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Jharkhand: हेमंत सरकार के मंत्री चंपई सोरेन के आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई रोक...

Jharkhand News झारखंड हाई कोर्ट में बूटी मौजा स्थित जमीन से जुड़े मामले में सीएम हेमंत सोरेन कैबिनेट के मंत्री चंपई सोरेन के पीठासीन अधिकारी के रूप में पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मंत्री के आदेश पर रोक लगा दी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 09:11 PM (IST)
Jharkhand: हेमंत सरकार के मंत्री चंपई सोरेन के आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई रोक...
Jharkhand News: झारखंड हाई कोर्ट ने मंत्री चंपई सोरेन के पीठासीन अधिकारी के रूप में पारित आदेश पर रोक लगाई।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News झारखंड हाई कोर्ट में बूटी मौजा स्थित जमीन से जुड़े मामले में मंत्री चंपई सोरेन के पीठासीन अधिकारी के रूप में पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मंत्री के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही, अदालत ने इस मामले में शिकायकर्ता संजय पाहन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। दरअसल, पीठासीन पदाधिकारी के रूप में मंत्री चंपई सोरेन ने बूटी मौजा के 2.90 एकड़ भूमि के हस्तांतरण को गलत बताते हुए जमीन खरीददार पर प्राथमिकी दर्ज करने और जमीन हस्तांतरण को रद करने का आदेश पारित किया था।

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सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने कहा कि मंत्री की कोर्ट (पीठासीन अधिकारी के रूप में) हाई कोर्ट के अधीन है और जब किसी मामले में पूर्व में हाई कोर्ट आदेश पारित कर चुका है तो मंत्री उस मामले में कैसे फैसला सुना सकते हैं। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की दलील को मानते हुए मंत्री के आदेश पर रोक लगा दी और शिकायकर्ता संजय पाहन को शपथ पत्र के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

इसको लेकर हरीश मुंजाल ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। यह मामला रांची के बरियातू इलाके के बूटी मौजा के खाता संख्या 79 प्लॉट संख्या 1947, 1948 और 1949 कुल 2.90 एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है। अधिवक्ता प्रशांत पल्लव अदालत को बताया कि मंत्री चंपई सोरेन के पीठासीन अधिकारी के रूप में पारित आदेश पूरी तरह गलत है। पूर्व में यह मामला कई बार हाई कोर्ट में आया था। इससे पहले भी संजय पाहन के पिता सोमरा पाहन ने इस मामले में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने इनके खिलाफ फैसला सुनाया था। इसके बाद इस मामले में अपील भी दाखिल की गई थी और सुनवाई के बाद अपील भी खारिज हो गई। 


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