Biometric Authentication: फर्जी जमानतदारों पर नकेल कसेगी झारखंड पुलिस
Biometric Authentication. नई प्रक्रिया में बिना अाधार वाले जमानतदार नहीं बन पाएंगे। बंदियों को जमानत देने के लिए अदालतों में बायोमीट्रिक सिस्टम लगेगा इसके जरिये बेलर की पहचान होगी।
रांची, [मनोज कुमार सिंह]। राज्य में फर्जी जमानतदारों पर नकेल कसने की कवायद शुरू हो गई है। अब सिर्फ वैसे व्यक्ति जमानतदार बनेंगे, जिनका आधार कार्ड बना हो। जमानत लेने के दौरान अदालतों में लगे बायोमीट्रिक सिस्टम पर उस व्यक्ति के अंगूठे का निशान लिया जाएगा ताकि उसकी पहचान का पता चल सके। इसके अलावा इस बात का भी पता चल जाएगा कि उस व्यक्ति ने पूर्व में कितने लोगों की जमानत ली है।
इसके लिए गृह विभाग गाइडलाइन तैयार कर रहा है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय और अभियोजन निदेशालय का भी सहयोग लिया जा रहा है। योजना लागू होने के बाद जमानतदारों को निचली अदालत में संपत्ति से संबंधित दस्तावेज का शपथ पत्र जमा कराना होगा। अदालत से इस बात की गुहार लगाई जाएगी कि दस्तावेजों के भौतिक सत्यापन होने तक आरोपित को औपबंधिक जमानत दी जाए। सत्यापन सही पाए जाने पर ही नियमित जमानत की सुविधा दी जाए।
जमानत लेकर अपराधी हो जाते हैं फरार
कई बार ऐसा देखा गया है कि फर्जी जमानतदार के जरिए अपराधी जमानत ले लेते हैं और फरार हो जाते हैं। ट्रायल के दौरान जब अपराधी पकड़ से बाहर हो जाते हैं तो पुलिस जमानतदारों के बारे में पता लगाती है। इस दौरान पुलिस को कई बार जमानतदारों के नाम व पते फर्जी मिलते है। ऐसा ही एक मामला हाई कोर्ट ने भी पकड़ा है। जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को फर्जी जमानतदारों से निपटने के लिए योजना बनाने का आदेश दिया है। एक अनुमान के मुताबिक रांची निचली अदालत में प्रतिदिन तीस से चालीस जमानत के लिए बेल बांड भरे जाते हैं।
नई योजना में इसका प्रस्ताव
- सभी अदालतों में बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया जाएगा और उससे जमानतदारों की पहचान की जाएगी।
- जमानतदारों का पहचान पत्र एवं संपत्ति का शपथ पत्र अदालत में दाखिल करना होगा ताकि सूचना गलत होने पर उन पर कार्यवाही हो सके।
- जमानतदारों का भौतिक सत्यापन थाना के माध्यम से होगा।
- सभी जिला एवं अनुमंडल अदालतों में जमानतदारों की प्रोफाइल रखने के लिए साफ्टवेयर बना जाएगा, जिससे जमानतदार द्वार बार-बार एक दस्तावेज के उपयोग से रोका जा सके।
- जमानतदारों के चल-अचल संपत्ति का ऑनलाइन जांच के लिए न्यायालय में व्यवस्था की जाएगी।
अभियोजन निदेशालय, पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग मिलकर इसके लिए गाइडलाइन तैयार कर रहा है। चार से छह सप्ताह में इसको तैयार कर लिया जाएगा। एसकेजी रहाटे, प्रधान सचिव, गृह विभाग।