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Jharkhand: रघुवर दास बोले, सहायक पुलिसकर्मियों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही हेमंत सरकार

Jharkhand Politics पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा कि इनकी नियुक्ति से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों को लगाम लगाने में काफी मदद मिली। इन्होंने काफी ईमानदारी से काम किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 02:33 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 02:57 PM (IST)
Jharkhand: रघुवर दास बोले, सहायक पुलिसकर्मियों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही हेमंत सरकार
Jharkhand: रघुवर दास बोले, सहायक पुलिसकर्मियों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही हेमंत सरकार

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासी-मूलवासी युवक-युवतियों को नक्सलियों के चंगुल से बचाने के लिए हमारी सरकार ने अनुबंध पर सहायक पुलिस की नियुक्ति शुरू की थी। तीन साल के अनुबंध के बाद नियमित बहाली करने का लक्ष्य था। इसके लिए समुचित प्रावधान भी किए गए। आदिवासी-मूलवासियों की हितैषी होने का दावा करनेवाली वर्तमान हेमंत सरकार इन पर अत्याचार कर रही है। उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कही। वे आज रांची के मोरहाबादी मैदान में आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों से मुलाकात करने पहुंचे थे।

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उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले लगातार खबरें आती थीं कि गरीबी से त्रस्त नक्सल प्रभावित क्षेत्र के युवाओं को डराकर या बरगलाकर नक्सली अपने दस्ते में शामिल करते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने फैसला किया कि इन क्षेत्रों के युवाओं को अनुबंध के आधार पर सहायक पुलिस में भर्ती किया जाएगा। तीन साल के बाद इनकी नियुक्ति नियमित रूप में कर ली जाएगी। इनकी नियुक्ति से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने में काफी मदद मिली।

इन्होंने काफी ईमानदारी से काम किया। कोरोना के दौरान भी इनका कार्य सराहनीय रहा। अब हेमंत सोरेन की सरकार ने इनकी नियुक्ति पर रोक लगाकर इनके साथ अन्याय किया है। यह अमानवीय व्यवहार है। सरकार को संवदेनशील होकर इनकी जायज मांगें माननी चाहिए। रघुवर दास ने कहा कि झामुमो एक साल में पांच लाख नियुक्ति करने का वादा कर सत्ता में आई है। लेकिन अब उसे अपना वादा याद नहीं है। नई नियुक्तियां तो दूर की बात, हमारे समय रोजगार पाए लोग आज बेरोजगार हो रहे हैं। चाहे सहायक पुलिस हो या अन्य अनुबंधकर्मी।

इसी प्रकार स्थानीय बच्चों को नौकरी देनेवाली कंपनियां झारखंड से अपना कारोबार समेट रही हैं। सरकार की नीतियों के कारण लोग बेरोजगार हो रहे हैं। मैं सरकार से मांग करता हूं कि इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करें। जबतक प्रक्रिया चलती है, तब तक इनका अनुबंध विस्तार करें। सहायक पुलिसकर्मियों को आंदोलन करते चार दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक न तो कोई मंत्री और न ही कोई अधिकारी इनकी समस्या सुनने आया है।

उलटे इन पर एफआइआर की जा रही है। इनके परिवार वालों को धमकाया जा रहा है। लोकतंत्र में इस प्रकार का दमन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस सरकार ने आंदोलनकारी का चोला पहनकर जनता के सामने भाजपा सरकार की बदनामी की और सत्ता हासिल की। वही सरकार मुंह छिपाए घूम रही है। इन सहायक पुलिसकर्मियों के दर्द को दरकिनार कर यह सरकार अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है।

यह तपती धूप और कोरोना महामारी के बीच अपने घर से दूर छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आंदोलन करने को बाध्य हैं। राज्य सरकार एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करे, वरना भाजपा आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी। दास ने कहा कि बिहार से लौटने के बाद सहायक पुलिसकर्मियों के साथ वे भी एक दिन का सांकेतिक आंदोलन करेंगे। इस दौरान भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी संजय कुमार जायसवाल, जिला अध्यक्ष केके गुप्ता समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

इस सरकार में उलटा हो रहा

झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 के संबंध में रघुवर दास ने कहा कि मंत्रिमंडल का काम है नीतियां बनाना और ब्यूरोक्रेसी का काम है, उसे लागू कराना। लेकिन इस सरकार में उलटा हो रहा है। ब्यूरोक्रेट्स नीतियां बना रहे हैं और मंत्रिमंडल उसको लागू कर रहा है। वर्तमान सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री कहते हैं कि उन्होंने कैबिनेट में आया संलेख पढ़ा ही नहीं और यह पास हो गया। इसी तरह जब हेमंत सोरेन पिछली बार मुख्यमंत्री बने थे और सीसैट को समाप्त किया था, तब भी उन्होंने विधानसभा में माना था कि अधिकारियों ने उनसे हस्ताक्षर करवा लिए थे।

दास ने कहा कि यह बिल मेरे समय में भी राजस्व विभाग के द्वारा आया था, लेकिन इसमें आदिवासी मूलवासियों की जमीन लूटने का डर था। इस कारण दो-दो बार इसे वापस लौटा दिया गया था। झामुमो के बड़े-बड़े नेता, बिल्डर आदि ने गरीब आदिवासियों की जमीन लूटने का काम किया था। अब अपनी जमीन को बचाने के लिए उस अधिकारी पर कोई कार्यवाही ना हो, इसके लिए यह बिल लाया गया है।


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