स्टेन स्वामी की मुश्किलें बढ़ीं, पत्थलगड़ी मामले में भड़काऊ पोस्ट करने पर घर की कुर्की-जब्ती Ranchi News
स्टेन स्वामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश और भीमा कोरे गांव हिंसा से जुड़े मामले में भी आरोपित हैं। 26 जुलाई 2018 को दर्ज मामले में खूंटी और नामकुम पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
रांची, जेएनएएन। लोगों को भड़काकर कानून हाथ में लेने के लिए उकसाने और संविधान की गलत व्याख्या कर उन्हें व्यवस्था के खिलाफ विद्रोही बनाने से जुड़े पत्थलगड़ी मामले में भड़काऊ पोस्ट करने के आरोपित फादर स्टेन स्वामी के घर सोमवार को कुर्की की कार्रवाई की गई। रांची के नामकुम बगइचा निवासी स्टेन के घर से खूंटी पुलिस ने नामकुम थाने के सहयोग से टेबल, कुर्सी, अलमारी, बिस्तर सहित कई सामान जब्त किए हैं।
इससे पहले स्टेन स्वामी का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने और भीमा कोरे गांव हिंसा से भी जुड़ा था। इन दोनों मामलों में महाराष्ट्र पुलिस ने फादर स्टेन के घर दो बार छापेमारी की थी। 12 जून 2019 को महाराष्ट्र पुलिस ने उनके घर से लैपटॉप, कई सीडी कैसेट, सूटकेस व अन्य सामान जब्त किए थे। पत्थलगड़ी मामले में 28 अगस्त को हुई छापेमारी में भी पुलिस ने उनके घर से एक लैपटॉप, दो टैब, कुछ सीडी और दस्तावेज जब्त किए थे।
खूंटी थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर जयदीप टोप्पो ने बताया कि वर्ष 2018 में खूंटी में चल रहे पत्थलगड़ी विवाद के दौरान फादर स्टेन ने अपने फेसबुक वाल पर पत्थलगड़ी के समर्थन में और सरकार के विरोध में टिप्पणी पोस्ट की थी। इसके बाद 26 जुलाई 2018 को उनके खिलाफ आइपीसी की धारा 121 ए, 124 ए, आइटी एक्ट की धारा 66ए, के तहत खूंटी थाना कांड संख्या 124/18 दर्ज किया गया था।
22 सितंबर को चिपकाया था इश्तेहार
खूंटी इंस्पेक्टर के अनुसार केस दर्ज किए जाने के बाद जून 2019 में कोर्ट ने वारंट जारी किया था। इसके बाद फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के लिए खूंटी और नामकुम पुलिस ने छापेमारी की थी। इस दौरान वे फरार मिले थे। इसके बाद 22 सितंबर को स्टेन स्वामी के बगईचा स्थित आवास पर पुलिस ने इश्तेहार चिपकाया था। एक माह बाद कोर्ट से आदेश लेकर पुलिस ने उनके आवास पर कुर्की जब्ती की।
नक्सल मामले के कैदियों के लिए किया है पीआइएल
फादर स्टेन स्वामी मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उनकी पहचान रही है। वह पिछले कई दशकों से झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने विस्थापन, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर काम किया है। नक्सली के नाम पर जेल में बंद 3000 विचाराधीन कैदियों के पक्ष में उन्होंने हाईकोर्ट में पीआइएल दाखिल किया है।