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झारखंड पुलिस के निशाने पर टीएसपीसी व पीएलएफआइ के उग्रवादी, हत्‍या-लेवी में इसी संगठन का सबसे अधिक नाम

Jharkhand Police झारखंड पुलिस विधि व्यवस्था के लिए माओवादियों से ज्यादा इन्हें खतरनाक मानती है। लेवी रंगदारी व हत्या की घटनाओं में इन संगठनों के ही नाम सबसे अधिक सामने आते हैं। इन संगठनों की कोई आइडियोलॉजी नहीं है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 07:40 PM (IST)
झारखंड पुलिस के निशाने पर टीएसपीसी व पीएलएफआइ के उग्रवादी, हत्‍या-लेवी में इसी संगठन का सबसे अधिक नाम
टीएसपीसी और पीएलएफआइ के सदस्य लातेहार, चतरा से लेकर खूंटी, रांची चाईबासा तक में सक्रिय हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। लेवी, रंगदारी, अपहरण, कोयला साइडिंग पर फायरिंग व हत्या में हाल के दिनों में अगर सबसे अधिक किसी संगठन का नाम सामने आ रहा है तो वह नाम है पीपुल्स लिबरेशन फ्रंड ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी)। झारखंड पुलिस के लिए ये दोनों ही संगठन सिरदर्द बने हुए हैं। यही कारण है कि पुलिस का फोकस माओवादियों से ज्यादा इन्हीं दोनों संगठनों पर है। राज्य में विधि-व्यवस्था संधारण में पुलिस माओवादियों से ज्यादा खतरनाक इन्हीं दोनों संगठनों को मान रही है।

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भले ही इनपर उग्रवादी संगठन का ठप्पा लगा है, लेकिन वास्तव में पुलिस मुख्यालय इन्हें आपराधिक संगठन मान रहा है। राज्‍य के डीजीपी एमवी राव भी यह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि इन संगठनों की कोई आइडियोलॉजी नहीं है। ये अपराधी हैं और इनके काम का तरीका भी आपराधिक ही है। इन दोनों ही संगठनों के सदस्य हाल के दिनों में लातेहार, चतरा से लेकर खूंटी, रांची चाईबासा तक में सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ पुलिस का लगातार अभियान चल रहा है।

पुलिस के अभियान का ही परिणाम है कि हाल के दिनों में रांची व आसपास के जिलों में विगत तीन-चार माह में बढ़ी रंगदारी व लेवी की घटनाओं में डेढ़ दर्जन से अधिक आरोपित पकड़े गए। पूछताछ में इन्हीं दोनों संगठनों के आरोपित अधिक निकले, जो किसी न किसी रूप से संगठन से जुड़ गए थे।

जेल से निकलने वालों पर रहती है संगठन की नजर

पिछले दिनों बातचीत के दौरान डीजीपी इस संगठन के आइडियोलॉजी पर विस्तृत जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि चोरी, छिनतई व छोटे-मोटे अपराध में जेल जाने वाले अपराधियों पर इस संगठन की नजर रहती है। जैसे ही वे जेल से छूटकर बाहर आते हैं, संगठन के सदस्य उनसे संपर्क साधने लगते हैं और ऊंचे-ऊंचे सब्जबाग दिखाकर संगठन से जोड़ लेते हैं। संगठन के सदस्य उन्हें हथियार थमाकर अब उनपर उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ का ठप्पा लगा देते हैं। फिर शुरू हो जाता है लेवी, रंगदारी वसूलने का धंधा। देखते ही देखते छोटा अपराधी अब बड़ा कहलाने लगता है।

सूचनादाता व पुलिस की टीम में बंटेगी इनाम की राशि

दो दिनों के भीतर पीएलएफआइ के दो बड़े उग्रवादियों के मारे जाने के बाद अब उनपर रखी गई इनाम की राशि अभियान के साथियों में बंटना है। पुलिस मुख्यालय यह दावा करता है कि पोस्टर जारी करने का लाभ पुलिस को मिला और यह सफलता हाथ लगी, लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहना है कि इस पूरे अभियान में जो सूचनादाता या एसपीओ (स्पेशल पुलिस अफसर यानी पुलिस के गुप्तचर) रहे और पुलिस की टीम के बीच यह इनाम की राशि बंटेगी। पुलिस मुख्यालय अपने गुप्तचर या सूचनादाता का नाम उजागर करने से परहेज कर रहा है और यह भी खुलकर नहीं बोल रहा है कि इनाम की राशि किसे मिलेगी। इनाम की राशि गुप्त तरीके से बांटने की योजना है, ताकि उग्रवादी संगठनों को इसकी भनक न लग जाए, नहीं तो सूचनादाता की जान पर आफत आ जाएगी।

डीजीपी ने लोगों से सहयोग की अपील की

डीजीपी एमवी राव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर बुधवार को एक संदेश जारी किया है और लोगों के बीच अपना मोबाइल नंबर 9431106363 जारी कर सहयोग मांगा है। डीजीपी ने आम लोगों के बीच जारी अपने संदेश में लिखा है कि संगठित आपराधिक गिरोह के खिलाफ गहन लक्षित अभियान वांछित परिणाम दे रहे हैं। उन्होंने लोगों से राज्य में सुरक्षित वातावरण बनाने में सहयोग की अपील की है।


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