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Jharkhand News: हिरणों की मौत से चेते वनकर्मी, लगाए जाएंगे ट्रेन रफ्तार मापक यंत्र

Jharkhand News पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र में 31 अगस्त को मालगाड़ी की चपेट में आने से छह हिरणों की कटकर मौत के बाद अब वन विभाग इस मुद्दे पर गंभीर हो गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 08:44 AM (IST)
Jharkhand News: हिरणों की मौत से चेते वनकर्मी, लगाए जाएंगे ट्रेन रफ्तार मापक यंत्र
Jharkhand News: हिरणों की मौत से चेते वनकर्मी, लगाए जाएंगे ट्रेन रफ्तार मापक यंत्र

मेदिनीनगर (पलामू) जासं। झारखंड के पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र में 31 अगस्त को मालगाड़ी की चपेट में आने से छह हिरणों (दो गर्भस्थ शावकों समेत) की कटकर मौत हो जाने के बाद अब वन विभाग इस मुद्दे पर गंभीर हो गया है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए विभाग ने एक साथ कई कदम उठाए जाने का निर्णय लिया है। पलामू व्याघ्र परियोजना से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार नियंत्रित करने के लिए जहां ट्रेन रफ्तार मापक यंत्र लगाए जाएंगे।

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वहीं वन क्षेत्र के कई इलाकों से रेल पटरी हटाने के लिए भी रेलवे को प्रस्ताव भेजा जाएगा। फिलहाल ट्रेन रफ्तार मापक यंत्र के जरिए 11.5 किलोमीटर लंबी रेल पटरी की निगरानी की योजना को शीघ्र अमल में लाने की तैयारी है। क्षेत्र में 20 किलोमीटर से अधिक रफ्तार से ट्रेन चलाने पर चालकों, रेलवे कर्मचारियों व पदाधिकारियों पर वन विभाग कानूनी कार्रवाई भी करेगा। पलामू व्याघ्र परियोजना के निदेशक वाइ के दास ने बुधवार को बताया कि स्पीड मापक यंत्र (स्पीडोमीटर) के साथ क्षेत्र में वन सुरक्षा कर्मचारी तैनात किए जाएंगे।

ये समय-समय पर क्षेत्र से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार मापेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की गई थी, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं रहा। इसमें फंसने के बाद जानवर भाग नहीं पाते थे। इसलिए बैरिकेडिंग हटा दी गई। उन्होंने बताया कि रेलवे को प्रस्ताव भेजा जाएगा कि लातेहार के छिपादोहर जंगल के बीच से रेल पटरी हटा कर दूसरी तरफ कर दी जाए। इसमें भले ही राशि खर्च होगी, लेकिन यह परियोजना क्षेत्र काफी सुरक्षित हो जाएगा।

31 अगस्त की सुबह 5.30 से छह बजे के बीच डालटनगंज-बरकाकाना रेल खंड के केचकी रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी की चपेट में आने से एक नर व तीन मादा हिरणों की मौत हो गई थी। इनमें दो मादा हिरण गर्भवती थीं। दुर्घटना में मौके पर ही एक गर्भवती हिरण का बच्चा पेट से बाहर निकल आया था, जबकि दूसरी गर्भवती हिरण का पोस्टमार्टम कर एक बच्चा निकाला गया था। परियोजना के रेंजर ने लातेहार के बरवाडीह थाने में वन्य अधिनियम 1972 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें चालक व गार्ड समेत 10 लोग आरोपित बनाए गए हैं।

वन विभाग ने धनबाद डीआरएम से की बैठक बुलाने की मांग

उधर, परियोजना के उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि धनबाद रेलमंडल के डीआरएम को घटना की जानकारी दी गई है। उन्हें पत्र भेजा गया है। वन विभाग व रेलवे की साझा बैठक बुलाने की मांग की गई है। इसमें विभिन्न बिंदुओं पर सुझाव रखे जाएंगे।

बोले विशेषज्ञ

ट्रेनों की गति नियंत्रित करने के साथ लगातार हॉर्न भी बजाएं चालक वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि परियोजना क्षेत्र के जानवरों की इस तरह मौत चिंता की बात है। रेलवे को ट्रेनों की गति नियंत्रित करते हुए जंगल क्षेत्र से गुजरते समय लगातार हॉर्न बजाते रहना चाहिए। साथ ही वन विभाग के अधिकारी अपने स्तर से ऐसी घटनाएं रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

क्या कहता है भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972

  • केंद्र सरकार ने 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों व पौधों को संरक्षण प्रदान करता है। इसमें कुल छह अनुसूची है, जो अलग-अलग तरह से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • वर्ष 2003 में संशोधित कर इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 2002 रखा गया। इसमें दंड व जुर्माना और कठोर कर दिया गया। 
  • अनुसूची-1 व अनुसूची-2 के द्वितीय भाग वन्यजीवन को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनके तहत अपराधों के लिए उच्चतम दंड निर्धारित है। इसके तहत कम से कम तीन वर्ष जेल की सजा हो सकती है। इसे सात वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। कम से कम जुर्माना 10 हजार रुपये और अधिकतम 25 हजार रुपये है। दूसरी बार अपराध करने पर तीन साल जेल का प्रावधान है।

वर्ष 2005 में गोइलकेरा-मनोहरपुर रेल खंड पर कराई गई थी पटरी की घेराबंदी

उधर, चक्रधरपुर रेल मंडल में भी ट्रेन से हाथियों के कटकर मरने की घटनाएं होती रही हैं। पोसैता गोइलकेरा रेलखंड पर वर्ष 2000 में चार हाथी कट कर मर गए थे। इसी वर्ष अहमदाबाद-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से डेरोवां व सारंडा रेलवे सुरंग के बीच तीन हाथी चपेट में आ गए थे। तीनों की मौत हो गई थी। दूसरे दिन हाथियों ने उसी ट्रेन को हावड़ा से लौटने के क्रम में घेर लिया था।

इसमें एक और हाथी की मौत हो गई थी। चालक व गार्ड ट्रेन छोड़ कर भाग गए थे। इससे पूर्व सारंडा रेलवे सुरंग में वर्ष 1993 में हावड़ा-कुर्ला ट्रेन की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई थी। इन घटनाओं से सबक लेते हुए केंद्रीय वन मंत्रालय ने वर्ष 2005 में गोइलकेरा मनोहरपुर रेलखंड को एलिफेंट जोन घोषित कर पटरी के दोनों ओर लोहे का घेरा बना दिया था।

उधर, चाकुलिया वन क्षेत्र अंतर्गत चाकुलिया व कोकपाड़ा स्टेशन के बीच 26 फरवरी, 2020 को ट्रेन से कट तीन जंगली हाथियों की मौत हो गई थी। इस मामले में वन विभाग ने रेलवे पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई। रेलवे ने जंगल से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार कम कर दी थी।


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