा आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुई या नहीं। इस मामले में अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सातवीं जेपीएससी की नियुक्ति पूरी प्रक्रिया को रद करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा है। अदालत ने जेपीएससी से पूछा है कि सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों का ओएमआर शीट जेपीएससी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है या नहीं।
इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी
इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। इसको लेकर प्रार्थी प्रवीण कुमार चौधरी व अमित विद्यार्थी सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने अदालत को बताया कि झारखंड संयुक्त सिविल सेवा नियुक्ति नियमावली की धारा 30 के तहत आयोग को सभी अभ्यर्थियों का ओएमआर शीट वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। लेकिन अभी तक ओएमआर शीट अपलोड नहीं किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि जेपीएससी बैकडोर से अपने लोगों को एंट्री किया है और मुख्य परीक्षा का फॉर्म भी भरा दिया है। प्रार्थी ने दावा किया कि ये वही अभ्यर्थी हैं जिनका सिलसिलेवार रोल नंबर मिला था। हालांकि विरोध के बाद जेपीएससी ने परिणाम रद कर दिया। इस मामले में
जेपीएससी ने भी माना है कि 49 ओएमआर शीट नहीं मिली
जेपीएससी ने भी माना है कि 49 ओएमआर शीट नहीं मिली है। लेकिन उनकी ओर से भी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है। जबकि नियमानुसार जेपीएससी को प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए था। कहा गया कि सातवीं जेपीएससी परीक्षा के तहत राज्य के सिविल अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। ऐसे में उक्त परीक्षा में पूरी पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
जेपीएससी इस मामले में लगातार अपना स्टैंड बदल रही
लेकिन जेपीएससी इस मामले में लगातार अपना स्टैंड बदल रही है। इसलिए नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर देना चाहिए। इस दौरान जेपीएससी के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि ओएमआर शीट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इस पर अदालत ने इसकी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।