Jharkhand: नशामुक्त आरा-केरम गांव का विकास माॅडल बनेगा आधार, खूंटी के 80 गांव बनेंगे आदर्श
Aara Keram Village Ranchi यहां लोग आपसी समन्वय और श्रमदान से सारे काम खुद ही करते हैं। ग्रामीणों ने जल प्रबंधक और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम भी चला रखी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी प्रखंड का आरा-केरम गांव आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस गांव का जिक्र मन की बात कार्यक्रम में किया था और यहां के ग्रामीणों से प्रेरणा लेने की बात कही थी। यह राज्य का पहला नशामुक्त जनजातीय गांव हैं। गांव के लोगों ने खेती व पशुपालन के क्षेत्र में नए प्रयोग कर मिसाल पेश की है। यहां लोग आपसी समन्वय और श्रमदान से सारे काम खुद ही करते हैं।
ग्रामीणों ने जल प्रबंधक और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम भी चला रखी है। कुल मिलाकर एक आदर्श गांव के जितने में संभावित मानक हो सकते हैं, उनमें खरा उतरता है आरा-केरम। इसी आरा-केरम की तर्ज पर अब खूंटी जिले के 80 गांवों काे आदर्श गांव के रूप में विकसित किए जाने की पहल हुई है। आरा-केरम की सूरत बदलने वाले मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने ही इन गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है।
दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के तहत राज्य के 20 जिलाें के सभी गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने का टास्क पिछली सरकार में तय किया गया था। इसमें खूंटी के सभी 760 गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित कर इसे पहले मॉडल जिले के रूप में विकसित करने का खाका तैयार भी किया गया था। लेकिन सरकार बदलने और कोविड-19 के कारण इस मुहिम को भी झटका लगा था।
अब एक बार फिर इन गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने की दिशा में मुहिम शुरू हुई है। खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के अलंकेल टोला में आरा-केरम माॅडल पर काम शुरू हो चुका है। बदलाव भी दिखने लगा है। यहां ग्रामीण विकास की तमाम योजनाओं को लागू करने के साथ ही सखी मंडल की दीदियाें के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है।
मनरेगा आयुक्त ने खुद इस गांवों का दौरा लगातार कर ग्रामीणों से संवाद कर रहे हैं। सिद्धार्थ त्रिपाठी कहते हैं कि दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना भारत में आज तक हुए ग्रामीण विकास के सभी प्रयोगों से भिन्न है। हालांकि, हम भी वही कर रहे हैं जो अन्य लोग कर रहे हैं लेकिन हमारी ढंग थोड़ा अलग है। अभी हम 80 गांव को स्वावलंबी बनाने में लगे हैं। परिणाम जल्द दिखेंगे।
क्या है आरा-केरम का विकास मॉडल
आरा-केरम गांव में अब शराब नहीं, अब दूध का उत्पादन हो रहा है। गांव में प्रतिदिन 200 लीटर दूध और तकरीबन डेढ़ टन सब्जी का उत्पादन होता है। जो यहां के लोगों की आजीविका का बड़ा साधन है। इसके अलावा गौ-पालन, बकरी पालन, सूकर पालन और मछली पालन से लोग की सामाजिक आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है।
गांव की 95 फीसद आबादी आज आजीविका के लिए कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। 70 प्रतिशत किसान सालों भर सब्जी की खेती करते हैं। लगभग 35 एकड़ भूमि में ड्रिप इरिगेशन से खेती होती है। यहां 400 एकड़ में फैले वन क्षेत्र को बचाने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं। बदलाव के इसी माडल को खूंटी के 80 गांवाें में अपनाया जाएगा।
'आदर्श गांव की परिकल्पना बिना ग्रामीणों की सहभागिता के पूरी नहीं हो सकती। इसी परिकल्पना को ध्यान में रखकर झारखंड सरकार ने दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के तहत राज्य के 20 जिलाें के गांवों का चयन किया है। खूंटी जिले के सभी 760 गांवों में इस योजना को क्रियान्वित किया जाएगा। इसकी सफलता को देखकर राज्य के सभी गांव को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा।' -आलमगीर आलम, ग्रामीण विकास मंत्री, झारखंड सरकार।