2003 में हुए नक्सली हमले के दस्तावेज के साथ चाईबासा एसपी हाई कोर्ट में तलब
Jharkhand. वर्ष 2003 में चाईबासा में नक्सलियों का बड़ा हमला हुआ था। सजायाफ्ता विलियम मरांडी की अपील पर अदालत सुनवाई कर रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए चाईबासा के एसपी को अदालत में सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया है। अदालत ने उनसे पूछा है कि आदेश के बाद भी अब तक केस से संबंधित दस्तावेज अदालत में क्यों नहीं दाखिल किए गए हैैं। मामले में अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी।
इस मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके विलियम मरांडी की ओर से निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की गई है। विलियम मरांडी पिछले 15 साल से जेल में बंद है। दरअसल, चाईबासा में वर्ष 2003 में हुए नक्सली हमले में कई पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। जांच के दौरान पुलिस ने विलियम मरांडी और शहदेव महतो को हमले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वर्ष 2013 में निचली अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इसी साल शहदेव महतो जेल ब्रेक कर फरार हो गया। पिछली सुनवाई के दौरान प्रार्थी विलियम मरांडी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उन्हें सिर्फ संदेह के आधार पर इस मामले में आरोपित बनाया गया है और निचली अदालत ने सभी तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया है। इस पर अदालत ने नक्सली हमले से संबंधित सभी दस्तावेज कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया था।
लेकिन राज्य सरकार की ओर से इससे संबंधित दस्तावेज अदालत में दाखिल नहीं किए गए, बल्कि शपथ पत्र दाखिल कर मामला गंभीर होना बताया गया। इसके बाद अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गंभीर मामला होने के बाद भी संबंधित दस्तावेज अदालत में दाखिल नहीं किया जाता है। अदालत ने सभी दस्तावेज के साथ चाईबासा एसपी को हाजिर होने का आदेश दिया है।