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झारखंड हाईकोर्ट ने की रांची डीसी की भारी फजीहत, कहा- अबतक जितने अपराध किए, उसका केस रेकॉर्ड दें

Jharkhand CM Hemant Soren Mine Lease Case झारखंड हाई कोर्ट ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज मामले में शपथ पत्र दाखिल करने वाले रांची उपायुक्त से उनपर दर्ज केस की पूरी जानकारी मांगी है। हाई कोर्ट ने रांची उपायुक्त से कई गंभीर सवाल किए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 07:42 AM (IST)
झारखंड हाईकोर्ट ने की रांची डीसी की भारी फजीहत, कहा- अबतक जितने अपराध किए, उसका केस रेकॉर्ड दें
Jharkhand CM Hemant Soren Mine Lease Case: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन खदान लीज मामले में मुश्किल में हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand CM Hemant Soren Mine Lease Case झारखंड हाई कोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन को लीज आवंटन मामले में रांची डीसी को व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज है क्या। चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट के बताया गया कि रांची डीसी के खिलाफ कोडरमा के मरकच्चो थाने में पेड़ काटने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई।

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यह मामला अब रांची के एसीबी कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है। ऐसे में आरोपित व्यक्ति कोर्ट में कैसे शपथ पत्र दाखिल कर सकता है। इस पर अदालत ने रांची डीसी को व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दाखिल कर इस केस के संबंध में जानकारी मांगी है। अदालत ने आदेश में कहा कि वह बताएं कि क्या उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला दर्ज है और उस केस की अद्यतन स्थिति क्या है।

उक्त आदेश शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ है। बता दें कि रांची डीसी छवि रंजन ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन को खदान लीज देने के मामले में हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है। इस पर अदालत ने कहा था कि उन्हें खनन विभाग की व्यक्तिगत जानकारी कैसे हो सकती है। बीते दिन की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जो स्‍वयं अभियुक्‍त है, वह आखिर अदालत में एफिडेविट कैसे फाइल कर सकता है।

पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा के पल्‍स अस्‍पताल की भुईहरी जमीन की रिपोर्ट मिली

पल्स अस्पताल की भ़ुईंहरी जमीन से  संबंधित जांच रिपोर्ट की जानकारी तत्कालीन अपर समाहर्ता सत्येंद्र कुमार ने उपायुक्त  छवि रंजन को उपलब्ध करा दी है। वर्तमान अपर समाहर्ता राजेश कुमार बरवार के कार्यालय से फाइल गायब हो जाने के बाद तत्कालीन अपर समाहर्ता से जमीन से जुड़ी जांच रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन, संबंधित जानकारी तत्कालीन अपर समाहर्ता द्वारा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर उपायुक्त ने नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें पत्र लिखा था, ताकि तत्काल इसकी जानकारी उन्हें उपलब्ध करा दी जाए।

रिपोर्ट में है कि पल्स अस्पताल जिस जमीन में बनी है वह भुईहरी जमीन है, जमीन का कोई म्यूटेशन नहीं हुआ है और ना ही कहीं भी इसकी रसीद कटी है। इसलिए जमीन पर बनी और पल्स अस्पताल का निर्माण ही गलत है। क्योंकि  भ़ुईंहरी जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है और न ही इसका नक्शा पास हो सकता है। इसके बावजूद अस्पताल का निर्माण अवैध तरीके से किया गया । यही नहीं अंचलाधिकारी पर भी म्यूटेशन कराने के लिए कई दफा दबाव बनाया गया। इस दौरान बड़गाई सीओ के पद पर आए दोनो पदाधिकारियों पर दबाव बनाया गया था। जबकि दोनों ने इसे रिजेक्ट कर दिया था। फिलहाल रिपोर्ट के आधार पर एक बार फिर उपायुक्त के स्तर पर मामले की जांच की जाएगी। इस सिलसिले में वर्तमान अपर समाहर्ता से उपायुक्त चर्चा भी करेंगे इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि इसकी एक रिपोर्ट  राजस्व विभाग को जरूर भेजी जाएगी।

ही है 48 घंटे  बीत जाने के बाद भी रांची के उपायुक्त छवि रंजन को नहीं मिली। जबकि दो दिन पहले अपर समाहर्ता से पल्स अस्पताल की जमीन की फाइल उपायुक्त द्वारा मांगी गई थी। 48 घंटे के अंदर अपर समाहर्ता को पल्स हॉस्पिटल की भूमि से संबंधित जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट देना था। लेकिन, दो दिन तक फाइल खोजने के बाद भी नहीं मिली। अंतत: उपायुक्त ने तत्कालीन बड़गाईं के सीओ शैलेश कुमार और तत्कालीन एसी सत्येंद्र कुमार से भ़ुईंहरी जमीन की जांच रिपोर्ट मांगी है। क्योंकि उस दौरान इन्हीं दोनों अधिकारियों को भुईंहरी जमीन की जांच का जिम्मा सौंपा गया था।

जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट तत्कालीन उपायुक्त राय महिमापत रे काे सौंपी थी। उल्लेखनीय है कि पल्स अस्पताल मामले में पिछले दो दिनों से अपर समाहर्ता कार्यालय में कर्मियों द्वारा फाइल को ढूंढा जा रहा है। लेकिन, फाइल कर्मियों को नहीं मिल सका। ऐसी संभावना है कि जानबूझ कर फाइल को अपर समाहर्ता कार्यालय से गायब करा दिया गया है, ताकि रिपोर्ट का खुलासा नहीं हो सके।

अस्पताल का निर्माण भुईंहरी जमीन पर हुआ है। ऐसे में जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है । उसके आसपास की भी जमीन भी भुईंहरी है। इसके बाद भी जालसाजी करके जमीन की खरीद की गई और पल्स अस्पताल का निर्माण किया गया। मामला प्रकाश में आने के बाद सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर ही इसकी जांच कराई गई थी। मगर मामले पर लीपापोती कर दी गयी। फिलहाल इस मामले को लेकर एक बार फिर से जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है, ताकि पल्स अस्पताल को लेकर कोई उचित कार्रवाई कर सके।


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