Jharkhand के सबसे बड़े दलाल राजीव सिंह के इन चेहरों को देखें, मंत्री और IPS से हैं घनिष्ठ संबंध... पढ़ें- कच्चा चिट्ठा
Jharkhand News Jharkhand Samachar रांची में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में गिरफ्तार राजीव सिंह पुलिस अफसरों का चहेता था। सीनियर आइपीएस अधिकारियों के चैंबर में आम लोगों को प्रवेश करने के लिए जहां पापड़ बेलने पड़ते हैं वहां यह राजीव सिंह बेरोकटोक पहुंचता था।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News, Jharkhand Samachar रांची में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में गिरफ्तार राजीव सिंह पुलिस अफसरों का चहेता है। सीनियर आइपीएस अधिकारियों के चैंबर में आम लोगों को प्रवेश करने के लिए जहां पापड़ बेलने पड़ते हैं, वहां यह राजीव सिंह बेरोकटोक पहुंचता है। सीनियर अफसरों से प्रगाढ़ रिश्ते का हवाला देकर जूनियर अधिकारियों पर अपना प्रभाव जमाता है। कौन अधिकारी का स्थानांतरण कहां होगा, यह पहले ही प्रचारित करता था।
राजीव सिंह का मुख्य अड्डा पुलिस मुख्यालय, सीआइडी मुख्यालय से लेकर सीसीएल मुख्यालय तक था। राजीव सिंह के चहेते सीनियर पुलिस अफसरों में कई तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन अब भी कुछ बचे हैं, जहां इसकी अच्छी पकड़ है। उनकी बदौलत यह अपना रौब- प्रभाव जमाता रहा है। कई पदाधिकारियों ने तो पूर्व में इसका विरोध भी किया और चैंबर में फटकार भी लगाई और चैंबर से बाहर भी निकाल दिया था।
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राजीव सिंह को पहले एक बॉडीगार्ड भी मिला हुआ था, जिसे यह अपने साथ लेकर चलता था। कहीं खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी, तो कहीं पत्रकार बताता था। इसके पास विभिन्न समाचार पत्रों व संस्थाओं से संबंधित पहचान पत्र भी है। जो परिस्थिति सामने आती है, उसके अनुसार यह व्यक्ति खुद को प्रस्तुत करता है और अपना काम निकालता है। उसने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता भी घोषित कर रखा था।
साक्ष्य जुटाने में लगा रहा पुलिस-प्रशासन
राजीव सिंह की गिरफ्तारी पांच रेमडेसिविर इंजेक्शन को 1.10 लाख रुपये के बेचने के बाद हुई है। उसकी कार को भी पुलिस ने बरामद किया है, जिसे उसने मिनी अस्पताल नाम दिया था। कार में ऑक्सीजन, पीपीई किट, ग्लव्स, फेस शिल्ड, मास्क सहित कई अन्य सामान व जीवन रक्षक दवाएं हैं। औषधि विभाग की टीम भी पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
जांच के बिंदु, रेमडेसिविर अस्पताल सप्लाई के लिए था तो राजीव के पास कैसे आया
सरकार ने रेमडेसिविर की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इस दवा की सप्लाई अस्पताल को होती है। ऐसी स्थिति में यह दवा राजीव के पास कैसे पहुंची, इसकी भी पड़ताल की जा रही है। राजीव ने अरगोड़ा के एक दवा कारोबारी से दवा खरीदने की जानकारी दी है, जिसकी जांच हो रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं किसी अस्पताल से साठगांठ कर राजीव ने यह दवा तो नहीं ले ली थी। छानबीन के बाद ही इस रहस्य से पर्दा हट पाएगा।
राजीव कुमार की मंत्री और आईपीएस के साथ की तस्वीर वायरल
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में पकड़े गए राजीव कुमार के साथ की दो तस्वीरें वायरल हुई है। जिसमें एक तस्वीर में मंत्री मिथिलिश ठाकुर सहित अन्य नजर आ रहे। जबकि दूसरी तस्वीर में आईपीएस प्रशांत सिंह नजर आ रहे हैं। इन दोनों तस्वीरों के बारे में बताया जा रहा है कि 6 मार्च 2021 को कांके रोड स्थित फ्लैट में राजीव कुमार ने गृह प्रवेश का कार्यक्रम रखा था उसी कार्यक्रम में आईपीएस व मंत्री शामिल हुए थे।
