बड़ा सवाल: जब भीड़ बढ़ रही थी, तब सीएम हेमंत सोरेन के काफिले को कैसे दिया क्लीयरेंस?
Hemant Soren Convoy Attack उच्च स्तरीय कमेटी की जांच में यातायात पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। जब किशोरगंज चौक पर भीड़ बढ़ रही थी उनके हाथ में डंडे व तख्तियां थीं तब यातायात पुलिस के अधिकारी व जवान के कान खड़े क्यों नहीं हुए।
रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Soren Convoy Attack रांची के किशोरगंज चौक पर चार जनवरी को मुख्यमंत्री के काफिले को रोकने की कोशिश के मामले में भले ही सुखदेवनगर व कोतवाली के थानेदार पर कार्रवाई हो गई है, लेकिन इस पूरी घटना में यातायात पुलिस को क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता है। इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही उच्च स्तरीय कमेटी की जांच में यातायात पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। सवाल यह है कि जब किशोरगंज चौक पर भीड़ बढ़ रही थी, भीड़ के हाथ में डंडे व तख्तियां थीं, तब किशोरगंज चौक पर तैनात यातायात पुलिस के अधिकारी व जवान के कान खड़े क्यों नहीं हुए।
बढ़ती भीड़ के बीच सीएम के काफिला को यातायात पुलिस ने क्लीयरेंस कैसे दे दिया। यातायात पुलिस ने अगर क्लीयरेंस दिया, तो यह यातायात पुलिस की भी कमजोरी है। उन्हें बचाया नहीं जा सकता है। यातायात पुलिस के पास केवल चालान काटने की ही जिम्मेदारी नहीं है। उन्हें रास्ते से भाग रहे अपराधी से लेकर विधि-व्यवस्था से संबंधित हर सूचना संबंधित थाने को देने का आदेश पहले से ही मिला हुआ है।
कारकेड चलते ही वायरलेस पर अलर्ट हो जाते हैं चौक-चौराहे
मुख्यमंत्री का काफिला सड़क मार्ग से मुख्यमंत्री आवास से मंत्रिमंडल सचिवालय व मंत्रिमंडल सचिवालय से मुख्यमंत्री आवास के लिए निकलता है, तो इसकी सूचना वायरलेस पर सभी पदाधिकारियों को मिल जाती है। मुख्यमंत्री के काफिला मार्ग के सभी चौक-चौराहों पर तैनात यातायात पुलिस के अधिकारी व जवान क्लीयरेंस देते हैं, उसके बाद ही काफिला उस रास्ते से गुजरता है। जहां कहीं भी भीड़भाड़ की आशंका होती है, कारकेड का रास्ता बदल जाता है। चार जनवरी को यातायात पुलिस के ये अधिकारी कहां थे और उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन कितना किया, इसकी भी जानकारी ली जा रही है।