युवती का सिर काट कर ले जाने वाले का पता बतानेवाले को 25 हजार इनाम... टि्वटर पर आरोप-प्रत्यारोप
Murder in Ranchi रांची के ओरमांझी इलाके के साई नाथ यूनिवर्सिटी के पीछे युवती की हत्या के बाद सिर काट कर लाश को ठिकाने लगाने मामले में रांची पुलिस ने इनाम की घोषणा की है। आज रांची पुलिस की ओर से 25000 रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
रांची, जासं। Murder in Ranchi झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी इलाके के साई नाथ यूनिवर्सिटी के पीछे युवती की हत्या के बाद सिर काट कर लाश को ठिकाने लगाने मामले में रांची पुलिस ने इनाम की घोषणा की है। आज रांची पुलिस की ओर से 25000 रुपये का इनाम घोषित किया गया है। बताया गया है कि अपराधियों की सूचना देने वाले का नाम और पता गुप्त रखा जाएगा। इसके अलावा पुलिस ने संबंधित युवती की पहचान के लिए हुलिया की जानकारी दी है।
जिसमें बताया गया है कि युवती की उम्र लगभग 18 से 22 वर्ष के बीच की है। ऊंचाई करीब 5 फीट है, रंग गेहुआ और शरीर की बनावट दुबला पतला है। दाहिने हाथ में और दाहिने पैर में काले रंग का धागा बंधा हुआ है। दाहिना पैर के तलवे पर काला रंग का तिल और दाहिने हाथ के बांह पर काले रंग का तिल पाया गया है। इस हुलिया के जरिए पुलिस की ओर से पहचान की अपील की गई है।
रांची पुलिस ने संबंधित मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया है। रांची एसएसपी का मोबाइल नंबर 94317 06136, ग्रामीण एसपी का मोबाइल नंबर 7250514449, सिल्ली डीएसपी का नंबर 7764066357, ओरमांझी थाना प्रभारी का नंबर 9431706183 जारी किया गया है।
किशोरगंज में हंगामे के बाद शहर के अलग-अलग इलाकों में नाकेबंदी, वाहनों की हो रही जांच
राजधानी रांची के किशोरगंज में सोमवार की शाम हुए हंगामे के बाद पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड में है। देर रात करीब 1:00 बजे तक शहर के अलग-अलग इलाकों में सड़कों पर नाकेबंदी कर पुलिसकर्मियों की ओर से वाहनों की चेकिंग की गई। जगह-जगह खड़े होकर पुलिस के जवान आने जाने वाले लोगों से जानकारी ले रहे थे। पुलिस पेट्रोलिंग की गाड़ियां शहर के अधिकांश हिस्सों में भ्रमण करती हुई दिखीं।
एक सुर में सभी ने की निंदा, कहा- दोषी गिरफ्तार हों
रांची के किशोरगंज में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले को रोकने की कोशिश की एक सुर में सभी ने निंदा की है और इस मामले में कई नेताओं ने जांच की भी मांग की है। इस प्रकरण ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया और सत्ताधारी दल के कई नेता भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं जबकि भाजपा इसे सरकार की विफलता और पुलिस की कमजोरी करार दे रही है। ट्विटर पर देर रात तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी था।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने अधिकृत ट्विटर हैंडल पर लिखा है - एक आदिवासी से आख़िर क्यों डरी हुई है भाजपा। उन्हें मिटाने को हर गिरी हुई हथकंडे अपनाने से भी नहीं चूक रहें वो ? शोषितों/आदिवासियों/दलितों से आख़िर क्यूं इतनी डरती है भाजपा कि उनके हक़ों को उठाने वालों को कभी देशद्रोही बोल कर, तो कभी नीचता की हद तक गिर कर मिटाने की कोशिश करने से बाज नहीं आ रही। पार्टी ने आगे लिखा है कि झारखंड में पिछले एक साल से सिर्फ़ विकास की राजनीति हुई जहां समाज के हर वर्ग तक सुविधाएं एवं अधिकार पहुंचाने की कोशिश हुई पर अरबपतियों के पैसों के बल पर आम जनता के हक़ों को कुचलने वाली भाजपा को यह बर्दाश्त नहीं।
झामुमो के इस बयान को महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस और राजद ने भी हाथों हाथ लिया और इसी लाइन पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी। कांग्रेस के मंत्री बादल पत्रलेख ने इसे नियोजित और कायरता पूर्ण हमला करार देते हुए पुलिस से दोषी लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की है। राजद कोटे से मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने इस मामले में सीधे भाजपा को आड़े हाथों लिया है और आरोप लगाया है कि भाजपा का हाथ इसके पीछे है।
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने अपने बयान में कहा है कि लोकतांत्रिक देश में विरोध और समर्थन लोकतांत्रिक मर्यादा को ध्यान में रखकर करना चाहिए। इस तरह के हमले से हमारा समाज कमजोर होता है। कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सीन लिखती हैं - पीड़ित को इंसाफ मिले सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी है लेकिन संगठित होकर मुख्यमंत्री पर हमला निंदनीय है। यह सुनियोजित था और भीड़ में और सामाजिक लोग धार्मिक नारा लगाकर भीड़ को उकसा रहे थे। सभी के चेहरे बेनकाब होंगे।
झामुमो और कांग्रेस के नेताओं के द्वारा चौतरफा हमले के बाद भाजपा ने भी मोर्चा खोला। पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि लोकतंत्र में कानून हाथ में लेकर हिंसा और पथराव करने को किसी भी मायने में जायज नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह सवाल भी अहम है कि मुख्यमंत्री के काफिले को रोके जाने के पहले सरकार का सुरक्षा तंत्र कहां सोया हुआ था। जब मुख्यमंत्री को पता नहीं कि लोग सड़क पर मेरे विरोध में खड़े हैं तो फिर इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनका सुरक्षा तंत्र कितना विफल है। सरकार को ऐसी लापरवाही बरतने वालों पर सबसे पहले कार्रवाई करनी चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप वर्मा ने भी इसी लाइन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा है सरकार की अकर्मण्यता का विरोध होना ही था, जनता आक्रोशित है। कुल मिलाकर इस प्रकरण पर राजनीति तेज है और इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि जल्द ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से उतर कर राजनीति सड़कों पर आ जाए।