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बटाने डैम का फाटक नहीं हुआ बंद तो बंजर होने लगे झारखंड-बिहार के खेत Palamu News

Jharkhand Palamu News पलामू जिला के छतरपुर व हरिहरगंज व बिहार के औरंगाबाद-गया जिला के क्षेत्रों की हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि बंजर होने लगी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 07:34 PM (IST)
बटाने डैम का फाटक नहीं हुआ बंद तो बंजर होने लगे झारखंड-बिहार के खेत Palamu News
बटाने डैम का फाटक नहीं हुआ बंद तो बंजर होने लगे झारखंड-बिहार के खेत Palamu News

मेदिनीनगर (पलामू), [तौहीद रब्बानी]। पलामू जिला छतरपुर व हरिहरगंज की सीमा पर अवस्थित पलामू का महात्वाकांक्षी बटाने जलाशय परियोजना के वृहत डैम को अब तक प्रभावी नहीं बनाया जा सका है। पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से विस्थापितों ने इस डैम का फाटक उठा दिया है। इस कारण बरसात का पानी सीधे बहकर बटाने नदी में चला जाता है। इससे किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है। सिंचाई के अभाव में झारखंड के पलामू जिला के छतरपुर व हरिहरगंज व बिहार के औरंगाबाद-गया जिला के क्षेत्रों की हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि बंजर होने लगी है।

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अच्छी बारिश नहीं होने पर हर दो साल बाद संबंधित क्षेत्र के किसानों को सूखे की समस्या से जूझना पड़ता है। डैम का फाटक ऊपर उठा देने से डैम में पानी का ठहराव न होकर सीधे नदी में बह जाता है। इससे पानी बर्बाद हो रहा है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व इलाके के सांसद-विधायकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वैसे चुनाव के समय विधायक, सांसद से लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता डैम का फाटक गिराकर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का भरोसा दिलाते रहे हैं।

बावजूद समस्या बरकरार है। मालूम हो कि 1980 में बने इस डैम में जल संग्रह नहीं होने से किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। कुछ लोगों ने स्वार्थ में डैम के स्लूस गेट को उठाकर वेल्डिंग कर दिया हैं। इससे डैम का पानी नदी में चला जाता है। सरकार कहती है कि डैम में 6 स्लूस गेट हैं। इनमें 5 गेट बंद हैं। मुआवजे की मांग को लेकर 2002 में विस्थापितों ने एक गेट को उठाकर वेल्डिंग करा दिया है। ये लोग गेट का अन्य अधूरा यांत्रिक कार्य पूरा नहीं करने दे रहे हैं। पुनर्वास पदाधिकारी मेदिनीनगर ने 1048 में 1006 विस्थापितों का पूरा मुआवजा भुगतान कर दिया है। अब सिर्फ 42 विस्थापितों का मुआवजा बाकी है।

डूब क्षेत्र के भंडारडीह, कौवल, धोबीडीह, नावाडीह, गुलाबझरी के लिए नए सिरे से अधियाचना तैयार कर विशेष भू अर्जन पदाधिकारी को समर्पित किए जाने की बात होती रही है। 75.84 करोड़ की इस अधियाचना के लिए वर्ष 2018-19 में 6 करोड़ का आवंटन संबधित पदाधिकारी को हस्तगत कराया गया। बावजूद गेट को अब तक गिराया नहीं जा सका है। किसान अरविंद कुमार, अशोक राम आदि का कहना है कि सरकार शेष विस्थापितों को मुआवजा देकर जन अवरोध क्यों समाप्त नहीं कराती। डैम का फाटक गिर जाए तो किसानों को वांछित सिंचाई का लाभ मिलने लगेगा।


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