JPSC Exam: झारखंड में एक साथ होगी 4 वर्षों की जेपीएससी परीक्षा, इस सप्ताह जारी होगा विज्ञापन
Jharkhand Civil Services Exam Advertisement झारखंड में नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए इंतजार खत्म हो गया है। राज्य में 300 पदों के लिए संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा होगी। मई में परीक्षा संभावित है। जेपीएससी की तैयारी पूरी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Civil Services Exam Advertisement झारखंड लोक सेवा आयोग की संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का कई वर्षों से इंतजार कर रहे हजारों अभ्यर्थियों के लिए अच्छी खबर है। झारखंड लोक सेवा आयोग ने इस परीक्षा को लेकर सूचना जारी करने की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। कार्मिक विभाग से आयु सीमा में छूट संबंधित आदेश का पत्र मिलते ही परीक्षा की सूचना जारी कर दी जाएगी। आयोग इसी शनिवार या अगले सप्ताह की शुरुआत में इस परीक्षा का विज्ञापन जारी कर सकता है।
लगभग 300 पदों के लिए होनेवाली संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा एक साथ चार वर्षों वर्ष 2017 से 2020 तक के लिए होगी। मई माह में प्रारंभिक परीक्षा तथा सितंबर माह में मुख्य परीक्षा हो सकती है। यह परीक्षा हाल ही में गठित नियमावली के तहत होगी। आवेदन ऑनलाइन मांगे जाएंगे। एक साथ चार वर्षों की सिविल सेवा परीक्षा लेने वाला झारखंड देश का संभवत: पहला राज्य होगा। इससे पूर्व बिहार में एक साथ तीन सालों की परीक्षा ली गई है, वहीं मध्य प्रदेश में भी तीन वर्षों की परीक्षा एक साथ कराने की कवायद चल रही है।
एक अगस्त 2016 से होगी अधिकतम आयु सीमा की गणना, लगभग 10 हजार अभ्यर्थियों को लाभ
इस परीक्षा में शामिल होनेवाले अभ्यर्थियों की आयु सीमा की गणना एक अगस्त 2016 तथा न्यूनतम आयु सीमा की गणना एक मार्च 2016 होगी। वैसे नियमावली में प्रावधान है कि जिस वर्ष विज्ञापन निकलेगा, उस साल एक अगस्त को अधिकतम उम्र सीमा की अर्हता पूरी करनेवाले परीक्षा में बैठ सकेंगे। चूंकि यह परीक्षा कई वर्षों बाद हो रही है, इसलिए इसमें अधिकतम आयु सीमा में छूट देते हुए इसकी गणना एक अगस्त 2016 से करने पर राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है।
इससे लगभग 10 हजार उन अभ्यर्थियों को इसका लाभ मिलेगा, जिनकी आयु अधिक होने से परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो रहे थे। हालांकि कुछ अभ्यर्थी एक अगस्त 2011 से ही अधिकतम आयु की गणना की मांग यह कहते हुए कह रहे हैं कि पिछले वर्ष जनवरी में इस परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन में अधिकतम आयु सीमा की गणना एक अगस्त 2011 से की गई थी। गौरतलब है कि विभिन्न कारणों से झारखंड में पिछले बीस वर्षों में छह बार ही जेपीएससी परीक्षा पूरी हो पाई है। इससे हजारों अभ्यर्थियों की तय उम्र सीमा खत्म हो गई है।
आरक्षित वर्गों के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म
संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ माक्र्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है। दरअसल, पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की संख्या कट ऑफ मार्क्स के अनुसार मुख्य परीक्षा के लिए 15 गुना नहीं हो पाती थी, क्योंकि इन श्रेणियों के छात्रों को अंक कम आते हैं। अब कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता हटने से अधिक से अधिक छात्र मुख्य परीक्षा के लिए क्वालिफाई करेंगे, क्योंकि उसे उस सीमा तक घटाया जा सकेगा जिससे 15 गुना हो जाए। हालांकि इन अभ्यर्थियों को भी क्वालिफाइंग मार्क्स अनिवार्य रूप से लाना होगा। मुख्य परीक्षा में शामिल होने हेतु सामान्य वर्ग के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 40 फीसद, एससी, एसटी के लिए 32 फीसद, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 34 फीसद, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 फीसद तथा आदिम जनजाति के लिए 30 फीसद निर्धारित है।
पीटी में नहीं होगी निगेटिव मार्किंग
प्रारंभिक परीक्षा दो पत्रों सामान्य अध्ययन-एक तथा सामान्य अध्ययन-दो की होगी। दोनों पत्रों की परीक्षा में वस्तुनिष्ठ आकार के प्रश्न पूछे जाएंगे। 400 अंकों की इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग नहीं होगी। मुख्य परीक्षा 1050 अंकों की होगी जिसमें 100 अंकों का साक्षात्कार भी शामिल है। छह पत्रों की मुख्य परीक्षा में पहला पत्र मात्र अर्हक (क्वालीफाइंग) प्रकृति का होगा तथा इसके अंक नहीं जुड़ेंगे।
इन सेवाओं के लिए होगी परीक्षा
- झारखंड प्रशासनिक सेवा : 82
- झारखंड नगरपालिका सेवा : 65
- झारखंड पुलिस सेवा : 40
- झारखंड शिक्षा सेवा : 39
- झारखंड होमगार्ड सेवा : 16
- झारखंड नियोजन सेवा : 07
नोट : रिक्तियां घट-बढ़ सकती हैं।
हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रोक, सरकारी नौकरियों के खुले द्वार
राज्य सरकार के एक साथ चार सिविल सेवा परीक्षाओं की घोषणा से राजनीतिक विरोधी चुप हैं। सरकार लगातार चुनावी वादों पर अमल की दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव में किए वादों को लगातार धरातल पर उतार रहे हैं। एक ओर जहां पिछली सरकार द्वारा गठित नियोजन नीति को वापस लेकर स्थानीय युवाओं को ही रोजगार सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं सिविल सेवा परीक्षा की नियमावली बनाकर इसमें होनेवाले विवादों को खत्म करने प्रयास किया।