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Jharkhand: यहां अब्दुल्ला ले रहे संस्कृत की तालीम, मध्‍यमा परीक्षा में मुस्लिम अभ्यर्थियों की तादाद एक तिहाई

Jharkhand Koderma Latest News यह विद्यालय कोडरमा व आसपास के जिलों में एकमात्र संस्कृत विद्यालय है जहां से प्रतिवर्ष सैकड़ों छात्र मध्यमा की परीक्षा में शामिल होते हैं। मरकच्चो का संस्कृत डिग्री हासिल करने का माध्यम बना है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 09:43 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 09:58 AM (IST)
Jharkhand: यहां अब्दुल्ला ले रहे संस्कृत की तालीम, मध्‍यमा परीक्षा में मुस्लिम अभ्यर्थियों की तादाद एक तिहाई
कोडरमा के मरकच्‍चो में संस्‍कृत विद्यालय में शिक्षक व छात्र।

कोडरमा, [अनूप कुमार]। यहां अब्दुल्ला ले रहे संस्कृत की तालिम। बात थोड़ा असहज लगने वाला जरूर है, लेकिन यह सच है। कोडरमा जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड मरकच्चो में संचालित बागेश्वरी भागवत पांडेय संस्कृत प्राथमिक सह उच्च विद्यालय भले ही संस्कृत विद्यालय है, लेकिन यहां प्रतिवर्ष मध्यमा की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों में करीब एक तिहाई से ज्यादा मुस्लिम होते हैं। ऐसा पिछले कई वर्षों से होता चला आ रहा है।

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यह विद्यालय कोडरमा व आसपास के जिलों में एकमात्र संस्कृत विद्यालय है, जहां से प्रतिवर्ष सैकड़ों छात्र मध्यमा की परीक्षा में शामिल होते हैं। वर्ष 2017 से इस विद्यालय को झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) से स्थायी मान्यता प्राप्त है। विद्यालय के भवन व अन्य संसाधनों की हालत ठीक नहीं है, लेकिन प्रतिवर्ष यहां से 250 से 350 छात्र मध्यमा (दसवीं बोर्ड) की परीक्षा में शामिल होते हैं।

इसकी परीक्षा जैक बोर्ड लेता है और इसकी डिग्री दसवीं यानी मैट्रिक के समतुल्य मानी जाती है। वर्ष 2020 में यहां से मध्यमा की परीक्षा में कुल 360 परीक्षार्थी शामिल हुए हैं, जिनमें करीब 85 मुस्लिम समुदाय के हैं। इससे पूर्व वर्ष 2019 में यहां से 408 लोग शामिल हुए थे, जिसमें 100 से ज्यादा मुस्लिम थे। बताया जाता है कि बोर्ड द्वारा मुस्लिमों की इतनी अधिक संख्या पर आपत्ति भी जताई गई थी।

इसी तरह, वर्ष 2018 में 251 में 65, 2017 में 165 में 56 मुस्लिम थे। विद्यालय से मध्यमा की परीक्षा में प्रतिवर्ष नियमित से ज्यादा स्वतंत्र छात्र के रूप में परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं। वर्ष 2020 में 360 में 290 स्वतंत्र छात्र के रूप में और मात्र 70 ही नियमित छात्र के रूप में परीक्षा में शामिल हो रहे हैं (अभी झारखंड में मध्यमा की परीक्षा चल रही है)।

इसी तरह वर्ष 2019 में कुल 408 छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे, जिसमें 297 स्वतंत्र छात्र थे। कमोबेश यही स्थिति इससे पूर्व के वर्षों में भी रही। इस वर्ष परीक्षा दे रहे कई छात्रों से बातचीत से यह बात सामने आई कि इसमें ज्यादातर वैसे लोग शामिल होते हैं, जो सीबीएसई या जैक बोर्ड से दसवीं की परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं। उनके लिए मध्यमा परीक्षा पास करना आसान होता है और डिग्री की मैट्रिक के समतुल्य मान्यता है।

परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकतर अभ्यर्थी अधिक उम्र के हैं, जिन्हें छोटी-मोटी नौकरी या विदेश जाने के लिए जन्म प्रमाण के रूप में वैद्य दस्तावेज की जरूरत होती है। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी बताए जाते हैं, जो भले ही मैट्रिक से आगे की पढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन अपनी उम्र कम दिखाकर फिर से परीक्षा में शामिल होते हैं। विद्यालय में वैसे तो प्रधानाध्यापक समेत कुल 12 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन छात्रों की उपस्थिति नगण्य होती है।

'विद्यालय वर्ष 1982 से संचालित है। पूर्व में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड से मान्यता थी। झारखंड अलग होने के बाद झारखंड अधिविद्य परिषद ही परीक्षा ले रहा है। वर्ष 2017 में विद्यालय को स्थायी मान्यता मिलने के बाद से प्रतिवर्ष कुछ-कुछ अनुदान मिलता है, जिससे विद्यालय का संचालन हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग स्वतंत्र छात्र के रूप में परीक्षा में शामिल होते हैं, जिसमें मुस्लिम भी होते हैं। यह सही है कि ज्यादातर लोग अधिक उम्र के होते हैं और डिग्री के लिए ही परीक्षा में शामिल होते हैं।' -सदानंद पांडेय, प्रधानाध्यापक, बागेश्वरी भागवत पांडेय संस्कृत प्राथमिक सह उच्च विद्यालय, मरकच्चो, कोडरमा।


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