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BAU: झारखंड पोषण युक्त पदार्थ एवं स्वास्थ्य जलवायु के मामले में समृद्ध राज्य

BAU बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य एवं पोषण की महत्ता पर एक दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में परियोजना से जुड़े नगडी प्रखंड के चिपड़ा एवं कुडलांग के 35 किसानों के साथ विवि में भ्रमणरत झारखंड एग्रीकल्चर मशीनरी टूल्स ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षणरत 20 लोग शामिल हुए।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 11:36 AM (IST)
BAU: झारखंड पोषण युक्त पदार्थ एवं स्वास्थ्य जलवायु के मामले में समृद्ध राज्य
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य एवं पोषण की महत्ता पर लोगों को जागरूक किया गया।

रांची,जासं I बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य एवं पोषण की महत्ता पर एक दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन आइसीएआर - फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम परियोजना एवं एनएसएस सेल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में परियोजना से जुड़े नगडी प्रखंड के चिपड़ा एवं कुडलांग के 35 किसानों के साथ विवि में भ्रमणरत झारखंड एग्रीकल्चर मशीनरी टूल्स ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षणरत 20 लोग शामिल हुए।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रसार शिक्षा डा जगरनाथ उरांव ने कहा कि पोषण युक्त पदार्थ एवं स्वास्थ्य जलवायु के मामले में झारखंड राज्य समृद्ध है। परंपरागत आहार एवं जीवनशैली को बनाए रखते हुए सेहत अच्छी रखी जा सकती है। स्थानीय तौर पर सहज उपलब्ध सस्ते पोषक फल एवं साग – सब्जियों का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम परियोजना में तकनीकी हस्तक्षेपों के अवयवों में पोषण को अधिक जोर दिया गया है। इसके कृषि विविधीकरण, पशुपालन, पोषण वाटिका, प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के कार्यक्रम नगडी प्रखंड के चिपडा एवं कुदलॉन्ग गांव के किसानों की पोषण एवं आजीविका सुरक्षा में कारगर साबित हो रही है।

 मुख्य अतिथि डीन एग्रीकल्चर डा एमएस यादव ने स्वंय एवं परिवार के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण सुरक्षा की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर के सभी अंगों का स्वास्थ्य पोषण से जुड़ा है। इसकी अनदेखी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी। पोषण युक्त आहार के सेवन से पूरे परिवार में जागरूकता समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

 मौके पर सामुदायिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डा रेखा सिन्हा ने कहा कि झारखंड की महिलाओं में एनीमिया एक बड़ी समस्या है। महिलाओं एवं बच्चों में जिंक की कमी की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने लोगों को दैनिक आहार में संतुलित आहार को शामिल तथा चावल एवं गेहूं के आलावा आहार में मोटे आनाज, स्थानीय साग-सब्जी एवं फल का सेवन करने की सलाह दी। पोषण सुरक्षा हेतु किसानी में कृषि विविधीकरण, पोषण बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन,पोल्ट्री फार्मिंग एवं मधुमख्खी पालन को शामिल करने का सुझाव दिया।


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