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तरबूज कटेगा, तो सबमें बंटेगा... बीस सूत्री का प्रसाद पाने को लग गई लंबी कतार

Jharkhand Politics News in Hindi झारखंड के लिए कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी हुआ है और आगे भी होगा - तरबूज कटेगा तो सबमें बंटेगा। इस बार तरबूज बीस सूत्री है। सभी अपनी-अपनी हिस्सेदारी तय करने में जुटे हैं। शर्त है कि सब शांति से हो जाए।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 10:35 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 03:44 AM (IST)
तरबूज कटेगा, तो सबमें बंटेगा... बीस सूत्री का प्रसाद पाने को लग गई लंबी कतार
Jharkhand Politics News in Hindi बीस सूत्री में सभी अपनी-अपनी हिस्सेदारी तय करने में जुटे हैं।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। खरमास बीतने के बाद अब झारखंड की सियासत बीस सूत्री कमेटी को लेकर गर्म हो गई है। झामुमो, कांग्रेस और राजद अपने वजन के हिसाब से इसकी दावेदारी में जुटी है। अपने-अपने हिस्‍सा के लिए दावेदारी पूरी मजबूत है। अब हफ्ते-दो हफ्ते में प्रसाद बंट जाएगा। यहां पढ़ें राज्‍य ब्‍यूरो के सहयोगी आशीष झा के साथ कही-अनकही... 

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तरबूज कटेगा, सबमें बंटेगा

झारखंड के लिए यह कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी हुआ है और आगे भी होगा - तरबूज कटेगा, तो सबमें बंटेगा। इस बार तरबूज बीस सूत्री है। सभी अपनी-अपनी हिस्सेदारी तय करने में जुटे हैं। शर्त यही है कि सब शांति से हो जाए। इसका आगाज भी ठीकठाक ही हुआ है। परेशानी यह है कि हर जगह पद चाहने वालों की लंबी कतार है। सभी अपने-अपने लोगों को इसमें घुसाने की फिराक में हैं, राजधानी से लेकर सुदूर इलाके तक। खैर, दो सप्ताह के अंदर यह तय हो ही जाएगा कि कितना हिस्सा किसको मिला। बहरहाल, कुछ लोगों ने अपने हिसाब से प्रतिशत तक बांट दिया है। ऐसे लोगों की बदौलत ही राजनीति की बिसात पर नेताओं की परीक्षा होती है। अब जो जितना प्रभावी होगा, वह उतना अधिक हिस्सा लेने में सफल होगा। लेकिन, यह भी तय है कि बड़े के हिस्से में ज्यादा ही आएगा। 

नेटवर्क में आए कुंवारे बादल

बादल के कारण मोबाइल नेटवर्क के काम नहीं करने की शिकायत अब पुरानी हो गई है। कुछ मोबाइल सुधर गए और कुछ इनमें भी बदलाव आया। नतीजा यह कि अब बिना रोक-टोक किसी तेज चैनल की तरह संवाद हो रहा है। बिल्कुल ट्वेंटी-ट्वेंटी के अंदाज में। इधर से नंबर डायल किया और उधर से जवाब बाहर। नेटवर्क में सुधार होने का सबसे बड़ा फायदा लड़की वालों को होने जा रहा है। इलाके के कई लोग अब बंधन में बांधने की फिराक में हैं और उन्हें सफलता भी मिलने वाली है। कुछ लोग इनकी तैयारी को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन, अब उनके सवाल स्वत: समाप्त होने वाले हैं। जिन्हें शक हो रहा है, उन्हें बता दें कि जिस रफ्तार से ये पूरे प्रदेश में चहलकदमी कर रहे हैं, उससे सभी सवाल भी पूरे तरह से खत्म हो गए हैं। अब सर्दी का मौसम कटे, तो निखार और आएगा। 

अब बंधेगी मुट्ठी

पुरानी कहावत है- अंगुलियों की ताकत का अहसास तभी होता है, जब सभी मिलकर मुट्ठी का रूप धारण कर लें। हाथ वाली पार्टी की चार अंगुलियां अपना-अपना जौहर दिखाने में सफल हुई हैं, लेकिन अब पांचवें की तलाश है। पांचवीं अंगुली भले ही छोटी वाली हो, लेकिन है बड़ी ही चालाक। सुनते हैं सामने वाले के पास धाक ऐसी जमी है कि सीधे अगली पंक्ति में जगह के लिए उनकी ओर से दावेदारी की जाने लगी है। भितरखाने से बाहर आ रही सूचनाओं को सही मानें, तो शीघ्र ही उन्हें अगली पंक्ति में बैठाकर पूरे प्रदेश को संदेश दिया जाएगा। अब इसके लिए भी दो दावेदार हैं और दोनों ने अपनी-अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए कार्यक्रम भी कर डाले हैं। जाहिर है इससे खुशी और भी बढ़ गई है। अब मौका मिलते ही इनकी प्रोन्नति तय ही मानिए। शुभ मुहूर्त में जल्द ही इसकी घोषणा भी तय है। 

मथुरा में सन्नाटा

इन दिनों सत्ता संगठन में नेतृत्व करने वाले लोग नए ठिकाने पर कुछ इस तरह से लीन हो गए है कि मथुरा को भूल ही गए हैं। नतीजा यह है कि मथुरा के आंगन का सूनापन बढ़ते ही जा रहा है। ऐसे में एक कोशिश की गई कि सभी को जुटाकर कुछ चहलकदमी बढ़ाई जाए। लोग जुटाए गए और चहलकदमी बढ़ी भी। लोगों को मथुरा के अच्छे दिन याद आए और याद दिलाए भी गए। सबने एक होकर मुक्त कंठ से प्रशंसा की। खैर, रात गई-बात गई की तर्ज पर अगले दिन फिर से मथुरा में सन्नाटा पसर गया। अब इस सन्नाटे को दूर करने के लिए नई तरकीब पर काम चल रहा है। कुछ लोग जगन्नाथ धाम जाकर प्रभु को प्रसन्न करने की चेष्टा में लगे हैं, ताकि वे प्रसन्न होकर मथुरा के लिए रास्ता बना दें। देखने की बात होगी कि यह कोशिश सफल होती है या नहीं।


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