झारखंड हाई कोर्ट ने बोकोरो में भूख से हुई मौत के मामले में राज्य सरकार से मांगी पूरी रिपोर्ट
सरकार ने कहा कि भूखल घासी की मौत के बाद प्रशासन की टीम उसके घर गई थी। घर में पर्याप्त अनाज था। छह माह बाद उसकी बेटी राखी की मौत के मामले में सरकार का कहना था कि राखी की तबीयत खराब थी। सुनवाई पुन 15 जनवरी को होगी।
राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में बोकोरो में भूख से हुई मौत के मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में सरकार से राज्य में भूख से हुई मौत पर रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि राज्य में अब तक कितने लोगों की भूख से मौत हुई है। ऐसा न हो, इसके लिए सरकार कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है। इस मामले में 15 जनवरी को पुन: सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि किसी की मौत भूख से नहीं हुई थी। भूखल घासी की मौत के बाद प्रशासन की टीम उसके घर गई थी। घर में पर्याप्त अनाज था। छह माह बाद उसकी बेटी राखी की मौत के मामले में सरकार का कहना था कि राखी की तबीयत खराब थी। सदर अस्पताल में उसका इलाज कराया गया जहां मलेरिया और खून की कमी बताया गया। राखी अस्पताल से घर आई थी जहां उसकी मौत हुई। इससे स्पष्ट है कि उसकी मौत भूख से नहीं बल्कि खून की कमी से हुई। परिवार के एक अन्य सदस्य की मौत भी बीमारी से हुई। इस पर कोर्ट ने कहा कि झालसा ने लोगों की भूख से मौत न हो इसके लिए तृप्ति योजना लांच की है। तो क्या झालसा ने यह योजना बिना किसी ग्राउंड रिपोर्ट के तैयार की है। अदालत ने झालसा के सचिव को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाया और उन्हें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि किस आधार पर यह योजना तैयार की गई है। इसके बाद अदालत ने सरकार को पूरे मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह मामला
बोकारो के कसमार के एक ही परिवार के तीन लोगों भूख से मौत की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही है। जानकारी के अनुसार बोकारो जिले के कसमार प्रखंड शंकरडीह गांव निवासी भूखल घासी की भूख से मौत हो गई थी। छह महीने बाद ही उसके बेटे और बेटी की भी मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना था कि उनके घर में खाने को कुछ नहीं था इस कारण तीनों की मौत हुई है।