पकड़े जाने के बाद से ही यह बातें लगातार सामने आती रही है कि राज्य के कई आईपीएस और मंत्रियों का करीबी है। खुद को बताता था पुलिस अधिकारी, कभी पत्रकारराजीव कुमार खुद को कभी पुलिस अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता था। कभी खुद को वह एक राष्टीय स्तर के प्रतिष्ठित अखबार का पत्रकार भी बताता था। कहीं-कहीं खुद को स्पेशल ब्रांच का डीएसपी तो कभी किसी के पास खुद को एसपी बताता था।
अपनी कार में राजीव कुमार ने वीआइपी पास लगा रखा है। बताया जा रहा है कि इस आरोपित के पकड़े जाने के बाद राज्य के कई आईपीएस अधिकारियों ने रांची पुलिस से छोड़ने की सिफारिश की। हालांकि मीडिया पर चल रही लगातार खबरों को देखते हुए रांची पुलिस ने सिफारिश को दरकिनार कर दिया।
निजी अस्पताल की मिलीभगत से रेमडेसिविर इंजेक्शन की हेराफेरी
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मामला सामने आने के बाद से ही पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। कालाबाजारी के आरोप में पकड़े गए राजीव कुमार सिंह से पूछताछ में सामने आया है कि अरगोड़ा चौक स्थित मेडिसिन पॉइंट नाम की मेडिकल स्टोर के संचालक ने उसे यह इंजेक्शन उपलब्ध करवाया था। मेडिकल स्टोर संचालक का नाम राकेश कुमार रंजन है। उसे भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। अब राकेश से पूछताछ में सामने आया है कि उसे हिनू स्थित सृष्टि नर्सिंग होम के माध्यम से इंजेक्शन प्राप्त हुआ था।
ऐसे में पुलिस यह मान कर चल रही है कि अस्पताल की मिलीभगत से इंजेक्शन की हेर-फेर की गई। पुलिस की जांच में अस्पताल का नाम सामने आने के बाद ही उसको छानबीन शुरू कर दी गई है। हालांकि पुलिस और जांच कर रहे अधिकारी द्वारा बरामद इंजेक्शन की बैच नंबर का मिलान कर यह देखा जाएगा कि संबंधित इंजेक्शन किस अस्पताल और किस मरीज के लिए अलॉट किया गया था। रिकॉर्ड में सृष्टि अस्पताल का नाम आने के बाद उसे जांच के दायरे में लाया जाएगा। फिलहाल पुलिस बैच नंबर से अलॉटमेंट का पता लगा रही है।
आशंका है कि अस्पताल में मरीज को कागज पर इंजेक्शन देने की रिकॉर्ड चढ़ाते हुए इसकी हेराफेरी की और काला बाजार में इसे भेजा गया है। चूंकि इंजेक्शन पूरी तरह सरकार की निगरानी में स्वास्थ्य विभाग अस्पताल को अलॉट कर रही है। अस्पताल को भी मरीजों के दिए जाने का रिकॉर्ड सरकार को उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी दी गई है। ऐसे में अस्पताल की मिलीभगत से ही यह इंजेक्शन इधर से उधर किया जा सकता है। इस अंदेशे पर पुलिस ने हर बिंदु पर छानबीन शुरू कर दी है। अस्पताल प्रबंधन की भूमिका भी खंगाला जा रहा है।
बैच नंबर से खुलेगा राज, अस्पताल प्रबंधन के अलावा अधिकारियों पर भी आ सकती है आंच
कालाबाजारी के खेल में इंजेक्शन अलॉट करने के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी जांच की आंच आ सकती है। हालांकि यह देखा जाएगा कि संबंधित इंजेक्शन का बैच नंबर किस अस्पताल को अलॉट किया गया है। अलॉट करने में कहीं अधिकारियों के स्तर पर लापरवाही या सांठगांठ तो नहीं रही है। इस बिंदु पर भी जांच चल रही है। यह भी देखा जा रहा है कि जिस मेडिकल स्टोर संचालक राकेश कुमार रंजन को हिरासत में लिया गया है, वह किस तरह इंजेक्शन को इस अस्पताल के माध्यम से प्राप्त किया है।
मेडिसिन पॉइंट पर भी पुलिस ने की छापेमारी
इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में राजीव कुमार के द्वारा राकेश कुमार का नाम सामने आने के बाद मेडिसिन पॉइंट के संचालक राकेश कुमार को हिरासत में ले लिया गया है। इसके बाद पुलिस ने उसकी मेडिसिन पॉइंट नाम की दवा दुकान पर भी छापेमारी की। हालांकि छापेमारी में संबंधित इंजेक्शन के मिलने के बाद सामने नहीं आ रही है। अब पुलिस इस इंजेक्शन के मिलने की पूरी चेन खंगाल रही है।