इनके हौसले को कीजिए सलाम : कोरोना में भी नहीं मानी हार, सात गांवों के 525 बच्चों को पढ़ाते रहे गुरुजी
Jharkhand Teacher Anup Kesari Story हमें नाज है एक छोटे से विद्यालय के शिक्षक अनुप केसरी पर जो कोविड काल में अपने जज्बे की बदौलत 7 गांवों के 16 पोषक क्षेत्रों में 525 बच्चों को मोहल्ला क्लास से छोटे छोटे बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
रांची (कुमार गौरव)। Jharkhand Teacher Anup Kesari Story : हमें नाज है एक छोटे से विद्यालय के शिक्षक अनुप केसरी पर, जो कोविड काल में अपने जज्बे की बदौलत छोटे छोटे बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। अनुप केसरी का यह सिलसिला अप्रैल 2020 से लेकर अब तक जारी है। कोविड काल में जब सारे तंत्र फेल हो गए थे, तो इसी तंत्र के गण अपने साहस व जज्बे की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर वैसे बच्चें, जिनके पास पढ़ाई के कोई विकल्प नहीं थे, उन्हें न सिर्फ पढ़ा रहे हैं बल्कि पुस्तकें भी उपलब्ध करा रहे हैं।
आज तकरीबन 525 बच्चों को इस आइडिया का मिल रहा है लाभ
अनुप बताते हैं कि कोविड काल में पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप होने के बाद उनके दिमाग में मोहल्ला क्लास का आइडिया आया। जिसे उन्होंने अपने ही विद्यालय के कुछ शिक्षकों की मदद से अमल में लाया। जो शिक्षक जिस क्षेत्र से आते थे, उन्हें उसी क्षेत्र के एकाध मोहल्ले से जोड़ दिया गया। साथ ही दिशा निर्देश दिया गया, कि जो बच्चें मोहल्ला क्लास में किसी वजह नहीं आ पाते हैं, उन्हें आनलाइन माध्यम से भी जोड़ा जाए।
फिर क्या था, देखते ही देखते कारवां निकल पड़ा और आज तकरीबन 525 बच्चों को इस आइडिया का लाभ मिल रहा है। फिलवक्त हरातु पंचायत के 7 गांवों के 16 पोषक क्षेत्रों में 525 बच्चों को मोहल्ला क्लास से जोड़ा गया है।
हरातु और चूटिया में चल रहा मोहल्ला क्लास
बता दें कि राजकीय मध्य विद्यालय चूटिया और राजकीय मध्य विद्यालय ईद अनगढ़ा हरातु में फिलहाल मोहल्ला क्लास से बच्चों का जोड़ा गया है। इस मुहिम को और गति देने के लिए अब पुस्तक वाटिका का भी निर्माण कराया जा रहा है। पुस्तक वाटिका का संचालन इन्हीं दो विद्यालयों के परिसर में किया जाएगा।
जिसके लिए 40 बॉक्स बनाए जा रहे हैं। जिसमें पुस्तकों को सजाकर रखा जाएगा। बच्चे और अभिभावक किसी भी वक्त आकर इन बॉक्स से पुस्तक निकालकर पढ़ सकते हैं।
26 जनवरी को किया जाएगा, पुस्तक वाटिका का उदघाटन
अनुप केसरी ने बताया कि पुस्तक वाटिका का उदघाटन 26 जनवरी को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सिर्फ विद्यालय परिसर में ही नहीं बल्कि गली मोहल्ले के दिवालों से भी बॉक्स को जोड़ा जाएगा ताकि राह चलते भी लोगों को डिजिटल हो चुके इस युग में पुस्तकें नसीब हों।
पुस्तकों की चोरी न हो इसके लिए भी अनुप ने अपने ही विद्यालय के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। हरेक दो दिनों में वे खुद जाकर पुस्तक वाटिका के बॉक्स की जांच करेंगे।
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आनलाइन क्लास का भी ले रहे सहारा
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सरकारी तंत्र नहीं पहुंच सका वहां तंत्र के गण बखूबी पहुंच रहे हैं। अपने बल-बूते आनलाइन क्लास भी करा रहे हैं। यही नहीं जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, वैसे बच्चों के बीच पेन ड्राइव लेकर जाते हैं और एलईडी स्क्रीन में पेन ड्राइव लगाकर पठन पाठन की सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही छोटे छोटे बच्चों को वीडियो के माध्यम से कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है। उन्हें अच्छी तरह से हाथ की सफाई, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग, भीड़ भाड़ से दूर रहने की भी जानकारी दी जा रही है।