IAS पूजा सिंघल के पहले वाले श्रीनिवासन ने कर दिया था बड़ा खेल, तब सवा महीना हो गए थे नदारद
Jharkhand IAS Pooja Singhal भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में घिरीं झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल के पूर्ववर्ती के श्रीनिवासन भी कम करामाती नहीं थे। एसीबी को सरकार ने उनके भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति नहीं दी। मौखिक आदेश से श्रीनिवासन ने बालू लोहा पत्थर का परिवहन चालान रोका था।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand IAS Pooja Singhal निलंबित आइएएस पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लांड्रिंग मामले में लगातार नई जानकारियां भले ही सामने आ रही हैं, लेकिन राज्य सरकार का खान व उद्योग विभाग भ्रष्टाचार के मामले में हमेशा से ही चर्चा में रहा है। आइएएस पूजा सिंघल अगस्त 2021 में खान व उद्योग विभाग की सचिव बनी थी। उनके पहले के. श्रीनिवासन खान व उद्योग सचिव थे, तब भ्रष्टाचार से संबंधित आधा दर्जन से अधिक शिकायतें झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में पहुंचीं थीं। तब के. श्रीनिवासन ने मौखिक आदेश से बालू, लोहा, पत्थर का परिवहन चालान नियम विरुद्ध जाकर रोक दिया था।
एसीबी के पास उनके खिलाफ पलामू, गढ़वा, लातेहार के अलावा कोल्हान क्षेत्र से भी करीब आधा दर्जन शिकायतें पहुंची थीं। एसीबी ने तत्कालीन खान एवं उद्योग सचिव के. श्रीनिवासन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने व अनुसंधान के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय सह निगरानी विभाग से अनुमति मांगी थी। राज्य सरकार ने अनुमति तो नहीं दी, के. श्रीनिवासन का तबादला कर दिया। उनके स्थान पर पूजा सिंघल को खान एवं उद्योग विभाग का सचिव बना दिया गया। यह भी जानकारी मिली है कि बात आगे बढ़ने पर करीब सवा महीने के. श्रीनिवासन विभाग से गायब रहे। उसके बाद ही उनके स्थान पर पूजा सिंघल को खान विभाग के सचिव पद पर बैठाया गया था। आरोप है कि के. श्रीनिवासन मौखिक रूप से कोई भी आदेश जारी कर देते थे ताकि अवैध कारोबार चलता रहे। कागज पर कोई आदेश-निर्देश नहीं रहेगा तो फंसने की संभावना नहीं के बराबर होगी।
के. श्रीनिवासन पर कहीं प्राथमिकी दर्ज नहीं थी, इसलिए नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
एसीबी के वरिष्ठ सूत्रों की मानें तो इस संबंध में मिली शिकायतों से सरकार को अवगत कराया गया था। मंत्रिमंडल सचिवालय सह निगरानी विभाग ने एसीबी को कहा था कि राज्य में के. श्रीनिवासन या उनके सहयोगियों पर कोई प्राथमिकी दर्ज हो तो उसे टेकओवर कर जांच शुरू करें। सभी आरोपितों में किसी पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं थी, इसलिए इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।
मौखिक आदेश से के. श्रीनिवासन ने रोक दिया था बालू परिवहन का चालान
पलामू अंचल के तत्कालीन उप निदेशक खान राजेश कमार पांडेय ने आठ जुलाई 2021 को पलामू, गढ़वा व लातेहार जिले के जिला खनन पदाधिकारियों को पत्र भेजकर यह आदेश दिया था कि तत्कालीन खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव ने दूरभाष पर ही मौखिक आदेश जारी किया है कि आठ जुलाई 2021 की शाम चार बजे से बालू परिवहन का चालान जारी नहीं किया जाएगा। इस आदेश के विरुद्ध उसी वक्त पलामू के गायत्री नगर सुदना निवासी पंकज कुमार यादव ने नियमों का हवाला देकर झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से तत्कालीन खान सचिव के. श्रीनिवासन, निदेशक खान शंकर कुमार सिन्हा व पलामू के उप निदेशक खान राजेश कुमार पांडेय पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था। उनके आवेदन पर एसीबी ने कोई कार्रवाई नहीं की। आरोप लगाया कि मानसून में बालू का बाजार मूल्य अधिक होता है। इस दौरान रिश्वत अधिक मिलता है। पंकज का आरोप था कि एक साजिश के तहत अवैध खनन से कमाई के लिए ही सभी आरोपितों ने इस तरह का आदेश जारी किया था।
मौखिक आदेश पर ब्लाक कर दी थी 30 से ज्यादा क्रशर प्लांटों की आइडी
पूर्व खान सचिव के. श्रीनिवासन के खिलाफ कोल्हान क्षेत्र से भी एसीबी के पास कई शिकायतें पहुंचीं थीं। खान सचिव के पद पर रहने के दौरान के श्रीनिवासन अक्सर विवादों में रहे। उन्होंने मौखिक आदेश पर पश्चिमी सिंहभूम जिला में 13 अगस्त 2020 में 30 से अधिक आयरन ओर एवं पत्थर क्रशरों की आइडी ब्लाक करते हुए ई-चालान निर्गत करने पर भी रोक लगा दी थी। उक्त सभी क्रशर नोवामुंडी व बड़ाजामदा क्षेत्र में अवस्थित थे। एक क्रशर संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खान सचिव श्रीनिवासन के के मौखिक आदेश पर अगस्त 2020 में झारखंड मिनिरल्स रूल्स 2017 के तहत स्वीकृत डीलर लाइसेंस का आइडी झारखंड इंटीग्रेटेड माइंस एंड मिनरल मैनेजमेंट सिस्टम (जिम्स) पोर्टल की ओर से ब्लाक किया गया था। इसके बाद आइडी ब्लाक करने का बिना कोई ठोस कारण बताये तीन माह बाद नौ नवंबर 2020 को सभी ब्लाक आइडी को खोल दिया गया। क्रशर संचालकों का आरोप है कि आइडी खोलने के लिए सभी क्रशर संचालकों से नकद राशि की वसूली की गयी थी।
ओएमएम कंपनी को लाभ पहुंचाने का भी लगा था आरोप
के. श्रीनिवासन पर ओएमएम कंपनी को लाभ पहुंचाने का भी आरोप है। इस मामले को विधायक सरयू राय विधानसभा में भी उठा चुके हैं। सरयू राय ने विधानसभा में कहा था कि 2011-12 में पश्चिमी सिंहभूम जिला में ओएमएम नाम की कंपनी ने अनुमति से ज्यादा खनन कर लिया था। उस समय पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त के. श्रीनिवासन थे। उपायुक्त ने उस गलती पर जुर्माना देने के लिए कुछ नहीं किया था बल्कि
डीएमओ को लिख दिया कि कंपनी ने 2009-10 में जितना ज्यादा खनन कर लिया है, उसे 2011-12 में उतना कम खनन करने दीजिए। जो 2010-11 में खनन किया है उसे 2012-13 में घटा लीजिए जबकि ऐसा आदेश देने की शक्ति डीसी को नहीं है। सरयू राय ने आरोप लगाया था कि के श्रीनिवासन के उपायुक्त रहते ओएमएम कंपनी ने 2009-10 में पर्यावरण स्वीकृति की सीमा से 0.615 मीट्रिक टन और 2010-11 में 0.665 मीट्रिक टन अधिक उत्पादन किया था।