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Lockdown Update: झारखंड को लाॅकडाउन से लगा झटका, हर 10 में से 6 लोग बेरोजगार

Unemployment in Jharkhand लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के झारखंड आने की वजह से राज्य में बेरोजगारी दर में लगभग पांच गुना उछाल आया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 10:06 AM (IST)
Lockdown Update: झारखंड को लाॅकडाउन से लगा झटका, हर 10 में से 6 लोग बेरोजगार
Lockdown Update: झारखंड को लाॅकडाउन से लगा झटका, हर 10 में से 6 लोग बेरोजगार

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकट की वजह से झारखंड को बेरोजगारी के मोर्चे पर जूझने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। लाकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के आने की वजह से राज्य में बेरोजगारी दर की में लगभग पांच गुना उछाल आया है। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी (सीएमआइइ) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर झारखंड में बढ़ी है।

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लाॅकडाउन के पूर्व राज्य की बेरोजगारी दर 11.8 फीसद थी जो मई मध्य तक बढ़कर 59.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। हालांकि झारखंड से सटे ओडि़शा और छत्तीसगढ़ के हालात बेहतर हैैं। दोनों राज्य की बेरोजगारी दर क्रमश: 9.6 प्रतिशत और 11.3 प्रतिशत है। सवाल है कि ओडिशा, छत्तीसगढ़ जैसी भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति के बावजूद झारखंड में बेरोजगारी दर इन पड़ोसी राज्यों के मुकाबले ज्यादा क्यों! 

आर्थिक सर्वेक्षण में सिर्फ 22.8 प्रतिशत नियमित वेतन पर

आर्थिक सर्वेक्षण में राज्य में 61.3 प्रतिशत श्रमिक स्वरोजगार करते हैैं। 23.6 प्रतिशत आंशिक तौर पर नियोजित हैैं। सिर्फ 22.8 प्रतिशत श्रमिक नियमित वेतन पर नियुक्त हैैं। इसमें रोजगार का सबसे बड़ा सेक्टर कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन है जिसपर 46.75 प्रतिशत लोगों की निर्भरता है। इसके अलावा 18.54 प्रतिशत लोग कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में और 8.7 प्रतिशत श्रमिक थोक व खुदरा व्यवसाय और 7.9 प्रतिशत छोटे-मोटे काम यानी रिपेयरिंग आदि के काम में जुटे हैैं। 

कृषि और उससे जुड़े व्यवसाय ही उबारेंगे संकट से

झारखंड में बढ़ी बेरोजगार दर को पाटने का सबसे बड़ा माध्यम कृषि ही है। फिलहाल इसी पर सबसे ज्यादा फोकस राज्य सरकार का है। विशेषज्ञों के मुताबिक यही सेक्टर बड़े पैमाने पर रोजगार देने में सक्षम है। इससे जुड़े संसाधनों का भी विकास इसी माध्यम से होगा। पौधरोपण से भी लोगों को जोड़ा जा रहा है। लाकडाउन के दरम्यान बड़े पैमाने पर लौटे मजदूर इससे जुड़ रहे हैैं। इसके अलावा जल संरक्षण योजनाएं भी बड़े पैमाने पर आरंभ की गई है, जिससे लोग जुड़ेंगे तो बेरोजगारी दर में कमी आएगी। हालांकि इसमें एक बड़ा रोड़ा मेहनताना का भी है। झारखंड में सबसे कम करीब 200 रुपये मजदूरी मनरेगा में मिलती है। राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर कम से कम 300 रुपये करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। 

छत्तीसगढ़ और ओडि़शा ने विकसित किए संसाधन

झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ और ओडि़शा ने निर्माण समेत उद्योग के क्षेत्र में हाल के वर्षों में तेजी से विकास किया है। इससे वहां का श्रम संसाधन जुड़ा है और बेरोजगारी दर में कमी आई है। कई औद्योगिक घरानों के नए प्रोजेक्ट इन राज्यों में लगे हैैं। जबकि झारखंड में जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो आदि औद्योगिक क्षेत्र को छोड़ दें तो अन्य क्षेत्रों में औद्योगीकरण नहीं के बराबर है। संताल परगना, पलामू, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में उद्योग कम हैैं। हाल के वर्षों में निर्माण के क्षेत्र में भी काफी मंदी आई है।


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