हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कनहर बराज का काम नहीं करना है तो बंद कर दें
Jharkhand. अदालत ने नाराजगी जताई। कहा कि सरकार के स्तर पर भी काम नहीं हुआ है। इस मामले में समयबद्ध तरीके से कोर्ट काम चाहता है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट में कनहर बराज परियोजना को पूरा करने की मांग लेकर दाखिल जनहित याचिका को लेकर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कनहर बराज को लेकर किसी प्रकार की प्रगति नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब काम नहीं करना है तो इस प्रोजेक्ट को बंद कर दें। प्रोजेक्ट के नाम पर सिर्फ बैठकें हो रही है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में समयबद्ध कार्रवाई चाहती हैै।
मुख्य सचिव बताएं कि समयबद्ध तरीके से क्या-क्या किया जाएगा। इसकी विस्तृत जानकारी अदालत में दाखिल करनी है। इसके अलावा अदालत ने इसके लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी के प्रतिनिधि को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दिया गया। इसका अवलोकन करने के बाद अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई।
कहा कि सरकार इस बराज को बनाना नहीं चाहती है। जबकि उस क्षेत्र के लिए यह जरूरी मामला है। इसको लेकर सरकार के स्तर पर भी कोई काम नहीं हुआ है। अदालत ने कहा कि सरकार का रूख स्पष्ट होना चाहिए। अगर काम करना है, तो इसे गंभीरता से किया जाए या फिर बंद कर दिया जाए। बीच का काम नहीं चलेगा। अदालत ने पूछा कि इस मामले में नोडल ऑफिसर किसे बनाया गया है, अधीक्षण अभियंता का नाम सुनते ही अदालत ने कहा कि बड़े अधिकारियों के बीच वो क्या कर पाएंगे।
सरकार की ओर से कहा गया कि कनहर बराज में तीन राज्यों की भागीदारी है। इस प्रोजेक्ट में तेजी के लिए छह साल पहले हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है। अदालत ने कहा कि इसके बाद भी कोई प्रोग्रेस नहीं है। इसके बाद अदालत ने महाधिवक्ता अजीत कुमार को सरकार का पक्ष रखने को कहा है। बता दें कि पूर्व मंत्री हेमेंद्र प्रताप देहाती ने इस संबंध में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।