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Jharkhand Politics: बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह... पढ़ें राजनीति की अंदरुनी खबर

Jharkhand Politics लोकतंत्र तो हाथवाले खेमे में ही हिलोरे ले रहा है। अपने बड़े मियां पूरे तेवर में हैं। सीधे कर दिया है जंग का एलान और लपेट लिया है सबके साथ-साथ अपने चारों माननीयों को। प्रदेश शिरोमणि को हिट विकेट तो सीएलपी को एलबीडब्ल्यू कराने पर आमादा बैठे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 08:40 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 09:29 AM (IST)
Jharkhand Politics: बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह... पढ़ें राजनीति की अंदरुनी खबर
Jharkhand Politics: कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और कार्यकारी अध्‍यक्ष इरफान अंसारी।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड की सियासत सर्दी में भी गर्म है। वार-पलटवार और बहस-मुबाहिसे के दौर के बीच पार्टियों के प्रवक्‍ता और नेता एक-दूसरे की फिरकी लेने से जरा भी नहीं चूक रहे। यहां पढ़ें राज्‍य ब्‍यूरो के सहयोगी आनंद मिश्र के साथ खरी - खरी... 

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हद से गुजर गया दर्द

लोग कितना भी वंशवाद का आरोप लगाएं, लेकिन लोकतंत्र तो हाथ वाले खेमे में ही हिलोरे ले रहा है। अपने बड़े मियां पूरे तेवर में हैं। सीधे कर दिया है जंग का एलान और लपेट लिया है सबके साथ-साथ अपने चारों माननीयों को। प्रदेश शिरोमणि को हिट विकेट तो सीएलपी को एलबीडब्ल्यू कराने पर आमादा बैठे हैं। बाकी दोनों को तो ये अपने स्टैंडर्ड का समझते ही नहीं। इनका तो बस एक ही जुमला है। पार्टी से ऊपर कोई नहीं, पार्टी हैं तो हम हैं, और जब तक हम हैं तब तक सबकी नाक में दम है। वैसे बड़े मियां संजीदा माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव से ही अपने दर्द को पाल-पोस रहे हैं। अब यह दर्द अब हद से गुजर गया है। आगे बढ़कर बैङ्क्षटग कर रहे हैं, लेकिन इसमें रिस्क भी पूरा है। पिछला याद करें। कहीं बयाना मोटा न हो जाए।

खाकी बिना अधूरी खादी

खादी चाहे जितना भी इतरा ले, अगर साथ सलामी देने वाले खाकी नहीं है तो क्या खाक है इज्जत। अब अपने फूफा जी की इसी इज्जत को तार-तार करने पर जुटे हैं आयरन हैंड वाले। बोरिया-बिस्तर समेटवा, छीन लिए खाकी वाले गार्ड। कलप कर रह गए बेचारे। लेकिन इन्हें कम न आंकें। ये खुद की जुबां अपनी खूबी बयां करते हैं, जो टेढिय़ाएगा उसे उसी की भाषा में देंगे जवाब। कर देंगे इज्जत तार-तार। बहुत संजीदा लाइनें लिखकर भेजी हैं कप्तान साहब को। थैंक्स फॉर रिवेंज का मैसेज दिया है और शुरू कर दी है बुढ़ापे में कसरत। धूप में तेल-मालिश करा ले रहे हैं विटामिन डी। तैयारी पूरी है, इनका भी टाइम आने वाला है। दूर नहीं है बजट सत्र। अपने अंदाजे बयां से दिखाएंगे खादी की ताकत। गार्ड वापस आएं या न आएं, खोया सम्मान जरूर पाएंगे।

वादा तेरा वादा

अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन चुनाव में किया गया वादा पूरा करने जा रहे हैं। वहां हर अमेरिकी को कम से कम 15 डॉलर का न्यूनतम वेतन और एक लाख देने का वादा हकीकत में बदलने वाला है। चुनाव में किए गए वादे राजनीतिक दल गंभीरता से लेते हैं और उसे पूरा भी करते हैं। यह हमारे लिए एकदम नई और अजूबी खबर है। अब तक तो हम यही जानते थे कि वादे हैं वादों का क्या। इन्हें पूरा करना घोषणापत्र की तौहीन है, राजनीति शास्त्र इस तौहीन की इजाजत कतई नहीं देता। जो बाइडेन वादा पूरा कर गलत परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं। इससे पहले कि झारखंडी जनता चुनावी वादों को लेकर संजीदा हो, हमारे राजनीतिक दलों को तत्काल प्रभाव से विश्व फोरम पर इसका विरोध दर्ज करना चाहिए। नहीं तो लोगों का राजनीति से भरोसा उठ जाएगा। 

सियासी बाजी

सियासत की बाजियां खत्म नहीं होतीं और अगर खत्म होती हैं तो तत्काल दोबारा दूसरी शुरू हो जाती हैं। तो अपने झारखंड में पिछली बाजी में जनता ने जो भी परिणाम दिए थे, अब उसे अगली बाजी में पलटने और सहेज कर रखने की जुगत तेज हो गई है। रणनीतिकार एक-दूसरे की चालों से अनजान नहीं हैैं, लिहाजा मोहरे काफी सोच समझ कर चले जा रहे हैं। फिलहाल अटैक की जगह डिफेंस की रणनीति पर जोर है। किला बनाकर मोहरों को सेफ मोड पर डाला गया है, फिर भी कुछ के चिटकने का संशय बराबर बना हुआ है। मध्य प्रदेश की तरह किला ढहेगा या राजस्थान की तरह बचेगा, सट्टा इसी पर लगा हुआ है। कुछ भी हो अपने सूबे की बात ही निराली है। यहां परिणाम उम्मीद और नाउम्मीद से इतर भी आते हैं। उछालने पर हमेशा सिक्का चित्त या पट नहीं गिरता, कभी-कभी शोले स्टाइल में खड़ा ही रह जाता है।


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