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डा. कफिल खान के संघर्ष की कहानी सुना रही गोरखपुर अस्पताल त्रासदी, झारखंड में लोकार्पण

Jharkhand News “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी (Gorakhpur Hospital Tragedy)” का विमोचन रांची प्रेस क्लब (Ranchi Press Club) में आइएपी प्रेसिडेंट (IAP President) शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. श्याम सिडाना सय्यद शफीन अली और डॉक्टर कफील खान (Dr Kafeel Khan) के द्वारा किया गया।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 10:31 AM (IST)
डा. कफिल खान के संघर्ष की कहानी सुना रही गोरखपुर अस्पताल त्रासदी, झारखंड में लोकार्पण
डा. कफिल खान के संघर्ष की कहानी

रांची, डिजिटल डेस्क। Jharkhand News : “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी (Gorakhpur Hospital Tragedy)” का विमोचन रांची प्रेस क्लब (Ranchi Press Club) में आइएपी प्रेसिडेंट (IAP President) शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. श्याम सिडाना, सय्यद शफीन अली और डॉक्टर कफील खान (Dr Kafeel Khan) के द्वारा किया गया।

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शिशु रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) डाॅ. श्याम सिडाना ने कहा कि कोई भी डॉक्टर कभी भी किसी मरीज़ (Patient) को मरते नहीं देख सकता। वह हर कोशिश करता है जिससे मरीज़ की जान बचा सके। उन्होंने कहा कि डॉक्टर समुदाय (Doctor Community) डॉक्टर कफ़ील के संघर्ष में हमेशा साथ खड़ा रहेगा ।

किताब के बारे में

10 अगस्त 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई। कथित तौर पर अगले दो दिनों में 80 से अधिक रोगियों ( 63 बच्चों और 18 वयस्कों) ने अपनी जान गंवा दी। इसी दौरान, कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे कनिष्ठ व्याख्याता डॉ कफील खान ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करने, आपातकालीन उपचार करने और कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, ताकि अधिक से अधिक मौत रोकी जा सके।

पहले प्रशंसा हुई फिर जेल भेज दिए गए

जब त्रासदी की खबर सुर्ख़ियों में आई तब डाक्टर कफील खान को संकट की घड़ी में डटे रहने और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर रोशनी डालने के लिए नायक कहा गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, उन्होंने खुद को निलंबित पाया और उनके सहित नौ व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सा लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके तुरंत बाद उन्हें सरसरी तौर पर जेल भेज दिया गया।

संघर्ष की कहानी है यह पुस्तक

गोरखपुर अस्पताल त्रासदी कफील खान की अगस्त 2017 वाली उस भयानक रात की घटनाओं और उसके बाद हुई उथल-पुथल की आपबीती है। अनंत: निलंबन, आठ महीने की लंबी कैद और न्याय के लिए एक अथक लड़ाई की यह कहानी है।

जानिए, कौन हैं डाक्टर कफील खान

डॉ कफील खान का जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक से बाल रोग में एमबीबीएस और एमडी पूरा करने के बाद उन्होंने गांगतोक में सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। तत्पश्चात वे एक व्याख्याता के रूप में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में शामिल हुए।

मिशन स्माइल फाउंडेशन के बैनर तले कर रहे हैं काम

अगस्त 2017 के चिकित्सा संकट के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल से निलंबन और गोरखपुर जेल से रिहा होने के बाद से, खान अपनी टीम और आम नागरिकों की मदद के साथ, डॉ कफील खान मिशन स्माइल फाउंडेशन के बैनर तले काम कर रहे हैं।

डॉक्टर्स ऑन रोड नाम से एक नई पहल की है शुरू

उन्होंने स्वास्थ्य सेवा कानून की मांग के लिए सभी के लिए स्वास्थ्य अभियान भी शुरू किया है और भारत के भीतरी इलाकों में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डॉक्टर्स ऑन रोड नाम से एक नई पहल शुरू की है।

सात महीने जेल में बिताए

जनवरी 2020 में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए खान को फिर से गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोपित किया गया। बाद में उन्होंने सात महीने जेल में बिताए।

चिकित्सा लापरवाही या भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला

1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने NSA के तहत सभी आरोपों को हटा दिया। खान को 9 नवंबर 2021 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा सेवा से निकाल दिया गया, और अभी दिसंबर 2021 के दौरान उनके खिलाफ निचली अदालतों में मामले चल रहे हैं। भले ही राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा की गई जांच में उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही या भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है।


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