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पलामू में मिला उत्‍तम गुणवत्‍ता वाले ग्रेफाइट का अकूत भंडार, झारखंड बन सकता है देश का बड़ा उत्पादक

Palamu Jharkhand News पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड के चांपी गांव में अकूत भंडार मिला है। वन विभाग से अनापत्ति की प्रत्याशा में अन्वेषण कार्य बंद है। संबंधित वन क्षेत्र के 20 वर्ग किलोमीटर की परिधि में 50 मीटर की गहराई तक में उत्तम गुणवत्ता वाले ग्रेफाइट की उपलब्धता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 04:06 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 04:10 PM (IST)
पलामू के पूर्णाडीह में ग्रेफाइट अन्वेषण कार्य के लिए खोदा गया ट्रेंच।

मेदिनीनगर (पलामू), [केतन आनंद]। खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा पलामू के सतबरवा प्रखंड के चांपी गांव में शुरू हुए अन्वेषण कार्य के पहले चरण में ही बहुमूल्य ग्रेफाइट खनिज का अकूत भंडार मिला है। संबंधित वन क्षेत्र के लगभग 20 वर्ग किलोमीटर की परिधि में 50 मीटर की गहराई तक में इसका फैलाव है। अन्वेषण के दौरान 12 स्थलों पर किए गए परीक्षण में इसकी पुष्टि हुई है। दूसरे चरण के अन्वेषण कार्य में दो और स्थलों पर परीक्षण का यह कार्य होना है। इसके बाद ग्रेफाइट की वास्तविक उपलब्धता की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी।

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इससे इतर अन्वेषण से संबंधित अनापत्ति प्रमाणपत्र निर्गत करने से पूर्व वन विभाग ने संबंधित क्षेत्र के पेड़ों की गिनती की शर्त खान एवं भूतत्व विभाग के समक्ष रख दी है। इससे दूसरे चरण का अन्वेषण कार्य फिलहाल स्थगित है। खान एवं भूतत्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार खनन के बाद पलामू देश में ग्रेफाइट का बड़ा उत्पादक बन सकता है। बताते चलें कि सतबरवा के अलावा लेस्लीगंज के पूर्णाडीह में भी ग्रेफाइट अन्वेषण का कार्य शुरू कर दिया गया है।

विशेषज्ञों की टीम यहां भी उत्तम गुणवत्ता वाले ग्रेफाइट की उपलब्धता का दावा कर रहे हैं। इधर, एशिया प्रसिद्ध सोकरा ग्रेफाइट परियोजना का कार्य भी वन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने की प्रत्याशा में बंद है। जानकारी के अनुसार खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा सोकरा, चांपी, तोरी व घुटवा में अन्वेषण कार्य की योजना तैयार की गई थी। इसमें सोकरा व चांपी क्षेत्र की मैपिंग के बाद पिलरिंग और ड्रिलिंग का कार्य शुरू किया जाना था। उप निदेशक, भूतत्व राजेश कुमार पांडेय के अनुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए वन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन दिया गया था, लेकिन पेड़ों की गिनती की लगाई गई शर्त से अन्वेषण कार्य प्रभावित हुआ है।

लिथियम आयन बैट्री समेत कई उत्पादों में आता है काम

विद्युत का सुचालक व ताप का कुचालक कार्य किए जाने से ग्रेफाइट खनिज की मांग कमोवेश हर क्षेत्र में है। इलेक्ट्रिक वाहन में लगने वाली लिथियम आयन बैट्री, स्मार्ट फोन और लैपटाप की बैट्री सहित अन्य उत्पादों में इसका उपयोग होता है। विश्व बाजार में इसकी मांग बनी रहती है। यह बहुउद्देशीय खनिज की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद सरकार की एजेंसियों में तालमेल के अभाव के कारण अन्वेषण कार्य बाधित है।

चीन के ग्रेफाइट पर आश्रित है भारतीय उद्योग

देश के कई राज्यों में इसकी उपलब्धता के बावजूद भारतीय उद्योग चीन आयातित ग्रेफाइट पर आश्रित है। ब्राजील और चीन दुनिया के सबसे बड़े ग्रेफाइट उत्पादक हैं। झारखंड के अलावा कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी ग्रेफाइट का भंडार है। माना जा रहा है कि पलामू में ग्रेफाइट का खनन कार्य शुरू हो जाने से जहां अन्य देशों पर इसकी निर्भरता बहुत हद तक घटेगी, वहीं हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और संबंधित क्षेत्र का विकास भी होगा।

'पलामू जिले का ग्रेफाइट उच्च कोटि का है। नीलामी के लिए ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। अन्वेषण को लेकर जो भी पेच है, उसे अंतर्विभागीय समन्वय से दूर कर उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।' -विजय कुमार ओझा, निदेशक, खान एवं भूतत्व विभाग, पलामू अंचल


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