Move to Jagran APP

झारखंड बनेगा सरसों किंग, सरसों अनुसंधान निदेशालय उत्‍पादन बढ़ाने में कर रहा मदद

Indian Council of Agricultural Research Ranchi इस वर्ष से आइसीएआर-राई–सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर) भरतपुर की टीएसपी योजना के तहत 6 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से सरसों की खेती को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:48 AM (IST)
झारखंड बनेगा सरसों किंग, सरसों अनुसंधान निदेशालय उत्‍पादन बढ़ाने में कर रहा मदद
4518 किसानों के 1775 हेक्टेयर भूमि में अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कराया गया।

रांची, जासं। झारखंड में सरसों फसल का उत्पादन एवं उत्पादकता काफी कम है। मगर बिरसा कृषि विवि के तहत संचालित होने वाले केवीके लगातार राज्य में सरसों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। वर्ष 2019-20 में राज्य में केवीके द्वारा सरसों की खेती को बढ़ावा के लिए 4518 किसानों के 1775 हेक्टेयर भूमि में अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कराया गया। केवीके वैज्ञानिकों के प्रयास से सरसों की अंतरफसली खेती की जगह प्रदेश के किसान शुद्ध सरसों की खेती करने लगे हैं।

loksabha election banner

वहीं इस वर्ष से आइसीएआर-राई–सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर), भरतपुर की टीएसपी योजना के तहत 6 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से सरसों की खेती को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। यह कार्यक्रम केवीके द्वारा पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, चतरा, लातेहार, रांची एवं गुमला में जिला स्तर पर चलाया जाएगा। पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, चतरा एवं लातेहार स्थित केवीके का संचालन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में आरके मिशन तथा गुमला में विकास भारती द्वारा किया जा रहा है।

कार्यक्रम के तहत हर जिले के 100 जनजातीय किसानों की 100 एकड़ भूमि में सरसों फसल पर अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण होगा। चयनित किसानों को सरसों की नवीनतम विकसित किस्म पूसा मस्टर्ड -30 के उन्नत बीज के अलावा उर्वरक, कीटनाशी व स्प्रे मशीन आदि इनपुट के रूप में प्रदान किए जाएंगे। हर जिले में केवीके द्वारा 100 किसानों को क्षमता विकास के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण, ओन फार्म ट्रेनिंग सह फील्ड डे, एक्सपोर विजिट तथा किसान मेला का आयोजन होगा।

केवीके, लातेहार के प्रधान डा महेश जरई बताते हैं कि जिले में किसानों का चयन, जागरूकता अभियान एवं बीज वितरण कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। बीएयू डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डा जगरनाथ उरांव ने बताया कि इस वर्ष आइसीएआर -अटारी की मदद से 10 कृषि विज्ञान केंद्रों में आयल सीड हब कार्यक्रम भी लागू किया जाना है। इन कार्यक्रमों को देश में घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को बढावा एवं किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।

बीएयू में आइसीएआर-डीआरएमआर अधीन संचालित अखिल भारतीय समन्वित राई -सरसों अनुसंधान परियोजना के परियोजना अन्वेषक डा अरुण कुमार के मुताबिक झारखंड के किसानों के खेतों में बीएयू द्वारा विकसित कम अवधि वाली (105-110 दिन) किस्म शिवानी के अलावा अन्य किस्मों में पूसा सरसों, पूसा अग्रणी एवं पूसा महक का सिंचित एवं असिंचित अवस्था बढिय़ा पैदावार पाया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.